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पुलिस के डर से 75 फीसदी लोग दर्ज नहीं कराते शिकायत

रिपोर्ट के मुताबिक गरीबों और महिलाओं के साथ पुलिस दुर्व्यवहार करती है. इसलिए उनके साथ गलत होने पर भी वे पुलिस के पास जाने से घबराते हैं

FP Staff

हाल ही में भोपाल में एक रेप पीड़िता लड़की के शिकायत दर्ज कराने के लिए चार थानों में भटकना पड़ा. 24 घंटे के इंतजार के बाद उसका मामला दर्ज किया गया. जबकि उसकी मां पुलिस विभाग में थी. हाल यह है कि पुलिस के व्यवहार से दुःखी 75 प्रतिशत लोग शिकायत दर्ज कराने जाते ही नहीं.

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश भर में लगभग 75 प्रतिशत लोग पुलिस में शिकायत दर्ज कराने से डरते हैं. खासकर महिलाएं और कमजोर तबकों के लोग अधिक डरते हैं. नॉन रजिस्ट्रेशन ऑफ क्राइम्सः प्रॉबलम्स एंड सॉल्यूशंस नामक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है.


टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल सर्विस के शोधकर्ता डॉ अरविंद तिवारी और उनकी टीम की ओर से यह अध्ययन किया गया है. यह ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट की ओर से करवाया गया है.

इसके मुताबिक गरीबों और महिलाओं के साथ पुलिस बहुत दुर्व्यवहार करती है. इसलिए उनके साथ गलत होने पर भी वह पुलिस के पास जाने से घबराते हैं.

कार्रवाई का डर और कम मैन पावर भी है एक वजह 

इस तबके की ओर से अगर शिकायत दर्ज भी कराई जाती है तो पुलिस उसे गंभीरता नहीं लेती है. लगभग 33 प्रतिशत केस को नॉन कांसिबल ऑफेंस कैटेगरी में डाल दिया जाता है. वहीं 25 प्रतिशत मामलों को केवल डेली डायरी में दर्ज कर लिया जाता है. इसकी जांच गंभीरता से नहीं कराई जाती है.

सर्वे के मुताबिक जितने मामले पुलिस के पास पहुंचते हैं, उसमें मात्र दस प्रतिशत शिकायत ही पुलिस दर्ज करती है.

इसकी एक बड़ी वजह यह है कि पुलिस पर राजनीतिक दवाब अधिक होते हैं. अधिक मामले दर्ज होने पर उनपर कार्रवाई की जाती रही है. क्राइम ग्राफ बढ़ने पर पुलिस अधिकारी सरकार के निशाने पर आ जाते हैं. इस वजह से भी पुलिस शिकायत दर्ज करने से बचती है.

इसके साथ ही पुलिस पर लोकल नेताओं का भी दवाब होता है. जिस वजह से कई मामलों को बिना रजिस्टर्ड किए रफा-दफा कर दिया जाता है. इसके अलावा देशभर में पुलिसकर्मियों की भारी कमी है. उनके पास मैनपावर नहीं है. ऐसे में वह अधिक बोझ लेने से बचते हैं.