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इबादत के लिए सार्वजनिक स्थानों पर अतिक्रमण नहीं किया जा सकता- मद्रास हाई कोर्ट

अदालत ने कहा कि लोगों को इबादत करने का अधिकार है , लेकिन वे दूसरों के लिए समस्या पैदा नहीं कर सकते

FP Staff

मद्रास हाई कोर्ट ने मंगलवार को साफ कर दिया कि इबादत के लिए सार्वजनिक स्थलों का अतिक्रमण नहीं किया जा सकता.

इसके साथ ही अदालत ने नुंगबक्कम इलाके में एक खास धर्म के कुछ लोगों की ओर से किए गए अतिक्रमण को हटाने का आदेश दिया.


अदालत ने दिए रास्तों पर लगे शामियाने हटाने के आदेश

अदालत ने पुलिस और नगर निगम के अधिकारियों को इबादत के लिए रास्ते पर लगाए गए शमियाने को हटाने को कहा.

अदालत ने कहा कि लोगों को इबादत करने का अधिकार है , लेकिन वे दूसरों के लिए समस्या पैदा नहीं कर सकते.

जनहित याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि अधिकारियों ने भवन को पूरी तरह सील कर दिया है , लेकिन कुछ लोगों ने रास्ते पर शमियाना लगाकर अतिक्रमण किया है और वे प्रार्थना कर रहे हैं.

न्यायमूर्ति एन किरुबाकरन और न्यायमूर्ति कृष्णन रामास्वामी की पीठ ने इससे पहले चेन्नई नगर आयुक्त कार्तिकेयन और चेन्नई मेट्रोपोलिटन विकास प्राधिकरण के सदस्य सचिव राजेश लाखोनी को अदालत के सामने उपस्थित होकर अनधिकृत निर्माण के खिलाफ उठाए गए कदमों के बारे में बताने को कहा था. अदालत के निर्देश के अनुसार मंगलवार को दोनों मौजूद थे.

क्या है मामला?

कुछ समय पहले गुरुग्राम में सार्वजनिक स्थानों पर नमाज पढ़ने को लेकर काफी बवाल हुआ था. हिंदु संगठनों का आरोप था कि मुस्लिम समुदाय के लोग जमीन हड़पने के लिए सार्वजनिक स्थानों पर इबादत करते हैं. इस पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा था कि नमाज मस्जिदों और ईदगाहों में ही पढ़ी जानी चाहिए, न कि सार्वजनिक जगहों पर. बाद में प्रशासन ने जुमे की नमाज के लिए कुछ जगह तय की, हालांकि कुछ संगठन फिर भी इसका विरोध करते रहे.

वहीं हरियाणा में राज्य वक्फ बोर्ड ने भी नमाज पढ़ने के लिए अपने प्लॉट का इस्तेमाल करने का फैसला किया था. बोर्ड का कहना था कि सिर्फ गुरुग्राम में उसकी 20 ऐसी जगहें हैं जिनका इस्तेमाल नमाज के लिए हो सकता है, हालांकि इनमें से कुछ जगहों पर लोगों ने कब्जा जमाया है.

(भाषा से इनपुट)