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अर्द्धसैनिक बलों के काफिले की सुरक्षा को लेकर केंद्र सरकार गंभीर, चूक बर्दाश्त नहीं

पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हमले के बाद पैरामिलिट्री फोर्सेज की सुरक्षा को लेकर केंद्र सरकार सतर्क हो गई है

Ravishankar Singh

पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हमले के बाद पैरामिलिट्री फोर्सेज की सुरक्षा को लेकर केंद्र सरकार सतर्क हो गई है. केंद्र सरकार ने अब भारतीय सेनाओं की तर्ज पर ही पैरामिलिट्री फोर्सेज की सुरक्षा और हर मूवमेंट की जानकारी को गोपनीय रखने का फरमान जारी कर दिया है. केंद्र सरकार के इस आदेश के बाद अगर किसी भी व्यक्ति को पैरामिलिट्री फोर्सेज की गोपनीय जानकारी लीक करने का दोषी पाया गया तो उस पर भी राष्ट्रद्रोह का मुकदमा सहित कठोर कार्रवाई की जा सकती है. पैरामिलिट्री फोर्सेज में भी खासकर बीएसफ, सीआरपीएफ, आईटीबीपी और एनएसजी के जवानों को सेना की तर्ज पर ही केंद्र सरकार विशेष सुविधा प्रदान करने पर गंभीरता से विचार कर रही है.

केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी फ़र्स्टपोस्ट हिंदी के साथ बातचीत में कहते हैं कि बहुत जल्द ही अर्धसैनिक बलों की कई मांगों खासकर शहीद का दर्जा देने के फैसले पर भी केंद्र सरकार गंभीरता से विचार करना शुरू कर दिया है. बहुत जल्द ही इस गफलत और कानूनी अड़चनों को भी दूर कर लिया जाएगा. सीआरपीएफ सहित कुछ और पैरामिलिट्री फोर्सेज की मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) में भी कई बदलाव का फैसला किया गया है. खासकर पुलवामा आतंकी हमले के बाद सीआरपीएफ को अतिरिक्त सतर्कता बरतने का निर्देश जारी कर दिया गया है. खासतौर पर जम्मू-कश्मीर आने-जाने के दौरान सीआरपीएफ के हर मुवमेंट के लिए नए फीचर्स और नियमों को लागू किया गया है.


बीते रविवार को सीआरपीएफ के डीजी राजीव राय भटनागर ने भी मीडिया से बात करते हुए कहा था कि सीआरपीएफ ने अब स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रॉसिजर (एसओपी) में बदलाव करने का फैसला किया है. सीआरपीफ काफिलों के गुजरने के दौरान स्थानीय ट्रैफिक कंट्रोल के साथ ही उनकी टाइमिंग का भी विशेष ख्याल रखा जाएगा. काफिले के रुकने के स्थान और मूवमेंट को लेकर अन्य सुरक्षा बलों जैसे सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ सामंजस्य स्थापित किया जाएगा.

बीते रविवार को ही इस हमले के बाद स्थिति का जायजा लेने के लिए गृह मंत्री राजनाथ सिंह श्रीनगर पहुंचे थे. राजनाथ सिंह ने भी कहा था कि अब सीआरपीएफ का काफिला गुजरते वक्त आम ट्रैफिक को बिल्कुल रोक दिया जाएगा.

बीते 14 फरवरी को पुलवामा में आतंकियों ने विस्फोटकों से भरे वाहन को सीआरपीएफ के काफिले में टकराकर हमले को हंजाम दिया था. इस हमले में सीआरपीएफ के 40 से भी ज्यादा जवान शहीद हो गए थे. सीआरपीएफ के एसओपी में बदलाव की बात देश के गृह मंत्री राजनाथ सिंह और सीआरपीएफ के डीजी राजीव राय भटनागर भी बोल चुके हैं. इस फैसले के बाद अब सीआरपीएफ का काफिला जिस एरिया से गुजरेगा उस इलाके की अब गहनता से जांच की जाएगी.

सीआरपीएफ के एक अधिकारी बातचीत में कहते हैं, ‘सीआरपीएफ के काफिले की आवाजाही को लेकर अब पहले की तुलना में काफी बदलाव किया गया है. खासकर जम्मू-कश्मीर में सीआरपीएफ की मूवमेंट को लेकर विशेष सतर्कता बरती जाएगी. स्थानीय पुलिस के साथ पूरी-तालमेल और गोपनीय तरीके से अब नई नरणनीति बना कर जवानों की मुवमेंट की जाएगी. सीआरपीएफ ने इस रणनीति पर काम करना शुरू भी कर दिया है. अब सीआरपीएफ की काफिला के साथ आम जनता की वाहनों की आवाजाही साफ तौर पर बंद कर दी गई है. इसका वायलेशन करने वालों को सख्त यहां तक की अगर जरूरत पड़ी तो शूट भी किया जा सकता है.

