भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर वाई. वी. रेड्डी ने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र पर सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक का दोहरा नियंत्रण एक समस्या है.
इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के एक कार्यक्रम में रेड्डी ने कहा कि रिजर्व बैंक कहता है कि उसके पास पर्याप्त नियामकीय शक्तियां नहीं हैं, जबकि सरकार का कहना है कि रिजर्व बैंक के पास पर्याप्त शक्तियां हैं.
उन्होंने कहा, ‘यदि नियामक और सरकार एक ही बात पर सहमत नहीं हैं और नहीं हो सकते हैं, तो सच क्या है? सच्चाई यह है कि यहां दोहरे नियंत्रण की समस्या है. नरसिम्हा समिति ने 20 साल पहले इसकी सिफारिश की थी कि इस स्थिति को खत्म करना चाहिए. लेकिन आज तक यह खत्म नहीं हुआ है.’
रोजगार सृजन पर एक सवाल के जवाब में उन्होंने एक हालिया अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का हवाला देते हुए कहा कि वैश्विक हालात लगभग ऐसे हैं कि ‘ज्यादा से ज्यादा 20 से 30% लोगों को रोजगार दिया जा सकता है, बाकी को नहीं दिया जा सकता क्योंकि प्रौद्योगिकी उसका स्थान ले लेगी.’
आने वाले समय में किसी व्यक्ति के एक सप्ताह में काम करने के दिनों की संख्या भी सीमित की जा सकती है.
रेड्डी ने उम्मीद जतायी कि आने वाले समय में उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान जैसे उत्तरी राज्य ज्यादा तरक्की हासिल करेंगे.