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गीता और उपनिषदों ने जेल में मुझे मजबूत और सकारात्मक बनाया: सुहैब इलियासी

इलियासी ने कहा कि तिहाड़ जेल में सलाखों के पीछे अपने बुरे दिनों में हिन्दू शास्त्रों के अध्ययन से उन्हें मदद मिली

Bhasha

पूर्व टीवी एंकर सुहैब इलियासी ने जेल में रहते हुए तय किया था कि वह रोजाना नमाज अदा करेंगे. साथ ही उन्होंने शांति और ताकत के लिए श्रद्धापूर्वक भगवद्गीता और उपनिषद भी पढ़ने का फैसला किया था. इलियासी को इस महीने अपनी पत्नी की हत्या के आरोपों से बरी किया गया है.

इलियासी ने कहा कि देश में अग्रणी अपराध कार्यक्रम ‘इंडिया मोस्ट वांटेड’ से प्रसिद्धि के शिखर पर पहुंचने से लेकर वह से दिल्ली के सबसे हाई-प्रोफाइल हत्या मामलों में से एक में आरोपी बन गए और इन सबमें उनके जीवन का 18 साल गुजर गया. खुद को एक ‘धर्मपरायण मुस्लिम’ बताते हुए 52 वर्षीय इलियासी ने कहा कि तिहाड़ जेल में सलाखों के पीछे अपने बुरे दिनों में हिन्दू शास्त्रों के अध्ययन से उन्हें मदद मिली.


पत्नी की हत्या के मामले में मिली थी सजा

इलियासी को उनकी पत्नी की साल 2000 में धारदार हथियार से हमला किए जाने से हुई मौत के मामले में आजीवन करावास की सजा सुनाई गई थी. उन्हें पांच अक्टूबर को दिल्ली हाई कोर्ट ने बरी कर दिया और मामले को आत्महत्या करार दिया. इलियासी की पत्नी अंजू को 11 जनवरी 2000 को जख्मी हालत में एक अस्पताल ले जाया गया था. अस्पताल पहुंचने पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. अंजू की मां और बहन ने इलियासी के खिलाफ एक मामला दायर किया था.

इलियासी ने मीडिया को बताया, ‘जब निचली अदालत ने मुझे अभियुक्त ठहराया, एक क्षण के लिए मेरे पैरों तले की जमीन खिसक गई. हालांकि, न्यायपालिका में मेरा पूर्ण विश्वास था और आश्वस्त था कि आखिरकार सच की जीत होगी.’ उन्होंने कहा, ‘लेकिन जेल में व्यक्ति अनिश्चितता और असुरक्षा के अंतहीन इंतजार के क्षण का अनुभव करता है. उन क्षणों में मुझे भगवद्गीता और उपनिषद पढ़ने से शांति मिली.’