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आलू-टमाटर उगाने वाले किसानों पर नोटबंदी की मार

कन्नौज के किसान अपने क्विंटल के क्विंटल आलू गड्ढे में डाल रहे हैं

FP Staff

नोटबंदी की मार के बीच आलू की टनों उपज बर्बाद हो रही है. कन्नौज के किसान अपने क्विंटल के क्विंटल आलू गड्ढे में डाल रहे हैं क्योंकि उन्हें खरीदार नहीं मिल रहे. मेहनत से उपजाए गये आलू के लिए उन्हें बाजार नहीं मिल रहा.

हजारों किसानों ने कोल्ड स्टोरेज होम से अपने आलू निकालकर एक बड़े गड्ढे में फेंकने का फैसला लिया है. कोल्ड स्टोरेज में भंडारित आलू की बिक्री न होने से किसानों ने इनसे मुंह मोड़ लिया है.


परेशान कोल्ड स्टोरेज मालिकों ने भी किसानों को नोटिस जारी कर आलू निकलवाने के निर्देश दे दिए हैं. परेशान किसानों और कोल्ड स्टोरेज मालिकों को समझ में नही आ रहा है कि बचे हुए भंडारित आलू का क्या करें.

कोल्ड स्टोरेज मालिकों का कहना है कि ऐसे हालात में हजारों आलू किसान पूरी तरह बर्बाद हो जाएंगे. सरकार को आलू की बर्बादी रोकने के लिए कोई रास्ता निकालना चाहिए.

कोल्ड स्टोरेज मालिक पुनीत दूबे ने कहा कि यहां आलू सिर्फ खाया जाता है. आलू को खपाने के लिए कोई फूड प्रॉसेसिंग इंडस्ट्री नहीं है. एक्सपोर्ट प्रमोशन की कोई व्यवस्था नहीं है. आलू वेफर की फैक्ट्री लगनी चाहिए. आलू पाउडर का प्लांट लगना चाहिए. खाने के अलावा आलू का और भी यूटीलाइजेशन होना चाहिए.

वहीं छत्तीसगढ़ के टमाटर किसानों को अपनी टमाटर की भरी-पूरी उपज 1 रुपये में 4 किलो के भाव से बेचने तक की नौबत आ गई है. जशपुर इलाके के किसानों ने गुस्से में आकर रोड पर टमाटर फेंक दिया. मंडी में जब खरीददारों ने 25 पैसे प्रति किलो का हिसाब रखा तो किसानों ने अपना गुस्सा जताने का ये रास्ता निकाला.