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नोटबंदी: 6 लाख करोड़ का फायदा या बोझ

सरकार के पास जमा हो रहे पैसे पर सुहाने ख्वाब संजोने की जरुरत नहीं.

RN Bhaskar

इन दिनों तरह-तरह की अफवाहें उड़ रहीं हैं. कुछ कह रहे हैं कि रिजर्व बैंक जल्दी ही ब्याज दरें घटाने वाला है तो कुछ का मानना है कि टैक्स भी कम किए जाएंगे.

नोटबंदी के बाद बैंको के खाते में 5.45 लाख करोड़ रुपए जमा हो जाने के बाद ब्याज दरें घटना स्वाभाविक है. कुछ बैंकों ने तो मामूली दरें घटाने की घोषणा भी कर दी है. इनके और कम होने की पूरी संभावना है.


क्योंकि बैंकों के पास कुछ 9 लाख करोड़ रुपए जमा होने की उम्मीद है. इसमें से कुछ पैसा उन्हें नियम के मुताबिक रिजर्व बैंक के पास रखना होगा. कुछ पैसा सरकारी खाते में खर्चों की नियमित बनाए रखने के लिए जाएगा. इसके बाद भी 6 लाख करोड़ रुपए बैंकों के पास बच जाएगा.

लिहाजा ब्याज दरों का और घटना तय है. इनकी घोषणा जल्दी ही हो सकती है.

इसमें एक समस्या है. बैंक लोन देने को तैयार है. लेकिन उसे ईमानदार ग्राहक मिलेंगे क्या. कोई बैंक पहले की तरह अपना पैसा डूबाना नहीं चाहेगा. अपने बुरे अनुभवों को ध्यान में रखते हुए बैंक अब ऐसे लोगों को ही उधार देंगे जो वापस दे सकने में सक्षम हों. जिनके पास पैसो की कमी न हो.

ऐसे में छोटे और मझोले उद्यमियों को लोन लेने में परेशानी हो सकती है. इनमें छोटा धंधा करने वाला अंडा, दूध, ब्रेड, सब्जी-भाजी बेचने वाला मारा जाएगा. जो रोज नकद का धंधा करता है, उसके लिए उधार ले पाना मुश्किल हो सकती है.

नकदी का पड़ेगा टोटा

बैंकों के पास आए 9 लाख करोड़ में से 3 लाख करोड़ वापस बाजारा में नहीं आएंगे. इससे होटल, बार, टैक्सी और दिहाड़ी मजदूरी करने वालों के धंधे में नगद की कमी हो सकती है. इनके ग्राहकों के पास नकद नहीं होगा तो इनका धंधा ठप पड़ जाएगा.

धंधा ठप पड़ने से अधिकतर लोगों के पास काम की कमी हो जाएगी. इनके पास नकद पैसे न होने से बाजार से सामान खरीदने की क्षमता भी घटेगी. बाजार में जब बिक्री घटेगी तो सरकार के पास इनसे आने वाला टैक्स भी घटेगा. ऐसे में टैक्स दरें घटने की दूसरी खबर का सच होना इतना आसान नहीं लगता.

ऐसे में सवाल यह उठता है कि सरकार के पास पैसा आएगा कहां से? रिजर्व बैंक से सरकार को नोटबंदी के बाद इकट्ठा हुए 9 लाख में से 3 लाख करोड़ रुपए मिलेंगे. इसके अलावा जो नोट बैंकों तक नहीं पहुंच पाए या फिर ऐसा कहें कि जिनका बोझ अब रिजर्व बैंक को नहीं उठाना उनकी कीमत भी 3 लाख करोड़ आंकी जा सकती है. इस स्थिति में सरकार के  पास कुल मिलाकर 6 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त फंड होगा.

रोजगार बढ़ाने में खपेगा पैसा

सामान्यतः इसका उपयोग सरकारें आधारभूत संरचना को मजबूत करने में इस्तेमाल करती हैं. लेकिन हमें इसका सबसे ज्यादा फायदा विदेशी पूंजी निवेश में होगा. विदेशी निवेशक सरकार की हिस्सेदारी मांगती हैं. ज्यादा नकदी होने से सरकार अपना हिस्सा देने में हिचकेगी नहीं.

नोटबंदी से बाजार में मंदी का असर कम करने के लिए सरकार रोजगार बढ़ाने के लिए कदम उठाना चाहेगी. इसके लिए आधारभूत संरचना के साथ साथ परिवहन और पर्यटन जैसे सेवा क्षेत्र सरकार की प्राथमिकता होंगे.

ऐसे में सरकार के पास इकट्ठा हो रहे पैसे को लेकर ज्यादा सुहाने ख्वाब संजोने की जरुरत नहीं है. सरकार इसका मजा लेने की स्थिति में नहीं है. सही मायने में सरकार पर और अधिक काम पैदा करने का दबाव होगा.