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किसान आंदोलन: शिवराज के लिए चुनाव के पहले बड़ी चुनौती

एक जून से प्रस्तावित किसानों के आंदोलन का केन्द्र मध्यप्रदेश बनता जा रहा है. विभिन्न किसान संगठनों ने आंदोलन दस जून तक चलाने का ऐलान किया है.

Dinesh Gupta

एक जून से प्रस्तावित किसानों के आंदोलन का केन्द्र मध्यप्रदेश बनता जा रहा है. विभिन्न किसान संगठनों ने आंदोलन दस जून तक चलाने का ऐलान किया है. पिछले साल जून माह में ही मंदसौर में किसानों ने बड़ा आंदोलन किया था. पुलिस फायरिंग में छह किसान मारे गए थे. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पुलिस फायरिंग में मारे गए किसानों की पहली बरसी पर मंदसौर में आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे. राहुल गांधी के कार्यक्रम से पहले 30 मई को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंदसौर में किसान सम्मेलन आयोजित किया है. राज्य में साल के अंत में विधानसभा के आम चुनाव होना है. धीरे-धीरे किसान चुनाव का मुख्य मुद्दा बनते जा रहे हैं.

आंदोलकारियों से प्रशासन भरवा रहा है बॉन्ड


किसान आंदोलन के केन्द्र में मंदसौर है. मंदसौर में प्याज और लहसुन की इस बार भी बंपर पैदावार हुई है. किसानों को प्याज और लहसुन के दाम दो रूपए से ज्यादा नहीं मिल पा रहे हैं.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की है कि राज्य सरकार द्वारा प्याज उत्पादक किसानों को 400 रुपये प्रति क्विंटल के मान से कृषक प्रोत्साहन राशि सीधे उनके बैंक खातों में दी जायेगी. मुख्यमंत्री ने ऋण समाधान योजना के तहत किसानों के ब्याज के 89 करोड़ रुपए भी सरकार ने माफ कर दिए हैं.

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री चौहान अपनी किसान पुत्र की छवि के आधार पर ही राज्य में विधानसभा के लगातार दो चुनाव जीतने में सफल रहे हैं. इस बार उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती किसान पुत्र की छवि बचाने की भी है. मुख्यमंत्री राज्य के किसानों को आंदोलन से दूर रखने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं. सरकार के निर्देश पर पुलिस मंदसौर सहित पूरे प्रदेश में किसान नेताओं से शंतिपूर्ण आंदोलन का बॉन्ड भरवा रही है.

प्रतीकात्मक तस्वीर

पिछले साल तत्कालीन पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के चलते ही किसान आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया था. पिछली बार की सारी चूक को इस बार ठीक करने की कोशिशें हो रही है. मंदसौर के एसपी मनोज कुमार सिंह ने जिलेभर में पुलिस बल का मूवमेंट प्रारंभ करा दिया है. गांव-गांव में एसडीओपी से लेकर टीआई, एसआई व एएसआई तक पहुंच रहे हैं.

इसके अलावा पथराव व आगजनी जैसी स्थिति में वाहनों में फोर्स को पहुंचाने की जरुरत को देखते हुए स्थानीय पुलिस लाइन में ही जुगाड़ से वज्र वाहन तैयार कराए गए है. पिकअप वाहनों में लोहे की जालियां लगाकर उसे इस तरह बनाया गया है कि वाहन के कांच सहित उसमें बैठे पुलिसकर्मी पत्थरों व अन्य तरह के हमलों से सुरक्षित रहे.

सरकार ने सभी जिलों के कलेक्टरों एवं पुलिस अधीक्षकों से कहा है कि गांव-गांव जाकर किसानों से शंति की अपील करें. खुफिया रिपोर्ट और पुलिस व प्रशासन की तैयारियों से लग रहा है कि किसानों के अंदर की आग अभी बुझी नहीं है. और रही-सही कसर भावांतर में गड़बड़ियों व अभी मंडी में प्याज व लहसुन के कम दामों ने पूरी कर दी है. चारों तरफ से आ रही रिपोर्ट और फिर कांग्रेस की एकजुटता से मैदान में उतरने को लेकर भी भाजपा आलाकमान चिंतित है.

