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व्यंग्य: मानो गणेश का एहसान कि लड़के ने इंटर कर ली

गणेश की प्रतिभा को सलाम करने की बजाए सलाखों के पीछे पहुंचा दिया गया

Deepak Joshi

जिसका नाम ही गणेश हो..उसका प्रथम आना तो विधि का विधान है... भगवान गणेश ने 'मूषक परिक्रमा' कर भोलेबाबा से प्रथम पूजा का आशीर्वाद हासिल किया. उसके बाद से ही गणेश नाम वालों पर प्रथम आने का आशीर्वाद है.

अब अगर बिहार के गणेश ने शिक्षकों की 'गणेश परिक्रमा' कर 12वीं की परीक्षा में प्रथम स्थान हासिल कर लिया तो इसपर इतनी हायतौबा क्यों? विधि के विधान के विपरीत जाने का दुस्साहस क्यों कर रहे हैं लोग? भले ही बिहार बोर्ड का टॉपर गणेश कुमार गिरफ्तार हो गया हो,लेकिन पढ़ाई के प्रति उसके समर्पण को मेरा सलाम.


42 साल की उम्र में भी शिक्षा को लेकर ऐसा जुनून... एक हम थे. घरवालों ने बचपन में ही स्कूल में डाल दिया जिसका नतीजा ये हुआ कि 21 साल की उम्र में ही परास्नातक (पोस्ट ग्रेजुएट) करने पर मजबूर हुए. लेकिन इस बात को स्वीकार करने में मुझे कोई शर्म नहीं है कि जितनी मेहनत मैंने एमए करने के लिए नहीं की, उससे ज्यादा मेहनत गणेश ने बारहवीं की परीक्षा पास करने के लिए की.

राज्य बदला. झारखंड से बिहार आया. नाम बदला. उम्र बदली. हालांकि यहां भी उसे दोष नहीं दूंगा. उम्र 42 साल थी. एक्जाम फॉर्म में गलती से अंक आगे पीछे हो गए. इसकी वजह से 42 का 24 हो गया.

गणेश कुमार घर-परिवार, बीवी-बच्चे वाला शख्स था, लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारी पर पढ़ाई को तरजीह देता रहा. पिताजी के दिवंगत होने के बाद मेहनत-मजदूरी की. दिनभर हाड़तोड़ मेहनत और रातभर कमरतोड़ पढ़ाई. पांच-छह साल ऐसे दौर में जहां कुकुरमुत्तों की तरह उग आए फाइवस्टार प्राइवेट कॉलेज से बीटेक, एमबीए करने वाले छात्रों को 15 हजार की नौकरी नहीं मिल रही. वहां गणेश कुमार ने एक सरकारी बोर्ड पर भरोसा किया. बारहवीं को पास करना अपनी ज़िंदगी का मकसद बना लिया.

नौकरी की गारंटी नहीं होने के बावजूद 'कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन' यानि फल की चिंता किए बगैर कर्म करते रहा. क्या इसके लिए उसका सम्मान नहीं होना चाहिए? लेकिन उसने जिस सरकार और सिस्टम पर भरोसा किया उनकी कृतघ्नता देखिए. उसने गणेश कुमार को ही गिरफ्तार कर लिया. मैं तो कहता हूं इसीलिए लोग अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में नहीं डालते. एक तो टाट-पट्टी वाले स्कूल में जाओ. बिना टीचर के पढ़ाई करो. नाम, उम्र बदलने जैसा काम इतनी होशियारी से करो कि सिस्टम न पकड़ पाए और उसकी इस प्रतिभा को सलाम करने की बजाए सलाखों के पीछे पहुंचा दिया जाए तो फिर सरकार पर भरोसा क्यों करें.

बस यहीं पर मार खा गया गणेश कुमार. वो सरकार और सिस्टम के मनोविज्ञान को नहीं समझ पाया..यही वजह है कि गणेश कुमार जहां हर विषय में डिस्टिक्शन (75 फीसदी) से पास हुआ वहां मनोविज्ञान में उसके 100 में से 59 ही नंबर आए. नाशुक्रो, गणेश कुमार की कम से कम इस बात के लिए तो तारीफ कर दो कि उसने पिछली बार की टॉपर रूबी राय से ज्यादा तरक्की की है. रूबी राय को तो अपने विषय का नाम भी नहीं मालूम था पॉलिटिकल साइंस को प्रोडिगल साइंस और इसमें खाना बनाने (गृह विज्ञान) की पढ़ाई होने की बात कर रही थी.

गणेश कुमार को ये था मालूम था न कि संगीत में सुर, लय, ताल, आरोह, अवरोह, अंतरा और मुखड़ा जैसे भारी-भरकम शब्द होते हैं. बिहार की शिक्षा व्यवस्था का बाजा बजाने के लिए बिचारे के पास एक हारमोनियम और तबला भी था. यही नहीं उसके पास कॉमन सेंस भी था. जब उससे अंतरे और मुखड़े को लेकर सवाल किया गया तो उसने कॉमन सेंस से कम तो कम ये बता दिया कि सुर और ताल के बीच का जो अंतराल होता है उसे अंतरा कहते हैं और दुखभरे खाने पर मुखड़े में जो भाव आता है उसे मुखड़ा कहते हैं.

अब आप ही बताइए अंतरा में अंतराल और मुखड़े में मुखड़ा वाली ध्वनि आती है कि नहीं. संगीत घरानों के बारे में पूछे जाने पर पंडित रविशंकर और हरिप्रसाद चौरसिया का नाम गिनवा दिया. अरे आप क्या सोच रहे हैं कि उसके सारे जवाब गलत हैं. रुकिए-रुकिए इतने जल्दी किसी नतीजे पर मत पहुंचिए. गणेश कुमार ने इस बात का बिल्कुल सही जवाब दिया कि भारत की स्वर कोकिला लता मंगेशकर को कहते हैं.

कबीर दास जी कह गए थे 'सब धरती कागद करूं, लेखनी सब बनराय. सात समुद्र की मसि करूं, गुरु गुण लिखा न जाय.' अगर यहां गुरु को गणेश से बदल दिया जाए तो ये भी कहा जा सकता है कि गुरु की तरह ही गणेश की महिमा भी अपरंपार है.

आखिर में एक बात और. एक न्यूज़ चैनल के संवाददाता ने जब गणेश कुमार को गाना सुनाने के लिए कहा तो उसने 'मेरा दिल एक खाली कमरा... कमरे में कोई रहने लगा' गाया. मैं अगर उसका संगीत परीक्षक होता तो इस तरह के महान भूले-बिसरे गीत को मुख्यधारा में लाने के लिए ही गणेश कुमार को पूरे नंबर दे देता. वैसे बिहार का एक बड़ा मशहूर गाना है 'एमए में लेके एडमिशन बिटवा हमार कम्पटीशन देता है', लेकिन मैं तो ये कहता हूं कि 'इंटरमीडिएट में लेके एडमिशन गणेशवा हमार सरकारी शिक्षा व्यवस्था पर एहसान करता है.'