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आतंकवाद पर बहुत हुई 'कड़ी निंदा', देश को चाहिए अब 'कड़ा एक्शन'

वो परिवार जिन्होंने अपने वीर सपूतों को देश सेवा करते हुए खोया है वो अब बदला चाहते हैं. इससे कम और कुछ नहीं

Manish Kumar

जम्मू-कश्मीर में हाल में तीन दिन के अंदर दो बड़े आतंकी हमले हुए हैं. यह दोनों हमले सेना और सुरक्षाबलों को निशाना बनाकर किए गए थे. इनमें देश के बहादुर 7 जवानों ने अपना बलिदान दिया. सेना और सुरक्षाबलों ने हमले को अंजाम देने वाले पाकिस्तान समर्थित इन आतंकवादियों को मुठभेड़ में मार गिराया.

सरकार दावा करती है कि हाल के वर्षों में राज्य में आतंकवाद में कमी आई है. लेकिन आंकड़े कुछ और ही कहते हैं. इस साल 1 जनवरी से अब तक 44 दिन में 26 जवानों ने शहादत दी है. केवल 5 फरवरी के बाद से अब तक 14 जवान शहीद हो चुके हैं.


इन हमलों से सवाल खड़ा होता है कि क्या जम्मू-कश्मीर फिर से आतंकवाद के पुराने दौर की और लौट रहा है. क्या घाटी के युवा पाकिस्तान के बहकावे में आकर फिर से बंदूक थाम रहे हैं. ऐसा कहने के पीछे वजह यहां एक के बाद एक होते आतंकी हमले हैं.

हाल के वर्षों में हुए आतंकी हमलों के ट्रेंड पर गौर करेें तो पता चलता है कि आतंकवादियों ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है. आतंकवादी जम्मू-कश्मीर में अब अधिकतर सेना और सुरक्षाबलों के कैंपों को निशाना बना रहे हैं. ऐसा करने के पीछे उनका मुख्य मकसद यह संदेश देना है कि सरकार भले आतंकवाद की कमर टूटने की बात कह रही है लेकिन उनके हौसले पस्त नहीं हुए हैं. इसे साबित करने के लिए बीते 2 साल के दौरान आतंकियों ने बार-बार सेना और सुरक्षाबलों के शिविरों पर फिदायीन हमला बोला.

जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ समय से आतंकवादी सेना और सुरक्षाबलों कोे कैंपों को अपना निशाना बना रहे हैं

सेना-सुरक्षाबलों के शिविर पर बीते 2 साल में कब-कब हुआ आतंकी हमला

22 फरवरी, 2016: पुंछ में आतंकवादी तड़के सुबह सेना के हेडक्वार्टर के पास स्थित एक रिहायशी इमारत में घुस गए. तकरीबन 12 घंटे के कड़े संघर्ष के बाद पैराकमांडो ने यहां दो घुसपैठियों को मार गिराया.

12 अक्टूबर, 2016: श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित पंपोर की सरकारी इमारत में छिपे दो आतंकवादियों को मार गिराने में सेना को 56 घंटे लगे. इस इमारत में लगभग 60 कमरे थे इसलिए आतंकियों को ढूंढकर ढेर करने में इतना समय लग गया.

29 नवंबर, 2016: जम्मू शहर के बाहरी इलाके नगरोटा में 6 कॉर्प हेडक्वार्टर में तैनात 166 आर्मी यूनिट के परिसर में आतंकवादियों ने हमला किया. इसमें 2 अधिकारी समेत 7 सैनिक शहीद हो गए.

5 मार्च, 2017: दक्षिण कश्मीर के त्राल में हिजबुल के 2 आतंकवादी भारी मात्रा में हथियार लेकर घुस आए थे. 16 घंटे से ज्यादा चली इस मुठभेड़ में सेना ने दोनों आतंकियों को मार गिराया. एक पुलिस कांस्टेबल भी इसमें शहीद हो गया था.

26 अगस्त, 2017: पुलवामा के जिला पुलिस लाइन पर जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने फिदायीन हमला बोल दिया था. इस हमले में 8 जवान शहीद हो गए थे. सेना ने हमलावर 3 आतंकियों को मार गिराया था.

3 अक्टूबर, 2017: श्रीनगर एयरपोर्ट के पास बीएसएफ कैंप पर आतंकियों ने हमला कर दिया. आतंकियों की फायरिंग मे 1 एएसआई शहीद हो गया था. सुरक्षाबलों ने एनकाउंटर कर 3 आतंकियों को ढेर कर दिया था.

1 जनवरी, 2018: पुलवामा जिले में साल के पहले दिन तड़के सीआरपीएफ कैंप पर पठानकोट एयरबेस की तर्ज पर बड़ा हमला हुआ. इसमें 5 जवान शहीद हो गए थे. लगभग 14 घंटे तक चले ऑपरेशन में 2 पाकिस्तानी आतंकियों को मार गिराया गया था.

10 फरवरी, 2018: जम्मू के बाहरी इलाके में स्थित सुंजवान आर्मी कैंप पर तड़के जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों ने धावा बोल दिया. लगभग 53 घंटे तक चले मुठभेड़ में 7 सैनिक शहीद हो गए. सेना ने जवाबी कार्रवाई में 4 आतंकियों को मार गिराया.

