एनआरसी के असम के कोऑर्डिनेटर प्रतीक हजेला ने कहा कि यह बहुत ही लंबी प्रक्रिया थी. 3 करोड़ से अधिक लोगों ने इसके लिए अप्लाई किया था. 6 करोड़ से अधिक दस्तावेज थे और 75000 से अधिक प्राधिकरणों ने इन्हें जारी किया था. इतनी लंबी प्रक्रिया में पहली बार में अंतिम नतीजे नहीं दिए जा सकते.
उन्होंने कहा कि सरकार ने अपना पक्ष साफ किया है कि जिन लोगों के नाम एनआरसी में नहीं हैं उन्हें न तो जेल भेजा जाएगा और न ही उन्हें डिपोर्ट किया जाएगा.
हलेजा ने कहा कि एनआरसी के फाइनल ड्राफ्ट आने के बाद भी इसकी प्रक्रिया और अंतिम नतीजों से नाखुश लोगों के पास विदेशियों के लिए बने ट्रिब्यूनल में अपील करने का अधिकार होगा.