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गोरखपुर के बाद अब फर्रुखाबाद में 30 दिन में 49 बच्चों की मौत

दिलचस्प बात है की ये स्थिति तब है जब लोहिया अस्पताल में नवजात शिशुओं की सुरक्षा के लिए हाईटेक तकनीक से युक्त एसएनसीयू व केएमसी वार्ड स्थापित है.

FP Staff

गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के बाद अब फर्रुखाबाद में मासूमों की मौत का सिलसिला जारी है. जिले के लोहिया अस्पताल में पिछले 30 दिनों में 49 शिशुओं की मौत से हड़कंप मचा है. 49 में से अकेले 30 नवजातों की मौत सिक न्यूबॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) में हुई है.

शिशुओं की मृत्युदर के ये आंकड़े 21 जुलाई से 20 अगस्त के बीच की हैं. हालांकि इन मौतों पर डॉक्टर कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं. डॉक्टरों के मुताबिक मौतों की वजह अभी साफ नहीं है, लेकिन उनका कहना है कि  मृत्यु रेट में इजाफा हुआ है.


गौरतलब है कि शिशु-मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए सरकार की ओर से करोड़ों खर्च हो रहे हैं. जननी सुरक्षा व जननी शिशु सुरक्षा योजना के तहत टीकाकरण, आन कॉल एंबुलेंस व आशाओं की तैनाती भी है. वहीं जन-जागरूकता के नाम पर पोस्टर, बैनर, वॉल पेंटिग जैसे विभिन्न मदों में खर्च का खाता अलग है. इसके बावजूद राम मनोहर लोहिया महिला अस्पताल में 21 जुलाई से 20 अगस्त तक 49 नवजात शिशुओं की मौत होना स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल खड़े कर रहा है.

विभागीय आंकड़ों के अनुसार इस अवधि में लोहिया अस्पताल में 468 नवजात शिशुओं का जन्म हुआ. अस्पताल में प्रसव के दौरान इनमें से 19 बच्चों की मौत हुई है. इस अवधि में गंभीर रूप से बीमार 211 नवजात शिशुओं को एसएनसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया. इनमें से 30 बच्चों की मौत हो गई.

यह स्थिति तब है जबकि लोहिया अस्पातल में नवजात शिशुओं की सुरक्षा के लिए हाईटेक तकनीक से युक्त एसएनसीयू व केएमसी वार्ड स्थापित है.

इस बारे में बाल रोग विशेषज्ञ और एसएनसीयू ( सिक न्यूबोर्न केयर यूनिट) के इंचार्ज डॉ कैलाश दुल्हानी का कहना है कि इस यूनिट में अत्यंत सीरियस मरीज भर्ती होते हैं. ऐसे में 10 से 12 प्रतिशत बच्चों की मौत हो ही जाती है. इसके पीछे लापरवाही कारण नहीं है. आक्सीजन, दवाइयां आदि पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं और बच्चों की देख रेख के लिए नर्सें 24 घंटे उपलब्ध रहती हैं.

(साभार न्यूज 18)