12 फरवरी, 2018: श्रीनगर में लश्कर के 2 आतंकवादियों ने हथियारों भरे बैग लेकर तड़के सीआरपीएफ कैंप में घुसने की कोशिश की. लेकिन वहां तैनात चौकस संतरी ने उन्हें देख लिया और उनपर फायरिंग कर दी. आतंकवादी गोलियां चलाते हुए सामने की एक इमारत में घुस गए. आतंकियों की गोली से एक जवान शहीद हो गया. सुरक्षाबलों ने 30 घंटे तक चले एनकाउंटर में दोनों आतंकियों को मार गिराया.

रक्षा मंत्री ने पाकिस्तान को भारी कीमत चुकाने की चेतावनी दी

सुंजवान हमले के बाद रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्मी कैंप का दौरा कर सीधे-सीधे पाकिस्तान को इसकी कीमत चुकाने की चेतावनी दी.

दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी हमले की कड़ी निंदा की. दरअसल राजनाथ सिंह हर आतंकी हमले के बाद ऐसी ही कड़ी निंदा करते हैं. लेकिन देश उनकी निंदा से ऊब चुका है. इससे यह धारणा बनती जा रही है कि सरकार को अपने सैनिकों और जवानों की कोई परवाह नहीं है.

वो परिवार जिन्होंने अपने वीर सपूतों को देश सेवा करते हुए खोया है वो अब बदला चाहते हैं. इससे कम और कुछ नहीं. देश भी अब सरकार से पूछ रहा कि वो कड़ा एक्शन क्यों नहीं लेती. आखिर क्या है जो उसे ऐसा करने से रोक रही है.

गृह मंत्री राजनाथ सिंह हर आतंकी हमले के बाद उसकी कड़ी निंदा करते हैं

नरेंद्र मोदी सरकार से अनुमति मिलने के बाद सशस्त्र कमांडो ने पिछले साल सितंबर में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक किया था. आधी रात को आतंकवादी शिविरों पर धावा बोलकर उन्हें तबाह कर दिया गया था. पाकिस्तान को तगड़ी मार लगी थी लेकिन फिर भी वो अपनी हरकतों से बाज नहीं आया है. भारत को नुकसान पहुंचाने और उसके खिलाफ साजिश रचने का वो कोई मौका नहीं छोड़ता है. इसी का परिणाम जम्मू-कश्मीर में बढ़े हुए यह आतंकी हमले हैं.

पाकिस्तान औसतन हर दिन 6-7 बार सीमा पर युद्ध विराम उल्लंघन करता है 

आतंकी घटनाओं में तेजी के साथ ही पाकिस्तान की ओर से एलओसी और सीमावर्ती इलाकों में लगातार युद्ध विराम का उल्लंघन किया जा रहा है. इस साल 5 फरवरी तक युद्ध विराम उल्लंघन के 240 मामले सामने आए हैं यानी हर दिन औसतन पाकिस्तान 6-7 बार ऐसी हिमाकत करता है. पाक आर्मी छोटे हथियारों से लेकर मोर्टार और यहां तक की टैंकों से भी गोलाबारी करती है. फायरिंग की आड़ में उसकी कोशिश घाटी में आतंकवादियों और जेहादियों की घुसपैठ कराकर अस्थिरता फैलाने की रहती है. मगर चौकस भारतीय जवान पाकिस्तान को इसका माकूल और करारा जवाब देते हैं.

एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पाकिस्तान की ओर से अक्सर संघर्ष विराम का उल्लंघन किया जाता है

यह सब घटनाएं इस ओर इशारा करती हैं भारत को पाकिस्तान के खिलाफ व्यावहारिक होकर एक ठोस और नई रणनीति बनाने की जरूरत है.

1989 में जब जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद ने अपना पैर पसारना शुरू किया था तो यहां की फिजां में बारूद की गंध फैल गई थी. पाकिस्तान और अलगाववादियों की शह पर आतंकवादियों ने बेकसूरों का कत्ल-ए-आम मचाया था. तब से लेकर अब तक घाटी ने खून-खराबा का एक लंबा दौर देखा है.

पाकिस्तान में 4 महीने में आम चुनाव होने हैं. वहां पाकिस्तान मुस्लिम लीग- नवाज (पीएमएल-नवाज) के नेतृत्व में एक कमजोर सरकार है. पिछले साल जुलाई में देश की सुप्रीम कोर्ट ने नवाज शरीफ को भ्रष्टाचार के मामलों में दोषी करार देकर प्रधानमंत्री पद छोड़ने को मजबूर कर दिया था. सरकार के पास आवाम को दिखाने के लिए उपलब्धियों के नाम पर कुछ खास नहीं है.

भारत और कश्मीर के नाम पर आवाम को बरगलाया जा सकता है

पाकिस्तान के अखबारों और मीडिया में सरकार की नाकामी और नाकामी की कुशासन की खबरें आए दिन आ रही हैं. ऐसे में वहां के हुक्मरान यह सोचते हैं कि भारत और कश्मीर के नाम पर जनता को बरगलाया जा सकता है जैसा वो बीते 70 वर्षों से करते रहे हैं. इसका नतीजा है कि वहां की सेना और सरकार ने आतंकवादियों को खुली छूट दे रखी है कि वो जम्मू-कश्मीर में जाकर उत्पात मचाएं और हमले करें.

नवाज शरीफ पाकिस्तान की सियासत में खुद को जिंदा रखने के लिए कश्मीर को लेकर भड़काऊ भाषण दे रहे हैं

हाल ही में नवाज शरीफ ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) का दौरा किया था. उन्होंने कश्मीर को लेकर वहां भड़काऊ भाषण दिया था. नवाज शरीफ की बेटी मरियम ने भी इस दौरान कश्मीर की आजादी के नारे लगाए.