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गोरखपुर त्रासदी: 'मेरा बेटा मेरे सामने तड़प-तड़प कर मर गया’

बीआरडी अस्पताल में पिछले सात दिनों में इंसेफेलाइटिस से बच्चों की मौत का आंकड़ा 85 पहुंच चुका है

Ravishankar Singh

देश 70वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है लेकिन उस आजादी के जश्न को बीआरडी अस्पताल में मासूमों की टूटती सांसों ने गहरा सदमा दिया है. त्रासदी की इंतेहाई है कि आजादी के 70 साल बाद भी नौनिहालों की मौत की वजह ऑक्सीजन की कमी बनी. गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में अब भी बच्चों की मौत का सिलसिला जारी है. बीते सात दिनों में बच्चों की मौत का ये आंकड़ा 85 तक पहुंच चुका है.

सबसे ज्यादा कुशीनगर जिले के बच्चों की इंसेफेलाइटिस से मौत हुई


बीआरडी अस्पताल में सबसे ज्यादा कुशीनगर जिले के बच्चों की मौत हुई है. इस अस्पताल में सीमावर्ती बिहार और नेपाल के साथ-साथ यूपी के ही कुशीनगर, महाराजगंज, बस्ती और गोरखपुर मंडल के लोग ईलाज कराने आते हैं.

बिहार के गोपालगंज जिले के मोतीपुर गांव के रहने वाले मैनेजर राजभर बच्चे की मौत के बाद इंसाफ के लिये धरने पर बैठने को मजूबर हो गए. 11 अगस्त को राजभर का इकलौता बेटा इंसेफेलाइटिस का शिकार हो गया था.

राजभर ने फ़र्स्टपोस्ट हिंदी से बात करते हुए कहा, ‘बेटे को बुखार और पेट में दर्द की शिकायत पर भर्ती कराना पड़ा था. मेरे बेटे को ऑक्सीजन की जरूरत थी लेकिन उसकी ऑक्सीजन सप्लाई को रोक दिया गया. मेरा बच्चा मेरे सामने तड़प-तड़प कर मर गया.’

राजभर अपनी 2 साल की बेटी के साथ अभी भी बीआरडी अस्पताल में मौजूद है. वो बेटे का इलाज कराने अस्पताल आए थे लेकिन अस्पताल की लापरवाही ने उनके बेटे की जान ले ली.

सोमवार को ही महाराजगंज जिले की 9 दिन की एक बच्ची की मौत हो गई. बच्ची की मौत की वजह पीलिया बताया जा रहा है. 6 अगस्त को बच्ची का जन्म हुआ था. शनिवार को ही बच्ची को बीआरडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

इंसेफेलाइटिस की वजह से बच्ची की हुई मौत के बाद रोते-बिलखते हुए उसके परिजन

वहीं कुछ परिजनों और तीमारदारों का अस्पताल प्रशासन पर आरोप है कि इतनी बड़ी घटना होने के बावजूद डॉक्टरों और नर्सों के बर्ताव में कोई बदलाव नहीं आया है. मरीजों के परिजनों के साथ संवेदनहीन तरीके से बर्ताव करने की शिकायतें मिली हैं. जबकि रविवार को ही सीएम योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने अस्पताल का दौरा कर जायजा लिया था और कहा था कि सरकार का एक्शन मिसाल बनेगा. दौरे के तुरंत बाद ही इंसेफेलाइटिस वॉर्ड प्रभारी डॉ. कफील खान को हटा दिया गया था. उनकी जगह डॉ. भूपेंद्र शर्मा नए प्रभारी बने हैं.

मासूमों की मौत पर सियासत तेज हो गई

एक तरफ मासूमों की मौत तो दूसरी तरफ मौत पर सियासत तेज हो गई है. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मृतकों के परिवारवालों से मुलाकात की. उन्होंने पीड़ित 3 परिवारों को समाजवादी पार्टी फंड से 2-2 लाख रुपए मुआवजा देने की घोषणा की.

कांग्रेस ने बच्चों की मौत पर गोरखपुर में विरोध-प्रदर्शन किया. पूर्व सांसद कैप्टन कमल किशोर कमांडो और गोरखपुर सदर के पिछले चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी रहे राणा राहुल सिंह बीआरडी कॉलेज में धरने पर बैठ गए.

