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बीजेपी शासित राज्यों में गुस्से से उबल रहा है किसान, हो रही है दूध और सब्जी की किल्लत

बीजेपी शासित दो बड़े राज्य महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में किसानों का गुस्सा उबाल मार रहा है.

FP Staff

देश भर में किसान कितना खुश है, ये किसानों द्वारा की जा रही बढ़ती हड़ताल की खबरों से पता लगाया जा सकता है. बीजेपी शासित दो बड़े राज्य महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में किसानों का गुस्सा उबाल मार रहा है और उनकी हड़ताल भी बेहद हिंसक हो चली है. किसानों की हड़ताल के कारण दोनों राज्यों की जनता को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

हड़ताल के कारण मुंबई में सब्जियां मंहगी हो गई हैं, तो कई जगह सब्जियों की किल्लत होने लगी है. वहीं मध्य प्रदेश में भी आंदोलन के तहत अनाज, दूध, फल और सब्जियों की आपूर्ति रोक रखी है.


महाराष्ट्र के नासिक जिले में सभी 15 कृषि उत्पाद बाजार कमेटियां (एपीएमसी) किसानों की राज्यव्यापी हड़ताल के पांचवें दिन बंद रही. आपको बता दें कि नासिक राज्य में फल और सब्जी उत्पादन का बड़ा केंद्र है और देश में प्याज का सबसे बड़ा उत्पादक है.

वहीं मध्यप्रदेश के किसानों ने अपने उपज के वाजिब दाम दिलाने सहित अपनी 20 मांगों को लेकर एक जून से 10 जून तक आंदोलन की घोषणा की है.

क्या है महाराष्ट्र का हाल

महाराष्ट्र में किसानों को लगातार प्रदर्शन करते पांच दिन हो चुके हैं. किसान संगठनों ने कहा था कि वे सोमवार को मुंबई सहित 'महाराष्ट्र बंद' करेंगे. किसान संगठनों की बैठक में कई प्रस्ताव पास किए गए और महाराष्ट्र बंद (मुंबई सहित) का निर्णय लिया गया था. महाराष्ट्र में बीजेपी की गठबंधन सहयोगी शिवसेना ने भी 'बंद' के आह्वान को अपना समर्थन दिया है.

नासिक और अहमदनगर सहित महाराष्ट्र विरोध का प्रमुख केन्द्र बन गया है. नासिक और अहमदनगर जैसे प्रमुख उत्पाद केन्द्रों से आपूर्ति में काफी कमी आने के कारण मुंबई सहित शहरों में सब्जियों और फलों के दामों में काफी बढ़ोतरी हुई है. वहीं पुलिस ने नासिक में किसान क्रांति मोर्चा के 50 कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया. कार्यकर्ता विक्रेताओं से अपनी दुकानें कथित तौर पर बंद करने को कह रहे थे.

क्या है मध्य प्रदेश का हाल

राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ (आरकेएमएस) ने कहा कि वह अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक 10 जून तक सूबे में किसानों का आंदोलन जारी रखेगा. किसानों ने 1 जून से शुरू हुए आंदोलन के तहत सूबे के अलग-अलग इलाकों में अनाज, दूध, फल और सब्जियों की आपूर्ति रोक रखी है. जिसकी वजह से आम जनता को काफी परेशानी हो रही है.

हिंसक हुआ आंदोलन

महाराष्ट्र की ही तरह मध्य प्रदेश में किसान बेकाबू हो रहे हैं. किसानों से जुड़े विभिन्न यूनियनों ने अपना आंदोलन जारी रखा हुआ है. पश्चिमी मध्यप्रदेश के धार, देवास, झाबुआ, मंदसौर और नीमच जिलों सहित कई स्थानों पर तोड़फोड़ और हिंसक घटनाओं की खबरें सामने आईं हैं. बताया जा रहा है कि नीमच में दो पुलिसकर्मी घायल भी हुए हैं. भड़भड़िया गांव में जाने के तमाम रास्तों पर अभियान चल रहा है. मांगे नहीं माने जाने पर प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुतले भी फूंके.

नीमच के भरभड़िया फोरलेन चौराहे पर बड़ी संख्या में किसानों ने चक्काजाम किया. वहीं जब पुलिस ने किसानों को मौके पर से हटाने की कोशिश की, तब किसानों और पुलिस के बीच जमकर पथराव हुआ. भीड़ पर काबू पाने के लिए पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर जमकर लाठिया बरसाई और भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले भी छोड़े. इस दौरान प्रदर्शनकारियों द्वारा कई दो पहिया वाहनों में भी जमकर तोड़फोड़ की.

क्या कहना है महाराष्ट्र सरकार का

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने किसानों को दिए 30 हजार करोड़ के कर्ज माफ करने का एलान किया था. लेकिन इस कर्जमाफी का किसानों के हालात पर ज्यादा असर न पड़ने की बात करके कई किसान नेता अपनी हड़ताल समाप्त नहीं कर रहे हैं.

बढ़ते आंदोलन को रोकने के लिए दोनों ही राज्यों के सीएम किसानों को शांत रहने और उनकी मांगे पूरी करने का भरोसा दिला रहा हैं. लेकिन बात बनती नजर नहीं आ रही है. महाराष्ट्र के मुख्य मंत्री देवेंद्र फडणवीस ने किसान नेताओं के साथ बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा था कि सरकार सीमांत किसानों के कर्ज माफ करेगी और इससे विदर्भ और मराठवाड़ा में 80 प्रतिशत ऐसे किसानों को लाभ होगा.

हालांकि जब प्रदर्शनकारी किसानों में से कुछ गुटों ने आंदोलन वापस लेने से इनकार किया तो फडणवीस ने आरोप लगाया कि किसानों का इस्तेमाल कर 'कुछ लोग राज्य में अराजकता उत्पन्न करने का प्रयास कर रहे हैं'. उन्होंने इसके लिए विपक्ष को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि हम अधिकतर मांगों पर सहमत हो गए हैं. कुछ लोगों का एजेंडा तय है. वे राज्य में अराजकता की स्थिति उत्पन्न करना चाहते हैं और इसलिए वे हड़ताल समाप्त नहीं करना चाहते.

क्या कहना है मध्यप्रदेश सरकार का

वहीं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आनन-फानन में मुख्यमंत्री निवास पर प्रेस कांफ्रेन्स बुलाकर कहा, मध्यप्रदेश सरकार किसानों की सरकार है. मेरी सरकार ने किसानों की समस्याओं को दूर करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएं हैं. किसान आंदोलन के दौरान जो लोग हिंसा कर रहे हैं, वे किसान नहीं बल्कि असामाजिक तत्व है. वे किसानों के आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं.

उन्होंने कहा है कि मुसीबत में किसानों के उपज को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदने के लिए मध्यप्रदेश सरकार 1,000 करोड़ रपये का 'मूल्य स्थिरीकरण कोष' की स्थापना करेगी.

क्या है किसानों की मांग

महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के किसान सड़कों पर हैं. कई जगहों पर सड़कों पर दूध बहाया जा रहा है तो कई जगह तोड़फोड़ और आगजनी हुई है. किसानों की मांग है कि राज्य में किसानों के कर्ज माफ किए जाएं. इसके अलावा किसानों की मांग है कि खेती के लिए बिना ब्याज के कर्ज मिले. 60 साल के किसानों के लिए पेंशन स्कीम लागू की जाए और एक लीटर दूध के लिए दुग्ध उत्पादकों को 50 रुपए कीमत मिले.