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अगर मामला 50 लाख रुपए से कम का है तो सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएगी सरकार

इस कदम का उद्देश्य उन मामलों की संख्या घटाना है, जिसमें सरकार एक पक्षकार है

Bhasha

जल्द ही सरकार हाई कोर्ट के आदेशों के खिलाफ उन मामलों में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटाएगी, जिसमें 50 लाख रुपए से कम की रकम दांव पर हो. सरकार इस कदम पर गंभीरता से विचार कर रही है. इस कदम का उद्देश्य उन मामलों की संख्या घटाना है, जिसमें सरकार एक पक्षकार है.

सरकार हाई कोर्ट के फैसलों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए रकम की सीमा पांच गुना बढ़ाने पर गंभीरता से विचार कर रही है. फिलहाल यह सीमा 10 लाख रुपए है. जिसे बढ़ाकर 50 लाख रुपए करने का विचार किया जा रहा है. मिसाल के तौर पर फिलहाल सरकारी विभाग उन मामलों में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं, जिसमें किसी मामले में हाई कोर्ट के फैसले के बाद उन्हें 10 लाख या उससे अधिक की रकम छोड़नी हो.


तो फिर नीतियों के मामले में क्या करेगी सरकार?

सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने के मुताबिक अगर प्रस्ताव को लागू किया गया तो केंद्रीय विभाग और मंत्रालय शीर्ष अदालत का दरवाजा तभी खटखटाएंगे जब यह 50 लाख या उससे अधिक रकम का मामला हो. हालांकि, उन्होंने कहा कि अगर हाई कोर्ट किसी नीति को पलटता है तो इसमें वित्तीय रकम भले ही मामूली हो, तब भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जा सकेगा.

सरकारी आंकड़े के अनुसार 12 जून 2017 तक कुल एक लाख 35 हजार 60 सरकारी मामलों और 369 अवमानना के मामले अदालतों में लंबित थे. सरकारी मुकदमों में सेवा मामलों और निजी कंपनियों के साथ विवाद के अलावा सरकारी विभागों और पीएसयू के बीच विवाद शामिल हैं. ज्यादातर सरकारी मुकदमे आयकर विभाग, डाक विभाग, रक्षा मंत्रालय और रेल मंत्रालय से संबंधित होते हैं.

विधि मंत्रालय के एक दस्तावेज के मुताबिक, 'अदालतों में लंबित कुल मामलों में से तकरीबन 46 फीसदी सरकार से संबंधित हैं. इसमें सरकारी उपक्रमों और अन्य स्वायत्त निकायों से संबंधित मामले भी शामिल हैं.'