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अफसरों के कहने पर फर्जी एनकाउंटर्स करता था मणिपुर पुलिस का कांस्टेबल

एनएचआरसी के आंकड़ों के मुताबिक, 2008 से 2009 के दौरान मणिपुर में सबसे ज्यादा फर्जी एनकाउंटर के मामले दर्ज किए गए हैं.

FP Staff

मणिपुर में पुलिस और अर्धसैनिक बलों की ओर से पिछले कुछ वर्षों में किए गए कथित फर्जी एनकाउंटरों की शिकायतों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जांच के आदेश दिए थे. फर्जी एनकाउंटर को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे मणिपुर के एक एनकाउंटर स्पेशलिस्ट ने चौकाने वाली जानकारियां दी हैं.

मणिपुर पुलिस में हेड कांस्टेबल हीरोजीत सिंह एनकाउंटर स्पेशलिस्ट हैं. सीएनएन न्यूज18 की एक्सक्लूसिव खबर के मुताबिक, हेड कांस्टेबल हीरोजीत सिंह ने फर्जी एनकाउंटर से जुड़े कई खुलासे किए हैं. हीरोजीत के मुताबिक, साल 2003 से 2009 के दौरान वह खुद कई फर्जी एनकाउंटर में शामिल रहे हैं.


हीरोजीत सिंह के मुताबिक, ये सभी फर्जी एनकाउंटर उनके सीनियर अधिकारियों के निर्देश पर किए गए. हीरोजीत ने फर्जी एनकाउंटर से संबंधित एफिडेविट कोर्ट में सौंपे हैं. हालांकि, फर्जी एनकाउंटर के संबंध में सीनियर अधिकारियों के आदेश के दावों से संबंधित कोई दस्तावेज देने में वह नाकाम रहे.

एनएचआरसी के आंकड़ों के मुताबिक, 2008 से 2009 के दौरान मणिपुर में सबसे ज्यादा फर्जी एनकाउंटर के मामले दर्ज किए गए हैं. फर्जी एनकाउंटर के मामलों में उत्तर प्रदेश के बाद मणिपुर का दूसरा नंबर है.

मैती की हत्या की जानकारी मुख्यमंत्री और डीजीपी को भी थी : हीरोजोत 

पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ऑफ मणिपुर के उग्रवादी संजीत मैती की हत्या के 6 साल बाद हीरोजीत सिंह ने पहली बार ये स्वीकार किया कि उन्होंने संजीत पर गोली चलाई थी. हीरोजीत सिंह के मुताबिक, 'मैंने अपने सीनियर अफसर (इंफाल के तत्कालीन एएसपी) के ऑर्डर पर पीएलए उग्रवादी के सीने में गोली दागी थी.' हीरोजीत ने यह भी दावा किया कि इस एनकाउंटर की जानकारी मणिपुर के डीजीपी और मुख्यमंत्री को भी थी.

बता दें कि 2009 में मणिपुर पुलिस के कमांडोज पर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ऑफ मणिपुर के उग्रवादी संजीत मैती की हत्या के आरोप लगे थे. बताया जाता है कि कमांडोज ने इंफाल की बीच सड़क पर मैती को तब गोलियों ने भून दिया था, जब उन्होंने सरेंडर कर दिया था. इस घटना के बाद राज्य में कई दिनों तक प्रदर्शन भी हुए थे.

2016 में दिए गए अपने एक इंटरव्यू में हीरोजीत सिंह ने दावा किया था कि वो ट्रायल कोर्ट में इस मामले पर एफिडेविट दाखिल करना चाहते थे. लेकिन, तब वकीलों ने उन्हें यह कहकर डराने की कोशिश की थी कि अगर उन्होंने कोई एफिडेविट सौंपे, तो उनके बचने की संभावना कम हो जाएगी.

हीरोजीत का कहना है कि इस मामले में कोर्ट ने एमिकस क्यूरी  भी नियुक्त किया था, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ी. हीरोजीत के मुताबिक, उन्हें अपनी पसंद का वकील तक रखने का मौका नहीं दिया गया था. हीरोजीत ने अपने हत्या की आशंका भी जताई है. उनके मुताबिक, उनकी हत्या के लिए कुछ लोग बोली भी लगा रहे हैं.

'मेरी जान को भी खतरा है' हीरोजीत

हीरोजीत सिंह के एफिडेविट के मुताबिक, "30 अप्रैल 2016 को रात 8 बजे एक टाटा पिकअप ने उनकी कार को पीछे से जोरदार टक्कर मारी. ऐसा मुझे मारने के इरादे से किया गया था. इस एक्सीडेंट में मैं गंभीर रूप से जख्मी हो गया था. मेरे शरीर पर कई जगह फैक्चर थे. इस घटना के बाद भी मुझे कई बार धमकियां मिलती रही. ऐसे में आम नागरिकों की तरह मैं भी अपनी जान के खतरे को लेकर चिंतित और डरा हुआ हूं."

हीरोजीत ने अपने एफिडेविट में सीबीआई पर भी सवाल उठाए हैं. उनके मुताबिक, जब उन्होंने इस मामले में सीबीआई से जांच की गुजारिश की, तो सीबीआई ने मामले में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई.

हीरोजीत सिंह ने अपने एफिडेविट में उन 3 या 4 डायरियों का पता लगाने की अपील की है, जो मिसिंग हैं. हीरोजीत के मुताबिक, इसमें उन्होंने हर फर्जी एनकाउंटर की डिटेल लिखी थी.

(साभार न्यूज18)