केंद्र सरकार ने कहा कि नए नियमों के तहत कृषि, स्वास्थ्य, आपदा राहत जैसे क्षेत्रों में ड्रोन (मानवरहित विमान) का कमर्शियल इस्तेमाल एक दिसंबर से प्रभावी होगा. लेकिन फूड आइटम्स व अन्य वस्तुओं (पेलोड) की आपूर्ति की अनुमति फिलहाल नहीं दी जाएगी. इन नियमों को सार्वजनिक करते हुए नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा, 'हमारे प्रगतिशील नियमनों से भारत निर्मित ड्रोनों के उद्योग को प्रोत्साहन मिलेगा.'
नियमन में कहा गया है कि सभी असैन्य ड्रोन परिचालन को सिर्फ दिन के समय के लिए सीमित रखा जाएगा और उड़ान सिर्फ उन्हीं जगहों तक सीमित रहेगी जहां दृश्यता (विजीबिलिटी) अच्छी रहेगी. यह क्षेत्र आमतौर पर 450 मीटर का होता है. नैनो ड्रोन्स और राष्ट्रीय तकनीकी शोध संगठन (एनटीआरओ) और केंद्रीय खुफिया एजेंसियों के ड्रोन्स के अलावा बाकी ड्रोन्स का पंजीकरण किया जाएगा और उन्हें विशेष पहचान संख्या जारी की जाएगी.
पांच तरह के ड्रोन
- नैनो ड्रोन: इसका वजन 250 ग्राम या उससे कम रहता है.
- माइक्रो ड्रोन: 250 ग्राम से 2 किलोग्राम.
- स्मॉल ड्रोन: 2 किलोग्राम से 25 किलोग्राम
- मीडियम ड्रोन: 25 किलोग्राम से 150 किलोग्राम
- लार्ज ड्रोन: 150 किलोग्राम से ज्यादा
नियम
- ड्रोन्स को हवाई अड्डों, अंतरराष्ट्रीय सीमा, तटरेखा, राज्य सचिवालय परिसर आदि के पास उड़ने की इजाजत नहीं होगी.
- ड्रोन सामरिक ठिकानों, अहम सैन्य प्रतिष्ठानों और दिल्ली में विजय चौक के आसपास भी नहीं मंडरा सकते.
- दो किलोग्राम से ऊपर के ड्रोन को उड़ान के लिए आपको लाइसेंस लेना होगा.
- लाइसेंस लेने के लिए आपकी उम्र कम से कम 18 साल होनी चाहिए.
- साथ ही आपका 10वीं पास होना जरूरी है और आपको इंग्लिश की जानकारी भी होना चाहिए.
परमिट
वैसे तो सिविल ड्रोन्स को उड़ाने के लिए डीजीसीए की अनुमति लेनी पड़ती है. लेकिन नैनो ड्रोन, माइक्रो ड्रोन समेत कुछ को उड़ाने पर रोक नहीं है.
- जिस क्षेत्र में पाबंदी न हो और बंद जगह पर नैनो ड्रोन 50 फीट (15 मीटर) से कम की ऊंचाई पर उड़ सकता है.
- वहीं माइक्रो ड्रोन 200 फीट (60 मीटर) की ऊंचाई तक उड़ सकता है. लेकिन इसके बारे में 24 घंटे में लोकल पुलिस स्टेशन को जानकारी देनी होगी.