बच्चों की हुई मौत को लेकर विपक्षी दलों ने बीआरडी अस्पताल के बाहर धऱना-प्रदर्शन किया

फ़र्स्टपोस्ट हिंदी से बात करते हुए राणा राहुल सिंह ने आरोप लगाया, 'फरवरी 2017 से जुलाई 2017 तक 18 बार गैस सप्लाई करने वाली कंपनी पुष्पा सेल्स कंपनी ने बकाए को लेकर कॉलेज प्रशासन से राज्य सरकार के डीजी स्तर के अधिकारियों को चिट्ठी लिखी. डायरेक्टर हेल्थ और स्वास्थ्य मंत्री तक को इस बात की जानकारी थी. कॉलेज के प्रिंसिपल को निलंबित कर सिर्फ खानापूर्ति की गई है.’

फ़र्स्टपोस्ट के पास पुष्पा सेल्स कंपनी का वो लीगल लेटर मौजूद है जो उसने बीआरडी मेडिकल कॉलेज को बकाया नहीं जमा करने पर भेजा है. इससे साफ है कि अस्पताल की तरफ से बकाया भुगतान न करने की वजह से ऑक्सीजन की सप्लाई बंद हुई जिसका असर बाद में नौनिहालों पर पड़ा.

बीआरडी अस्पताल को ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली पुष्पा सेल्स कंपनी की ओर से बकाया भुगतान को लेकर भेजे गए लीगल नोटिस की कॉपी

ऑक्सीजन की कमी से मौत होना अक्षम्य अपराध है

गोरखपुर जिला कांग्रेस के अध्यक्ष सैयद जमाल फ़र्स्टपोस्ट हिंदी से बात करते हुए कहते हैं, ‘देखिए यह बिल्कुल ऑक्सीजन की कमी से मौत का मामला है. ऑक्सीजन की कमी से मौत होना एक अक्षम्य अपराध है. इस पर किसी को माफ नहीं किया जाना चाहिए. प्रिंसिपल की जहां तक बात आती है उन्होंने पहले ही अपना इस्तीफा सौंप दिया था. बाद में उनको निलंबित किया गया.

डॉ. राजीव मिश्रा की पत्नी डॉट पूर्णिमा शुक्ला पर भी आरोप लगाए जा रहे हैं. उनकी पत्नी पर भी कमीशनखोरी का इल्जाम लगाया जा रहा है. इस पर सख्ती से जांच होनी चाहिए. धर्म के आधार पर किसी की बर्खास्तगी, किसी का निलंबन नहीं किया जाना चाहिए.’

वहीं, यूपी के डीजीएमई के के गुप्ता ने फ़र्स्टपोस्ट हिंदी से बात करते हुए पूर्व प्रिंसिपल पर कई संगीन आरोप लगाए.  उन्होंने कहा, ‘पूर्व प्रिंसिपल राजीव मिश्रा की पूरी जिम्मेदारी थी. हमने डॉ. मिश्रा के खिलाफ नियम 111 के तहत विधायकों और जनता की शिकायत पर कार्रवाई की सिफारिश की है. जिसमें उनकी पत्नी डॉ. पूर्णिमा शुक्ला का दखल बहुत बड़ा मुद्दा रहा है. हमलोग इसकी जांच कर रहे हैं. पूर्णिमा शुक्ला लोगों से अवैध तौर पर वसूली भी करती थीं. जितने भी लीगल ट्रांजेक्शन होती थी उसकी वही सूत्रधार थीं. सामानों की खरीद में भी पूर्व प्रिंसिपल की पत्नी पर आरोप लग रहे हैं. सबकी हम लोग जांच कर रहे हैं.’

डॉ. पूर्णिमा शुक्ला (बाएं) अपने पति डॉ. राजीव मिश्रा (बीच में) के साथ

'अस्पताल में कम, नर्सिंग होम में ज्यादा समय बिताते हैं डॉक्टर'

स्थानीय लोगों ने अस्पताल में दलालों के सक्रिय होने का भी आरोप लगाया. लोगों की मानें तो दलाल डॉक्टरों से मिलीभगत कर तिमारदारों को शहर के निजी नर्सिंग होम में दाखिल कराने का दबाव बनाते हैं. लोगों ने अस्पताल के डॉक्टरों पर अस्पताल में कम और अपने नर्सिंग होम में ज्यादा समय बिताने का भी आरोप लगाया.

एक तरफ मासूमों की मौत से बेहाल परिजन हैं तो दूसरी तरफ अब वो मां-बाप हैं जो अपने बच्चे को इलाज के लिये बीआरडी लाए थे. लेकिन अब अस्पताल प्रशासन बच्चों को कहीं और दिखाने के लिए कह रहा है.

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के भीतर की जानकारियां जैसे-जैसे बाहर आ रही हैं उससे यह खुलासा हो रहा है कि अस्पताल में उपकरणों और जरूरी दवाओं की न सिर्फ कमी है बल्कि कमीशनखोरी के चलते मशीनों के रख-रखाव में भारी अनियमितता है.