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शर्मनाक! झारखंड में नुक्कड़ नाटक करने गई NGO की 5 महिलाओं के साथ गैंगरेप

डीआईजी ने घटना के पीछे पत्थलगड़ी समर्थकों के हाथ होने की आशंका जताई है

FP Staff

झारखंड की राजधानी रांची से सटा एक जिला है खूंटी. इस जिले के अड़की प्रखंड में एक स्वयंसेवी संस्था 'आशा किरण' के तहत जन जागरूकता कार्यक्रम चला रही पांच महिलाओं के साथ गैंग रेप किया गया है. मानव तस्करी के खिलाफ नुक्कड़ नाटक करने गई इस टीम में 11 सदस्य थे. सभी संस्था की गाड़ी से वहां गए थे. प्रखंड के एक लोकल बाजार में नुक्कड़ नाटक करने के बाद सभी लोग वहीं स्थित एक स्कूल में नाटक करने चले गए.

युवतियों के साथ गैंगरेप किया और  एमएमएस भी बनाया


इसी बाच दो मोटरसाइकिल पर सवार चार युवक आए और नाटक कर रही युवतियों को अपने साथ चलने को कहने लगे. युवतियों ने जब उन्हें इनकार किया तो युवकों ने उन्हें जबरन गाड़ी में बिठाया और जंगल की ओर ले गए. जहां उन्होंने सभी युवतियों के साथ गैंगरेप किया और एमएमएस भी बनाया गया. लगभग दो घंटे के बाद युवकों ने फिर से युवतियों को वापस स्कूल में छोड़ दिया.

हालांकि, इस दौरान नुक्कड़ नाटक करने वाली युवतियों ने किसी प्रकार का कोई जिक्र नहीं किया और न ही विद्यालय प्रबंधन को कोई जानकारी दी.

उसी शाम सभी खूंटी लौट गए. जहां युवतियों ने खूंटी में पुलिस से शिकायत की और अपने साथ हुई घटना की जानकारी दी. लेकिन, पुलिस ने टालमटोल कर मामला दर्ज नहीं किया. इसके बाद युवतियों ने रांची पुलिस मुख्यालय पर पहुंचकर डीजीपी के समक्ष अपनी आप बीती सुनाई.

पत्थलगड़ी समर्थकों के हाथ होने की आशंका 

डीजीपी के निर्देश पर खूंटी प्रशासन हरकत में आया और बुधवार रात लगभग 11 बजे खूंटी उपायुक्त सूरज कुमार और एसपी अश्विनी सिन्हा ने खूंटी थाना में मामला दर्ज कराने को लेकर पीड़िता और संस्था के लोगों के साथ मिलकर कार्रवाई शुरू की. लगभग रात 2 बजे तक थाने में दोनों बैठे रहे.

खूंटी के एसपी अश्विनी सिन्हा और डीआईजी वेनुकांत होमकर का कहना है कि दोषियों की पहचान कर ली गई है. जल्द ही उन्हें गिरफ्तार कर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी. वहीं, डीआईजी ने घटना के पीछे पत्थलगड़ी समर्थकों के हाथ होने की आशंका जताई है.

कौन होते हैं पत्थलगड़ी समर्थक?

पत्थलगड़ी समर्थक वो होते हैं, जो ये दावा करते हैं कि आदिवासियों के स्वशासन व नियंत्रण क्षेत्र में गैररूढ़ी प्रथा के व्यक्तियों के मौलिक अधिकार लागू नहीं होंगे. लिहाजा इन इलाकों में उनका स्वंतत्र भ्रमण, रोजगार-कारोबार करना या बस जाना, पूर्णतः प्रतिबंधित है. जिन क्षेत्रों में ये रहते हैं, वहां संसद या विधानमंडल का कोई भी सामान्य कानून लागू नहीं होगा. ऐसे लोगों जिनके गांव में आने से यहां की सुशासन शक्ति भंग होने की संभावना है, तो उनका आना-जाना, घूमना-फिरना वर्जित है. राशन कार्ड और आधार कार्ड आदिवासी विरोधी दस्तावेज हैं तथा आदिवासी लोग भारत देश के मालिक हैं, आम आदमी या नागरिक नहीं. ये सारी बातें संविधान का हवाला देकर पत्थरों पर उकेर दिए गए हैं. ठीक वैसे ही जैसे कहीं जाते वक्त आपको रोड किनारे पत्थरों पर रास्ते में पड़ने वाली जगहों की दूरी के बारे में लिखा होता है.