बॉन्ड भरवाने से नाराज किसान नेता दे रहे हैं धमकी

प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में जिला प्रशासन अपनी-अपनी सुविधा से किसानों और राजनीतिक पार्टी से जुड़े नेताओं से बॉन्ड भरवा रहा है. पिछले साल मंदसौर के आंदोलन में शामिल रहे लगभग 11 हजार लोगों को बॉन्डओवर के लिए नोटिस जारी किए गए है. तामील के साथ ही रेड कार्ड भी थमाए जा रहे हैं.

राज्य के पुलिस महानिदेशक ऋषि कुमार शुक्ला ने फ़र्स्टपोस्ट से कहा कि पुलिस कोई नया काम नहीं कर रही है. सीआरपीसी में इस तरह का प्रावधान पहले से ही है. पुलिस सिर्फ इस प्रावधान के तहत शांति बनाए रखने का वचन ले रही है. शुक्ला ने कहा कि आंदोलन के दौरान बॉन्ड का उल्लंघन होता है तो राशि जब्त कर कानूनी कार्यवाही की जाएगी.

बॉन्ड के उल्लंघन पर एक साल की सजा का प्रावधान है. किसानों का आंदोलन रमजान के महीने में हो रहा है. इस कारण भी पुलिस और सरकार के सामने चुनौती ज्यादा है.

गुप्तचर शाखा के महानिरीक्षक मिलिद देउस्कर ने यह आशंका प्रकट की है कि किसान आंदोलन की आड़ में असामाजिक तत्व शांति भंग कर सकते हैं. पुलिस द्वारा भरवाए जा रहे बॉन्ड से नाराज भारतीय किसान मजदूर संघ के अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा कक्काजी ने कहा कि सरकार की इस कार्यवाही से किसान आक्रोशित हैं. सरकार ने बॉन्ड भरवाना बंद नहीं किया तो परिणाम गंभीर हो सकते हैं.

आंदोलन से पहले है मुख्यमंत्री की सभा

किसान आंदोलन से ठीक 48 घंटे पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंदसौर में बड़ी सभा कर रहे हैं. पूरा प्रशासन इस सभा में ज्यादा से ज्यादा भीड़ जुटाने की कोशिश में लगा हुआ है. मुख्यमंत्री चौहान का आरोप है कि किसान आंदोलन की आड़ में कांग्रेस राज्य में हिंसा फैलाना चाहती है. राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ने पलटवार करते हुए कहा कि सरकार राहुल गांधी की सभा को असफल करने के लिए पुलिस प्रशासन का उपयोग कर रही है.

पार्टी के कार्यकर्त्ताओं को डराया-धमकाया जा रहा है. तनाव के हालातों के बीच यह आशंका भी प्रकट की जा रही है कि मुख्यमंत्री की सभा में कतिपय तत्व शांति भंग का प्रयास कर सकते हैं. पार्टी स्तर पर मुख्यमंत्री की सभा को सफल बनाने की कोशिशें भी तेज हैं. मंदसौर-नीमच के विधायकों से कहा गया है कि उनके क्षेत्र से आने वाली भीड़ के आधार पर ही पार्टी टिकट का फैसला करेगी.

शहरों में न सब्जी आएगी और न दूध

बीते साल हुए किसान आंदोलन की तस्वीर

किसान संगठनों ने तय किया है कि एक जून से दस जून तक चलने वाले आंदोलन के दौरान गांव से दूध और सब्जी की शहरों में होने वाली सप्लाई को रोक दिया जाएगा. किसान संगठनों की इस धमकी के बाद प्रशासन लोंगों को सारी वस्तुओं की आपूर्ति आसान करने की तैयारी में जुटा है.

आंदोलन को देखते हुए जग्गाखेड़ी दुग्ध संयंत्र प्रबंधक अशोक बैरागी ने कलेक्टर एवं एसपी को पत्र लिखकर दूध वितरण के लिए जाने वाले वाहनों की सुरक्षा कराने की मांग की है. इंदौर दुग्ध संघ ने आंदोलन के दौरान दूध की आपूर्ति को सामान्य बनाए रखने के लिए 6 लाख लीटर दूध और सौ टन दूध पावडर का स्टॉक रखा है.

( लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं )