गोमती रिवर फ्रंट घोटाले की जांच अब आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्लू) को सौंप दी गई है. योगी सरकार की सिफारिश के बाद भी सीबीआई ने इसकी जांच को लेने से इनकार कर दिया था.
लखनऊ के गोमती नगर थाने के सीओ दीपक सिंह ने बताया कि मामले में एफआईआर दर्ज कराने वाला सिंचाई विभाग बयान देने से बच रहा है. इस कारण जांच आगे नहीं बढ़ पा रही है. इसे देखते हुए उन्होंने जांच ईओडब्ल्यू को भेज दी है.
बीते जून महीने में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोमती रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी. लेकिन सीबीआई ने इसकी जांच लेने से इनकार कर दिया था.
नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना की अध्यक्षता में गठित कमेटी की रिपोर्ट के बाद यह सिफारिश की गई. इतना ही नहीं न्यायिक जांच में दोषी मिले अफसरों के खिलाफ भी आपराधिक केस दर्ज कराने का फैसला किया गया.
गोमती रिवर फ्रंट में भ्रष्टाचार और पैसों के बंदरबाट का आरोप
पूर्ववर्ती अखिलेश यादव सरकार ने गोमती रिवर फ्रंट के लिए 1500 करोड़ रुपए से अधिक स्वीकृत किए थे. आरोप है कि इसमें से 95 फीसदी फंड यानी 1437 करोड़ रुपए पहले ही जारी कर दिए गए थे. इसके बावजूद प्रोजेक्ट का काम 60 फीसदी भी पूरा नहीं हुआ.
इसी साल 19 मार्च को शपथ लेने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोमती रिवर फ्रंट का निरीक्षण किया था. उन्होंने प्रोजेक्ट की स्थिति को देखकर इसपर कड़ा एतराज जताया था और मामले में न्यायिक जांच के आदेश दिए थे.
इस न्यायिक जांच में बताया गया कि प्रोजेक्ट के पैसे को ठिकाने लगाने के लिए अधिकारियों और इंजीनियरों ने जमकर हेराफेरी की.
16 जून को न्यायिक आयोग ने मुख्यमंत्री को इसकी रिपोर्ट पेश की. रिपोर्ट में कहा गया कि अधिकारियों ने पैसों के हेराफेरी के लिए जमकर आपराधिक साजिश रची.