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गोरखपुर त्रासदी: इस साल हुई मौत के आंकड़ें पिछले साल से कम हैं

आंकड़े विपक्ष के बयानों के ठीक उलट हैं जिसमें विपक्षी पार्टियां बच्चों की मौत के आंकड़ों को काफी ज्यादा बताती हैं

Bhasha

गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत के मामलों में पिछले तीन साल की तुलना में इस साल गिरावट आर्इ है.

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भाषा को उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार बीआरडी मेडिकल कॉलेज में साल 2014 में 51 हजार 18 बच्चे भर्ती हुए थे जिनमें से 5 हजार 850 बच्चों की मौत हुई थी. अगले साल 2015 में 61 हजार 295 बच्चे भर्ती हुए थे जिनमें से 6 हजार 917 बच्चों की मौत हो गई थी.


आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल 2016 में 60 हजार 891 बच्चे मेडिकल कालेज में भर्ती हुए थे जिनमें से 6 हजार 121 बच्चों की मौत हो गई थी.

इन आंकड़ों के आधार पर अगर औसत निकाला जाए तो प्रति वर्ष बच्चों की मौत का आंकड़ा कुछ यूं निकलता है. साल 2014 में 16 बच्चे प्रतिदिन, 2015 में 19 बच्चे प्रतिदिन तथा वर्ष 2016 में 17 बच्चे प्रतिदिन मौत का शिकार हुए.

इस साल अगस्त तक प्रतिदन औसतन छह से अधिक बच्चों की मौत हुई जो यह दिखाता है कि पहले की तुलना में इस साल बच्चों की मौत के मामलों में काफी गिरावट आई है. आंकड़े विपक्ष के बयानों के ठीक उलट हैं जिसमें विपक्षी पार्टियां बच्चों की मौत के आंकड़ों को काफी ज्यादा बताती हैं.

कांग्रेस के प्रवक्ता अशोक सिंह ने आरोप लगाया कि यूपी सरकार गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत रोक पाने में नाकाम रही है. बच्चों की मौत का आंकड़ा बढ़ा है और सरकार इसको रोकने में विफल साबित हुई है.

पिछले पांच महिने में सरकार का काम

स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने इसके जवाब में कहा कि योगी सरकार पर इस तरह के आरोप लगाना गलत है. पहले की तुलना में इस साल बच्चों की कम मौतें हुई हैं. इसका कारण है कि पिछले पांच महीनों में सरकार ने अच्छा काम किया है. हमने इन्सेफेलाइटिस उपचार केंद्रों को मजबूत करते हुए बेहतर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं. हमने प्रभावकारी कदम उठाए ताकि अधिक से अधिक रोगियों का इलाज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर ही हो जाए और उन्हें बीआरडी मेडिकल कालेज की तरफ न भागना पड़े.

बीआरडी मेडिकल कॉलेज से मिली जानकारी के अनुसार इस साल जनवरी महिने में 152 बच्चों की मौत हुई, फरवरी में 122, मार्च में 159, अप्रैल में 123, मई में 139, जून में 137, जुलाई में 128 तथा अगस्त में 325 बच्चों की मौत हुई है.

सितंबर महिने के पहले दो दिन की 32 मौतों को मिला लें तो इस साल अब तक मेडिकल कॉलेज में 1 हजार 317 बच्चों की मौत हुई है.

अगस्त में ज्यादा रोगी भर्ती होते हैं

सामान्यत: अगस्त महिने में मेडिकल कॉलेज में रोगी ज्यादा भर्ती होते हैं, क्योंकि इस दौरान केवल गोरखपुर तथा आसपास के जिलों के अलावा बिहार और नेपाल तक के रोगी भर्ती होते हैं.

अगस्त 2016 में मेडिकल कॉलेज में 6 हजार 699 रोगी भर्ती हुए जिनमें से 587 रोगियों की मौत हो गई. इस प्रकार मरने वालों का आंकड़ा प्रतिदिन 19 रोगी से अधिक का था.

इसी तरह अगस्त 2015 में 6727 रोगी अस्पताल में भर्ती हुए थे जिनमें से 668 की मौत हो गई. प्रतिदिन के हिसाब से 22 से अधिक रोगी प्रतिदिन मौत का शिकार हुए. अगस्त 2014 में 5608 रोगी अस्पताल में भर्ती हुए जिनमें से 567 की मौत हो गई. इस प्रकार प्रतिदिन मौत का आंकड़ा करीब 19 रहा.

अगस्त महिने में मौतों की संख्या कम होने का कारण बताते हुए कहा गया कि 2017 में गोरखपुर के 529 गांवों में लार्वा मारने वाले कीटनाशकों का छिड़काव किया गया. इसके अलावा इस वर्ष 29 जून से 15 जुलाई तक करीब 92 लाख बच्चों को विशेष टीका दिया गया.