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किसानों का कर्ज हुआ सस्ता, ब्याज में 5 फीसदी तक छूट देगी सरकार

बुधवार को कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई.

FP Staff

देश के कई राज्यों में किसानों के आंदोलन के बीच केंद्र सरकार ने उन्हें राहत देने के लिए बड़ा फैसला लिया है.

सरकार ने किसानों को छोटी अवधि का कृषि ऋण सस्ती दर पर उपलब्ध कराने की योजना को वित्त वर्ष 2017-18 में भी जारी रखने का फैसला किया है. किसानों को अब चालू वित्त वर्ष के दौरान भी तीन लाख रुपए तक का अल्पावधि फसली ऋण 7 प्रतिशत की सब्सिडीयुक्त दर पर मिलेगा. इस कर्ज का समय पर नियमित भुगतान करने वाले किसानों को यह कर्ज 4 प्रतिशत पर उपलब्ध कराया जाएगा.


बैंक यह कर्ज सस्ती दर पर उपलब्ध कराते रहें इसके लिये सरकार ने 2017-18 में भी बैंकों को ब्याज सहायता जारी रखने का फैसला किया है.

प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में आज हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में 2017-18 की ब्याज सहायता योजना को मंजूरी दे दी गई.

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, 'केंद्रीय मंत्रिमंडल ने चालू वित्त वर्ष के दौरान अल्पकालिक फसली ऋण पर ब्याज सब्सिडी के लिए कुल मिलाकर 20,339 करोड़ रुपए के खर्च को मंजूरी दी है.'

अधिकारी ने कहा कि फसली कर्ज को सही समय पर लौटाने वाले किसानों को तीन लाख रुपए तक का अल्पकालिक कर्ज 4 प्रतिशत की ब्याज दर पर उपलब्ध होता रहेगा. इस व्यवस्था को जारी रखते हुए रिजर्व बैंक ने पिछले महीने बैंकों को अल्पकालिक फसली रिण पर ब्याज राहत जारी रखने को कहा था.

ब्याज सहायता जारी रखने का यह फैसला ऐसे समय में किया गया है जब कि मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र सहित देश के कई हिस्सों में कर्ज माफी के लिए किसान आंदोलन कर रहे हैं. यूपी और महाराष्ट्र की राज्य सरकारें पहले ही छोटे किसानों के कर्ज माफ करने की घोषणा कर चुकी हैं.

केन्द्र सरकार की इस योजना के तहत तीन लाख रपये तक के अल्पकालिक कृषिरिण पर बैंकों को दो प्रतिशत ब्याज सहायता उपलब्ध कराई जाती है. इस सहायता के बाद बैंकों को यह कर्ज सात प्रतिशत की सालाना ब्याज दर पर उपलब्ध कराना होता है.

इसके साथ ही इस कर्ज का सही समय पर भुगतान करने वाले किसानों को तीन प्रतिशत की अतिरिक्त ब्याज सहायता भी उपलब्ध कराई जाती है. इस सहायता के बाद किसानों को यह कर्ज चार प्रतिशत सालाना दर पर उलपब्ध होता है.

चालू वित्त वर्ष के लिये कृषि ऋण का लक्ष्य इससे पिछले वर्ष के नौ लाख रूपये से बढ़ाकर दस लाख रुपए किया गया है.

ये फैसला ऐसे समय में आया है जब दो दिन पहले ही वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि केंद्र सरकार राज्यों को किसानों के ऋण माफ करने के लिए वित्त उपलब्ध नहीं कराएगी. उन्होंने साफ किया था कि जो राज्य किसानों का ऋण माफ करना चाहते हैं उन्हें इसके लिए स्वयं संसाधन जुटाने होंगे.