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सरकारी तेल और गैस कंपनियों के विलय की तैयारी

विलय के बाद ओएनजीसी दुनिया की बड़ी वैश्विक कंपनियों की प्रतिस्पर्धा करने लगेगी

IANS

सरकार ने सरकारी तेल और गैस कंपनियों को मिलाकर एक कंपनी बनाने का फैसला किया है. सरकार दो से तीन एकीकृत इकाइयां बनाने पर विचार कर रही है. एक ऊर्जा विशेषज्ञ ने यह जानकारी दी है.

पेट्रोलियम मामलों के जानकर नरेंद्र तनेजा ने कहा, 'ऐसा लग रहा है कि सरकार ओएनजीसी की अगुवाई में एकीकृत कंपनी के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ रही है. वहीं, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन दूसरी बड़ी एकीकृत कंपनी हो सकती है. गेल को प्राकृतिक गैस क्षेत्र में एक अलग कंपनी बना सकती है.'


वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट प्रस्तावों में तेल कंपनियों को मिलाने की बात कही थी. जानकारी के मुताबिक तेल खनन कंपनी ओएनजीसी 44 हजार करोड़ रुपए में एचपीसीएल को खरीदने वाली है.

विलय से ओएनजीसी 6700 अरब रुपए की कंपनी बन जाएगी

तनेजा ने कहा, 'ऐसा ओएनजीसी की बैलेंस शीट को मजबूत करने के लिए किया जा रहा है, ताकि वह दुनिया की बड़ी वैश्विक कंपनियों से प्रतिस्पर्धा कर सके. इस विलय के बाद ओएनजीसी 6700 अरब रुपए (लगभग 100 अरब डॉलर) की कंपनी बन जाएगी.'

सरकार का मानना है कि ज्यादा बड़ी कंपनी बनने से कंपनी की वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल, प्रौद्योगिकी, शोध और विकास की विशेषज्ञता आदि खरीदने में और सौदेबाजी की क्षमता बढ़ेगी. साथ ही कंपनी तेजी से निर्णय भी ले पाएगी.

पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने बताया कि वित्त वर्ष 2017-18 के बजट में सरकार ने जो तेल कंपनियों के विलय के इरादे की घोषणा की है, उसका मतलब कई सारी कंपनियों का गठन करना है.

तनेजा ने कहा, 'सरकार अगर कंपनियों के विलय का फैसला करती है तो यह अच्छा कदम होगा. लेकिन एचपीसीएल की स्वायत्तता बरकरार रखनी चाहिए क्योंकि इसकी कार्य संस्कृति ओएनजीसी से बिल्कुल अलग है.'