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कम नंबर आने से जिंदगी खत्म नहीं होती और भी होते है ऑप्शन्स

स्नेही काउंसलिंग संस्था के अब्दुल माबूद ने कई छात्राओं को आगे बढ़ने के लिए मोटिवेट किया

FP Staff

10वीं या 12वीं में कम नंबर आने की वजह से कई छात्रों को लगता है कि उनका करियर खराब हो जाएगा. हालांकि हकीकत में ऐसा नहीं है. आज सीबीएसई 10वीं का रिजल्ट आया है. ऐसे में आपको कुछ चुनिंदा उदाहरण बता रहे हैं, जिन्होंने कम नंबर पाने के बावजूद शानदार करियर बनाया.

स्नेही काउंसलिंग संस्था के अब्दुल माबूद बताते हैं कि ऐसे एक या दो नहीं दर्जनों उदाहरण हमारे पास हैं कि जिनके कम नंबर आए थे, लेकिन आज वो जिंदगी की ऊंचाईयों को छू रहे हैं.


कम नंबर लाकर अपनी पढ़ाई पूरी करने वाले कई लोग अच्छा-खासा वेतन ले रहे हैं. अब्दुल माबूद ने ऐसे ही दो उदाहरण न्यूज 18 हिन्दी के साथ साझा किए.

हार मानने के बाद भी कैसे हुई ये लड़की सक्सेस

1998 की बात है. एक दिन पहले रिजल्ट आया था. रात 11 बजे मुझे एक फोन आया. फोन करने वाली एक अच्छे परिवार की लड़की थी. पिता अधिकारी थे तो मां डॉक्टर. लड़की के चार विषयों में बहुत ही अच्छे नंबर आए थे, लेकिन एक विषय में सिर्फ पास होने लायक नंबर आए थे.

लड़की किसी भी बात को अनसुना करते हुए मरने पर उतारू थी. उसने कहा कि ‘मां डॉक्टर बनाना चाहती हैं. लेकिन मेरे नंबर कम आए हैं. अब ऐसे में जीने का क्या फायदा है.

लेकिन जब उन्हें समझाते हुए ये बताया कि सिर्फ डॉक्टर न बनने से ही जिंदगी खत्म नहीं हो जाती है और इसके अलावा बहुत सारे रास्ते हैं तो उन्हें कुछ समझ में आया.

और उसका नतीजा ये है कि आज वो लड़की एक बहुत बड़े कॉरपोरेट ग्रुप में है. 16 करोड़ रुपए सालाना वेतन मिलता है. मुंबई में एक बड़े बंगले में रहती हैं. विदेश में पढ़ाई करना चाहते थे, लेकिन आज विदेश में नौकरी कर रहे हैं.

विदेश में पढ़ाई करना चाहते थे, लेकिन आज विदेश में नौकरी कर रहे हैं

एक और किस्सा सुनाते हुए अब्दुल माबूद बताते हैं कि ये बात वर्ष 2000 की है. एक लड़के का फोन आया. मैंने फोन उठाते हुए आदतनुसार कहा कि हम आपकी क्या मदद कर सकते हैं.

उस लड़के ने तपाक से कहा कि आप मेरी कोई मदद नहीं कर सकता. आप झूठ बोल रहे हैं. मैं मरना चाहता हूं और मुझे मरने से कोई नहीं रोक सकता है. मैंने पूछा क्यों मरना चाहते हो भाई. तो बोला ये जीना भी कोई जीना है. मां-बाप ने कहा था कि अच्छे नंबर लाओगे तो विदेश पढ़ने भेज देंगे.

लेकिन मेरे तो बहुत ही कम नंबर आए हैं. अब मैं विदेश कैसे जाऊंगा. उस लड़के के एक रिश्तेदार का बेटा विदेश में पढ़ता था. वो उसकी पढ़ाई और रहन-सहन भी देख आया था विदेश जाकर.

तब मैंने उसे बहुत समझाया, और कहा कि तो क्या हुआ अगर विदेश जाकर नहीं पढ़ सकते तो. कोशिश करो और किसी दूसरे क्षेत्र में अच्छा करो. सच मानिए तो उस लड़के ने आगे की पढ़ाई दिल्ली के ही एक कॉलेज से की.

इस दौरान उसे स्कॉलरशिप मिली और वो आगे की पढ़ाई के लिए स्विटजरलैण्ड गया. आज वो लड़का एक अच्छा आर्किटेक्चर है. नौकरी भी आज वो स्विटजरलैण्ड में कर रहा है.

साभार न्यूज़ 18