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न्यायपालिका में दखल दे रही है मोदी सरकार : शरद यादव

उन्होंने कहा न्यायमूर्ति जोसेफ के मामले में सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीशों को बैठक कर इस स्थिति पर विचार करना चाहिए

Bhasha

वरिष्ठ समाजवादी नेता शरद यादव ने सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए कोलेजिम द्वारा प्रस्तावित जस्टिस  के. एम. जोसेफ के नाम पर केंद्र सरकार की ओर से मंजूरी नहीं दिए जाने को न्यायपालिका के क्षेत्राधिकार में हस्तक्षेप बताया है.

यादव ने गुरूवार को संवाददाताओं को बताया कि केंद्र सरकार के रवैये से संवैधानिक संस्थाएं खतरे में हैं और न्यायमूर्ति जोसेफ के मामले में सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीशों को बैठक कर इस स्थिति पर विचार करना चाहिए.


उन्होंने कहा ‘यह बहुत ही गंभीर मामला है और मैं सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों से अनुरोध करूंगा कि वे एकजुट होकर स्थिति पर विचार करें जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि न्यायपालिका में लोगों का विश्वास बरकरार है.’

उल्लेखनीय है कि कोलेजियम ने उत्तराखंड के चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति जोसेफ और वरिष्ठ वकील इन्दु मल्होत्रा को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बनाए जाने की सरकार से अनुशंसा की थी. सरकार ने मल्होत्रा के नाम को मंजूरी दे दी लेकिन जस्टिस जोसेफ के नाम पर कोलेजियम से फिर से विचार करने का अनुरोध किया है.

यादव ने कहा कि मोदी सरकार सत्ता में चार साल बीतने के बाद भी चुनाव पूर्व किेए गए वादे पूरे करने में नाकाम रही है. उन्होंने कहा कि बेकाबू हो चुकी मंहगाई, अल्पसंख्यकों और अनुसूचित जाति एवं जनजाति समुदायों पर बढ़ते हमले और बेरोजगारी की विकराल होती समस्या से लोगों का ध्यान हटाने के लिए सरकार तरह तरह के हथकंडे अपना रही है.

इस बीच जदयू से अलग हुए शरद गुट ने ‘लोकतांत्रिक जनता दल’ के नाम से अपनी अलग पार्टी भी बना ली है. समझा जाता है कि यादव को राज्यसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाने से जुड़ा मामला अदालत में लंबित होने के कारण वह नई पार्टी में औपचारिक तौर पर शामिल नहीं हुए हैं. पार्टी का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन आगामी 18 मई को दिल्ली में होगा. सम्मेलन में यादव पार्टी के मार्गदर्शक के रूप में शिरकत करेंगे.