एशिया की सबसे बड़ी हेलिकॉप्टर कंपनी पवन हंस हेलिकॉप्टर्स लिमिटेड को भारत सरकार ने बेचने का फैसला किया है. सरकार ने अपने पूरे 51 फीसदी शेयर बेचने के लिए नोटिस भी जारी कर दिया है. सरकार ने इसके प्रबंध नियंत्रण को भी ट्रांसफर करने का फैसला लिया है. पवन हंस हेलिकॉप्टर्स लिमिटेड में भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ओएनजीसी की भी 49 फीसदी हिस्सेदारी है.
43 हेलिकॉप्टर, 1000 से ज्यादा कर्मचारी
सार्वजनिक क्षेत्र में एशिया की सबसे बड़ी कंपनी पवन हंस हेलिकॉप्टर्स लिमिटेड की स्थापना 1985 में की गई थी. पवन हंस हेलिकॉप्टर्स के पास इस समय 43 हेलिकॉप्टर हैं. कंपनी में एक हजार से ज्यादा लोग काम कर रहे हैं. 2015 के वित्तीय साल में कंपनी ने 38.8 करोड़ का मुनाफा कमाया है.
पवन हंस का पुराना इतिहास
पवन हंस हेलिकॉप्टर्स लिमिटेड की स्थापना का मुख्य मकसद देश के दूर-दराज, पहाड़ी क्षेत्रों में और तेल क्षेत्रों में सेवा के साथ-साथ चार्टर सेवाओं के लिए भी विशेष तौर पर उपयोग करना था. शुरुआत के दिनों में पवन हंस की सेवा जूहू विमान क्षेत्र विले पार्ले और मुंबई हाई जैसे तेल उत्पादन क्षेत्र में किया जाता था. लेकिन बाद में इसकी सेवाएं दूर-दराज और पहाड़ी इलाके में भी शुरू हो गई.
दिल में बसा पवन हंस हेलिकॉप्टर
पवन हंस हेलिकॉप्टर कई मायने में देशवासियों के दिलों में बसा है. लोग चाहे तीर्थ करने जा रहे हों या सस्ता यात्रा करना चाह रहे हों पवन हंस हमेशा उनकी प्राथमिकता में रहता था. पवन हंस हेलिकॉप्टर सेवा माता वैष्णो देवी की यात्रा से लेकर कई दूसरी यात्राओं को भी आरामदायक बनाता रहा है.
इस वित्तीय वर्ष का टारगेट पूरा करना है
जानकार मानते हैं कि सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए 56 हजार 500 करोड़ रुपए विनिवेश का लक्ष्य निर्धारित किया है. जिसमें अब तक वो लगभग 21 हजार करोड़ रुपए ही जुटा पाई है. सरकार की कोशिश है कि पवन हंस को बेच कर इसकी भरपाई की जाए.
नीलामी पर एक्सपर्ट की राय
पवन हंस हेलिकॉप्टर्स कंपनी में काम कर चुके रिटायर विंग कमांडर बराड़ कहते हैं 'सरकार को पवन हंस हेलिकॉप्टर्स को नहीं बेचना चाहिए. यह एक प्रोफिट मेकिंग के साथ सरकार की भरोसेमंद कंपनी भी है. एयर इंडिया कितने नुकसान में चल रही है? सरकार को एयर इंडिया की तरफ ध्यान देना चाहिए न कि पवन हंस कंपनी पर. सरकार को चाहिए कि पवन हंस और प्रोफिटेबल कैसे बने, इस पर सोचे'.
बराड़ आगे कहते हैं 'ये प्राइवेट कंपनी वाले लोग हैं जो इसको बेचने में लगे हुए हैं. पवन हंस इन प्राइवेट कंपनियों के प्रोफिट को खा रहा है. पवन हंस के खर्चे कम हैं. सरकार सैलरी भी प्राइवेट कंपनी की तुलना में कम देती है. अधिकतर वही लोग पवन हंस कंपनी में काम करते हैं जो एयर फोर्स से रिटायर होते हैं. जिसकी वजह से कोई गलत काम भी नहीं हो पाता. बिचौलियों को काम नहीं मिलता है क्योंकि यह सरकारी कंपनी है. इन सब वजहों से ये बिचौलिये उपर के अधिकारियों और राजनेताओं के पास पवन हंस को बेचने की लॉबी फिट करते फिरते हैं'.