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हमें शर्म करनी चाहिए, दलितों को नहीं दे सके सुरक्षा: चिदंबरम

किताब 'द एसेंशियल अंबेडकर' के विमोचन के अवसर पर चिदंबरम ने दलितों पर हो रहे हमलों की बात की

IANS

पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने दलितों पर हो रहे पर हमलों पर दुख जताया. उन्होंने ने कहा कि देश में दलितों की रक्षा नहीं कर पाने से भारत के लोगों को अपना सिर शर्म से झुका लेना चाहिए.

चिदंबरम ने कहा, ‘हम सभी को शर्म से सिर झुका लेना चाहिए कि हम दलितों के उत्पीड़न को नहीं रोक पाए हैं. भारत में अंबेडकर के समय से ज्यादा कुछ बदलाव नहीं आया है.’


चिदंबरम ने मंगलवार की शाम किताब 'द एसेंशियल अंबेडकर' के विमोचन के अवसर पर इस बात पर दुख जताया है.

अंबेडकर के समय से लेकर आजतक इनकी स्थिति में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं आया है.

कार्यक्रम में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी और एनसीपी नेता शरद पवार भी मौजूद थे.

चमत्कार है वेमुला का जीवन

वेमुला के जीवन को एक चमत्कार बताते हुए चिदंबरम ने कहा कि वह एक 'दलित के रूप में पला-बढ़ा' और यह मायने नहीं रखता कि वह वास्तव में दलित था या नहीं. वह और उसके साथी उसे दलित मानते थे. हताशा में उसने खुद की जान दे दी. ऐसे में अंबेडकर के समय की तुलना में आज क्या बदला है?

पुस्तक 'द एसेंशियल अंबेडकर' में अंबेडर के लेखन के खास प्रभावशाली हिस्सों का चयन किया गया है. इसमें जाति, छुआछूत, हिंदू धर्म का दर्शन, भारतीय संविधान का निर्माण, महिलाओं की मुक्ति, भारतीय शिक्षा नीति, विभाजन आदि को शामिल किया गया है.

इस किताब का प्रकाशन रूपा पब्लिकेशन ने किया है. इसके लेखक भालचंद्र मुंगेकर हैं. मुंगेकर डॉ. अंबेडकर इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल एंड इकनॉमिक चेंज के संस्थापक अध्यक्ष हैं. वह मौजूदा समय में राज्यसभा के नामित सदस्य हैं.