मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में एक रोचक वाकया देखने को मिला. जजों ने एक सरकारी वकील से टेलीफोन और ईमेल के बारे में पूछा कि वह इसके बारे में जानते भी हैं कि नहीं. सरकारी वकील झारखंड सरकार की तरफ से एक मामले में पक्ष रख रहे थे.
दरअसल मामला ये था कि झारखंड सरकार की तरफ से वकील तपेस कुमार सिंह किसी मामले में जस्टिस जे चेलमेश्वर और जस्टिस संजय कौल से की पीठ के सामने थे. यहां उन्होंने सुनवाई को आगे बढ़ाने का समय मांगा और कारण बताया कि इसके लिए उन्हें सरकार से राय लेनी होगी.
इसपर जस्टिस जे चेलेममेश्वर और संजय के कौल की पीठ ने कहा कि 'हमने राज्य सरकार को जवाब देने के लिए आखिरी बार दो हफ्तों तक स्थगित कर दिया. आपको निर्देश प्राप्त करने की कितनी देर तक आवश्यकता है? एक साल या दो साल?'
मामले की सुनवाई को बढ़ाने की मांग पर खीझ उठे थे जस्टिस
उन्होंने कहा '19वीं शताब्दी में ग्राहम बेल द्वारा आविष्कृत एक उपकरण है. यह पिछले 130 सालों में बहुत कुछ विकसित किया है. इसे टेलीफोन के रूप में जाना जाता है. आपको सेकंड में निर्देश मिल सकता है. आप बाहर जा सकते हैं, संबंधित अपने सचिव को फोन कर सकते हैं और कुछ मिनटों के बाद हमें बता सकते हैं. लेकिन आप अभी भी यात्रा करने के निर्देश के लिए समय मांग रहे हैं. क्या अब आपको यह बताया जाए कि टेलीफोन कैसे इस्तेमाल किया जाता है.'
इसी तरह का मामला बुधवार को जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता के पीठ के सामने आया था. यहां पूरे देश में असहाय विधवाओं की परिस्थितियों में सुधार लाने के लिए एक व्यापक योजना से संबंधित पीआईएल की सुनवाई हो रही थी.