view all

जस्टिस जोसेफ विवाद: वरिष्ठता को लेकर कोई लिखित नियम नहीं- SC जज

वरिष्ठता को लेकर सुप्रीम कोर्ट के जज बंटे हुए हैं. कुछ जजों का कहना है कि वरिष्ठता को लेकर कोई लिखित नियम नहीं है. ऐसे में इसे विवाद का विषय नहीं बनाया जाना चाहिए

FP Staff

उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर नियुक्त कर दिया गया है. लेकिन उनकी वरिष्ठता घटा दी गई. सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के लिए तीन जजों की लिस्ट में जस्टिस जोसेफ का नाम तीसरे नंबर पर है. सुप्रीम कोर्ट के नए जजों का शपथ ग्रहण मंगलवार को होना है.

वरिष्ठता क्रम को लेकर सुप्रीम कोर्ट के जज बंटे हुए हैं. कॉलेजियम में शामिल सुप्रीम कोर्ट के कई जज जहां केंद्र के इस कदम से नाराज हैं और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) दीपक मिश्रा से मुलाकात करने वाले हैं. वहीं, कुछ जजों का कहना है कि वरिष्ठता को लेकर कोई लिखित नियम नहीं है. ऐसे में इसे विवाद का विषय नहीं बनाया जाना चाहिए.


सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस केएम जोसेफ के अलावा जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस विनीत सरन को प्रमोट किया गया है. जस्टिस इंदिरा बनर्जी फरवरी 2002 में हाईकोर्ट की जज नियुक्त हुई थीं. जस्टिस विनीत सरण 14 फरवरी 2002 को अप्वॉइंट हुए थे. सुप्रीम कोर्ट के अघोषित नियम के मुताबिक, शीर्ष अदालत में प्रमोट होने के बाद हाईकोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज सबसे पहले शपथ लेते हैं. वरिष्ठता क्रम की बात करें तो जस्टिस केएम जोसेफ को पहले शपथ लेनी चाहिए. चूंकि नियुक्ति में उनका नाम तीसरे नंबर पर है. लिहाजा उन्हें आखिर में शपथ लेनी पड़ेगी.

वरिष्ठता पर जजों की अलग-अलग राय

वरिष्ठता के मामले में सुप्रीम कोर्ट के कई जज आम राय नहीं रखते. कुछ जजों का यह भी कहना है कि ऐसा कोई लिखित नियम नहीं है कि सबसे वरिष्ठ जज को ही सबसे पहले शपथ लेना चाहिए. पुराने उदाहरण भी बदलते रहते हैं.'

पूर्व सीजेआई जस्टिस आरएम लोधा कहते हैं कि वैसे तो कॉलेजियम जब प्रमोशन की सिफारिश करती है, तो उसी समय ऑल इंडिया सिनियॉरिटी देख ली जाती है. वही वरिष्ठता का पैमाना होता है. लेकिन, फिर भी अगर कॉलेजियम ने किसी के नाम की नियुक्ति की सिफारिश पहले की है और किसी की बाद में, तो सामान्य तौर पर सरकार पहले की गई सिफारिश को पहले नंबर पर और बाद वाली को बाद में रखती है.

जनवरी में वापस भेज दिया था जस्टिस जोसेफ का नाम

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जनवरी में जस्टिस जोसेफ का नाम केंद्र सरकार के पास भेजा था. उस वक्त सरकार ने उनका नाम यह कहकर वापस भेज दिया कि जस्टिस जोसेफ उतने सीनियर नहीं हैं. इसके बाद कॉलेजियम ने जुलाई में मद्रास हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस इंदिरा बनर्जी और ओडिशा हाईकोर्ट के जस्टिस विनीत सरण के साथ जस्टिस जोसेफ का नाम दोबारा सरकार को भेजा.

इसके बाद केंद्र ने शुक्रवार को जस्टिस जोसेफ सहित तीनों जजों की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति को हरी झंडी दी. इसके लिए जारी नोटिफिकेशन में जस्टिस जोसेफ का नाम तीसरे नंबर पर रखा गया. इससे सीजेआई बनने और किसी भी बेंच की अध्यक्षता करने की संभावनाओं पर असर पड़ेगा.

(न्यूज 18 से साभार)