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फोर्टिस मामले में लापरवाही को लेकर दर्ज होगी FIR: अनिल विज

विज ने कहा कि साधारण शब्दों में, यह मौत नहीं बल्कि हत्या थी, विज ने कहा कि कई तरह की अनियमितताएं हुईं, प्रोटोकॉल और चिकित्सीय कर्तव्यों का पालन नहीं किया गया

Bhasha

गुड़गांव के एक अस्पताल में डेंगू से पीड़ित सात वर्षीय बच्ची की मौत और उसके अभिभावकों से ज्यादा पैसे लेने संबंधी मामले की जांच कर रही एक समिति ने पाया है कि इस मामले में अस्पताल की तरफ से कई अनियमितताएं हुई हैं. हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने बुधवार को कहा कि इस संबंध में राज्य सरकार एफआईआर दर्ज कराने की योजना बना रही है.

विज ने कहा कि साधारण शब्दों में, यह मौत नहीं बल्कि हत्या थी. जांच समिति के सदस्यों से घिरे हुए विज ने कहा कि कई तरह की अनियमितताएं हुईं, कई तरह की अनैतिक चीजें हुईं और प्रोटोकॉल और चिकित्सीय कर्तव्यों का पालन नहीं किया गया.


रद्द होगा हॉस्पिटल के ब्लड बैंक का लाइसेंसः स्वास्थ्य मंत्री विज

उन्होंने बताया कि हरियाणा का स्वास्थ्य विभाग इस निजी अस्पताल के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराएगा. इसके ब्लड बैंक का लाइसेंस भी रद्द किया जाएगा. अस्पताल द्वारा लीज पर ली हुई जमीन पर भी विचार किया जा सकता है.

विज ने दावा किया कि लड़की को जो इलाज मुहैया कराया गया था, उस पर भारी-भरकम फायदा कमाया गया. कहीं-कहीं यह फायदा 108 फीसदी से लेकर 1,737 फीसदी तक था. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि प्लेटलेट्स चढ़ाने में भी ज्यादा पैसा वसूलने की बात सामने आई है.

स्वास्थ्य मंत्री विज ने कहा कि बच्ची को अत्याधुनिक रक्षा प्रणाली एंबुलेंस मुहैया कराई जा सकती थी लेकिन उसे सामान्य एंबुलेंस मुहैया कराया गया. उन्होंने कहा कि फोर्टिस अस्पताल के डॉक्टरों के दल की तरफ से लापरवाही, कमियां, अनैतिक और अवैध कृत्य उस समय हुआ है जब मरीज को आईसीयू से एंबुलेंस में स्थानांतरित किया जा रहा था. मंत्री ने कहा कि उनका विभाग एमसीआई को इस संबंध में पत्र लिखकर अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की मांग करेगा.

विज ने कहा कि जब कोई मरीज कई दिनों से अत्याधुनिक जीवन रक्षक प्रणाली पर है और अचानक वह प्रणाली हटा ली जाती है तो मरीज और उसके परिवारवाले इस बात को नहीं जानते कि इसके परिणाम क्या होंगे. लेकिन डॉक्टर होने के नाते, उन्हें इस बात को जानना चाहिए था कि इससे अचानक मौत हो जाएगी.

इससे पहले अस्पताल ने आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया था कि मरीज के परिवार को नियमित रूप से अस्पताल के बिल के बारे में जानकारी दी जा रही थी और इस मामले में चिकित्सीय लापरवाही नहीं हुई है.

लड़की के माता-पिता ने भी जांच समिति के समक्ष अपनी बातें रखी है

एक सवाल का जवाब देते हुए विज ने कहा कि लड़की के माता-पिता ने भी जांच समिति के समक्ष अपनी बातें रखी है. उन्होंने बताया कि लड़की को डेंगू होने का पता चलने के बाद सबसे पहले उसे दिल्ली के द्वारका स्थित रॉकलैंड अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

उन्होंने कहा कि इसके बाद मरीज को डेंगू शॉक सिंड्रोम होने का पता चला. उसे गुड़गांव के फोर्टिस अस्पताल में 31 अगस्त को भर्ती कराया गया था. जब मंत्री से पूछा गया कि मरीज के माता-पिता फोर्टिस अस्पताल से बच्ची को क्यों ले जाना चाहते थे. इस पर विज ने कहा कि वह उसे दोबारा रॉकलैंड ले जाना चाहते थे, हो सकता है कि इसकी वजह पैसा हो जो वह फोर्टिस में खर्च कर रहे थे. मंत्री से जब यह सवाल किया गया कि अस्पताल पर किस धारा के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी तो उनका कहना था कि इस बारे में कानूनी सलाह ली जाएगी. लेकिन हमने यह फैसला कर लिया है कि वह लापरवाही को लेकर अस्पताल पर मामला दर्ज करेंगे.

अस्पताल ने छुपाई जानकारी

उन्होंने बताया कि डेंगू ऐसी बीमारी है जिसकी जानकारी अधिकारियों को दी जाती है लेकिन इस बारे में एफएमआरआई द्वारा इस मामले की जानकारी स्थानीय अधिकारियों को नहीं दी गई. हमारे सीएमओ ने उन्हें इस संबंध में नोटिस जारी किया है. इस तथ्य को छिपाने की वजह से एक महीने से छह महीने तक की जेल और 200 से 1,000 रुपये तक का जुर्माना भी लग सकता है.

मंत्री ने कहा कि फोर्टिस को कुछ निश्चित शर्तों पर जमीन दी गई थी. इसमें 20 फीसदी मुफ्त ओपीडी की शर्त, 10 फीसदी मुफ्त बेड और ऐसे 20 फीसदी मरीजों को जिन्हें भर्ती किया जाता है, उन्हें 70 फीसदी छूट के साथ इलाज देने की शर्त शामिल थी. लेकिन प्रथम दृष्टया इन सभी चीजों का उल्लंघन किया गया.