अधिकारी आगे कहते हैं, ‘जम्मू-कश्मीर और आतंकवादग्रस्त राज्यों में फिलहाल यह नियम लागू कर दिया गया है. इस नियम के लागू हो जाने के बाद पैरामिलिट्री फोर्सेज की गाड़ियों के साथ कोई भी आम नागरिकों की गाड़ियां चलने की इजाजत नहीं दी जाएगी. आम जनता की इमरजेंसी सेवाओं और विशेष परिस्थिति में भी काफी जांच-परख के बाद ही काफिले के साथ चलने की परमिशन मिल पाएगी.’

सीआरपीएफ को हवाई सेवा नहीं उपलब्ध कराने को लेकर हो रही आलोचना के बाद केंद्र सरकार ने दिल्ली-श्रीनगर और जम्मू-श्रीनगर फ्लाइट्स की संख्या में बढ़ोतरी करने का भी आदेश जारी कर दिया है. ऐसे में कहा जा रहा है कि अब हफ्ते में सातों दिन या फिर कम से कम चार-पांच दिन फ्लाइट्स आ-जा सकेंगी.

सीआरपीएफ के एक अधिकारी के मुताबिक, ‘पिछले काफी समय से इस तरह की घटना नहीं घटी थी, इसलिए इस तरह के नियम की आवश्यकता महसूस नहीं की जा रही थी. अब क्योंकि बड़ी घटना घट गई है और हमलोग नहीं चाहते हैं कि भविष्य में पुलवामा की तरह ही कोई और घटना घटे, इसलिए यह कदम उठाए गए हैं. अब सेना के जवानों के तर्ज पर ही सीआरपीएफ के जवानों को भी एयरलिफ्ट किया जाएगा. हमलोग पहले भी सेना के विमानों या हेलिकॉप्टर के द्वारा जवानों को एयरलिफ्ट करते रहे हैं, मगर इस घटना के बाद हमलोग अब विशेष सतर्कता बरत रहे हैं.’

पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर कायराना हमले के बाद देश में शहीद हुए जवानों की कुर्बानियों को याद किया जा रहा है लेकिन, कुछ परिजनों ने फ़र्स्टपोस्ट के साथ बातचीत में अपनी नाराजगी भी जाहिर की है. उन परिजनों का कहना है कि शहीद होने पर अर्द्धसैनिक बल के जवानों को तो शहीद कहा जाता है, लेकिन शहीद का दर्जा नहीं दिया जाता. सरकार को चाहिए कि शहीद बेटों में कोई फर्क नहीं किया जाए और देश के लिए शहादत देने वाले हर जवान को शहीद का दर्जा मिलना चाहिए.

कुछ पूर्व सैनिकों का भी मानना है कि देश के अर्द्धसैनिक बल भी सैनिकों की तरह ही जी-जान से देश की रक्षा करते हैं. कश्मीर से लेकर उत्तर-पूर्वी और नक्सल प्रभावित राज्यों और देश के बंदरगाह-एयरपोर्ट और दूसरे महत्वपूर्ण स्थानों पर अर्धसैनिक बल सेना की तरह कंधे से कंधा मिलाकर अपना कर्तव्य निभाते हैं. ऐसे में इन लोगों को भी शहीद का दर्जा मिलना चाहिए.

बता दें कि देश के लिए बलिदान देने वाले अर्द्धसैनिक बलों जैसे CRPF, BSF, CISF, ITBP, RAF, COBRA और NSG के जवानों को शहादत के बाद भी सेना की तर्ज पर शहीद का दर्जा और उनकी पत्नियों और परिवार को शहीद परिवार वाली सभी सुविधाएं नहीं दी जाती हैं.

केंद्र सरकार ने पुलवामा हमले के बाद अर्द्धसैनिक बलों की इन मांगों पर भी विचार करने का आश्वासन दिया है. सोमवार को पुलवामा हमले पर आगे की रणनीति तय करने के लिए केंद्र सरकार ने एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, जिसमें पार्टियां केंद्र सरकार के साथ खड़ी दिखाई दीं. सर्वदलीय बैठक में एक प्रस्ताव पास किया गया, जिसमें देश से आतंकवाद के खात्मे की बात कही गई. विपक्षी पार्टियों ने इस मुहिम में केंद्र सरकार का समर्थन किया तो केंद्र सरकार ने भी कहा कि वो जम्मू-कश्मीर में शांति बहाली के लिए प्रतिबद्ध है.