view all

नस्लीय हिंसा से निपटने के लिए बनेंगे नए कानूनी प्रावधान: सरकार

बेजबरुआ समिति की सिफारिशों पर आधारित इस प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है

Bhasha

सरकार धर्म, जाति या भाषा के नाम होने वाले अपराधों को रोकने के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में नए प्रावधान जोड़ने की संभावनाओं का परीक्षण कर रही है. गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बुधवार को राज्य सभा में प्रश्नकाल के दौरान एक सवाल के जवाब में यह बात कही.

देश भर में भीड़ द्वारा पीट-पीट कर मार डालने और हाल ही में दिल्ली के क्लब में एक महिला को महज उसके परिधान के कारण प्रवेश नहीं देने की ताजा घटना के मद्देनजर नस्लीय हिंसा के बढ़ते मामलों के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में रिजिजू ने हाल ही में पूर्वोत्तर राज्य की एक महिला को दिल्ली गोल्फ क्लब में महज उसकी भिन्न वेशभूषा के आधार पर प्रवेश देने से इंकार करने की घटना को बेहद गंभीर बताया.


कानून के अभाव में कार्रवाई में हो रही है रूकावट  

हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में कोई शिकायत नहीं किए जाने के कारण प्रशासन के लिए कानूनी कार्रवाई करना बाधित हो गया. इस बीच उन्होंने देश भर में भीड़ द्वारा किसी को पीट-पीट कर मार डालने की घटनाएं देश भर में व्यापक पैमाने पर होने और मौजूदा सरकार द्वारा इसे रोकने के लिए कोई कार्रवाई नहीं करने के विपक्ष के आरोपों को भी खारिज कर दिया.

नस्लीय हिंसा से निपटने के सवाल पर रिजिजू ने कहा कि धर्म, निवास स्थान, बोली या नस्ल के आधार पर वैमनस्यता को बढ़ावा देने के मामलों से निपटने के लिए आईपीसी में धारा 153 सी और 509 ए जोड़ने का एक प्रस्ताव सरकार को मिला है.

बेजबरुआ समिति की सिफारिशों पर आधारित इस प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस बारे में राज्य सरकारों से भी परामर्श मांगा गया है. इनमें से सात राज्यों संघ शासित क्षेत्रों ने सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मौजूदा कानून की स्थिति में बदलाव करने की बात कही गई है.

रिजिजू ने पिछले तीन साल में ऐसे मामलों की बढ़ोतरी का कांग्रेस के सदस्य हुसैन दलवई द्वारा उठाए गए सवाल के जवाब में कहा कि आईपीसी में प्रस्तावित संशोधनों से पुलिस को इस तरह के मामलों से निपटने में प्रभावी अधिकार मिल सकेंगे.

यूपी में हुई है सबसे अधिक सांप्रदायिक हिंसा

एक अन्य सवाल के जवाब में रिजिजू ने कहा कि उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक हिंसा के पिछले तीन साल में 450 मामले दर्ज किए गए हैं इनमें से 162 मामले साल 2016 में, 155 मामले साल 2015 में और 133 मामले साल 2014 में सामने आये थे. वहीं महाराष्ट्र में पिछले तीन साल में सांप्रदायिक हिंसा के 270, राजस्थान में 200 और मध्य प्रदेश में 205 मामले दर्ज किए गए हैं.

गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर ने एक अन्य सवाल के लिखित जवाब में बताया कि इस साल अब तक नक्सली हिंसा में 94 लोगों की मौत हुई. उन्होंने बताया कि नक्सलियों द्वारा मारे गए ये वे आदिवासी लोग हैं जिन्हें माओवादियों ने पुलिस के मुखबिर के तौर पर चिह्नित किया था.