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काशी में मोदी की तस्वीर से होगा फ्रांस के राष्ट्रपति का सत्कार

फाइन आर्ट्स के इन विद्यार्थियों ने अपने जेब खर्च से पैसे बचा कर एक घर में ही मयूरेलो आर्ट नाम से एक छोटा सा वैकल्पिक स्टूडियो बनाया है

Utpal Pathak

फ्रांस के राष्ट्रपति एमानुएल मैक्रों के सोमवार को होने वाले प्रस्तावित वाराणसी दौरे के मद्देनजर जहां एक तरफ उनके भव्य स्वागत के लिए जगह-जगह विभिन्न परंपरागत  माध्यमों से काशी और भारत की संस्कृति के दृश्यावलोकन की तैयारी पूरी हो चुकी है, वहीं दूसरी तरफ काशी हिंदू विश्वविद्यालय के दृश्य कला संकाय के छात्र छात्राओं ने उनके स्वागत के लिए इस बार कुछ अनूठा और अलग किया है.  फाइन आर्ट्स के विद्यार्थियों के एक समूह ने प्रधानमंत्री की एक ऐसी तस्वीर बनाई है जो स्क्रैप और वेस्ट मेटेरियल समेत रद्दी अखबार की कतरनों से जोड़ कर बनी है.

हालांकि देश के अलग-अलग शहरों में अब तक कई कलाकारों ने अलग-अलग प्रकार की वस्तुओं से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीरें बनाई हैं जिनमें पंख से बनी तस्वीर, फूलों से बनी तस्वीर और चावल के दानों पर उकेरी गई उनके चेहरे की आकृति और रेत  पर बनाई गई आकृति के अलावा खून से बनी तस्वीर भी शामिल है.  लेकिन रद्दी अखबार और कबाड़ से बनी यह तस्वीर अपने आप में पहली और अनूठी है.  इस तस्वीर को बनाने में लगभग एक हफ्ते का समय लगा है और इस समूह ने अपनी भूमिका और भागीदारी को दिन के चौबीस घंटों के अनुपात में आपस में बांट कर अपना काम नियत समय पर पूरा किया है.


नगर निगम के सहयोग से पूरा हुआ सपना

फाइन आर्ट्स के इन विद्यार्थियों ने अपने जेब खर्च से पैसे बचा कर एक घर में ही मयूरेलो आर्ट नाम से एक छोटा सा वैकल्पिक स्टूडियो बनाया है.  इस स्टूडियो में ही वे नित नई कल्पनाओं को आकार देते हैं.  प्रधानमंत्री की इस तस्वीर को बनाने में भी इनके समूह ने एक हफ्ते तक दिन रात लगातार काम करके इस दुर्लभ तस्वीर को पूरा किया है.  इस तस्वीर को  बनाने में इन्हें नगर निगम वाराणसी का भी सहयोग प्राप्त हुआ है.

इनका यह समूह कुछ और कारणों से खास है, समूह के छात्र आनंद बताते हैं कि रद्दी अखबार से यह तस्वीर बनाने के पीछे उनकी मंशा सिर्फ इतनी थी कि वे प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय स्वच्छता  मिशन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकें. ‘हम सबने प्रधानमंत्री जी के स्वच्छ भारत मिशन  को बढ़ावा देने के लिS अपनी  प्रयोगधर्मिता का सहारा लिया और सबने मिलकर यह सोचा कि इस बार कुछ ऐसा किया जाए जिससे यह संदेश दूर-दूर तक पहुंचे.  ऐसे में इस तस्वीर को बनाने से बेहतर आइडिया और कुछ हो भी नहीं सकता था.’

वहीं दूसरी तरफ एक और कारण से यह तस्वीर खास है क्योंकि  ग्यारह छात्र-छात्राओं के इस दल में छात्राओं की संख्या सात है और छात्रों की संख्या सिर्फ चार, ऐसा इसलिए  क्योंकि इनका मानना है कि नारी सशक्तिकरण सिर्फ 33 प्रतिशत आरक्षण या 50 प्रतिशत से संभव नहीं बल्कि ऐसा तभी संभव है जब महिलाओं को पुरुषों से ज्यादा मौके मिलें.  इसी वजह से इन्होंने छात्रों की बजाय छात्राओं की कल्पना शक्ति को अधिक तरजीह देते हुए अपने समूह में अधिक छात्राओं को शामिल किया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत फ्रेंच राष्ट्रपति को उनकी बनाई तस्वीर पसंद आएगी

इस समूह की छात्राएं प्रियंका, पूजा, ज्योति, शैली, आभा और उनके अन्य साथी इस बात को लेकर आशांवित हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत फ्रेंच राष्ट्रपति को उनकी बनाई तस्वीर पसंद आएगी. प्रियंका बताती हैं ‘हमने दिन रात मेहनत सिर्फ इसलिए की है ताकि हम दुनिया भर में यह संदेश दे सकें कि हम किसे भी मामले में पीछे नहीं हैं और जरूरत पड़ने पर ऐसी ही अन्य कलाकृतियों का सृजन कर सकते हैं.

समूह के अन्य सदस्य शुभम बताते हैं कि उनका अगला सपना लोहे और अन्य वस्तुओं के कबाड़ से भारत का एक अनूठा रंगीन नक्शा बनाने का है लेकिन उस काम के लिए आने वाले खर्च के लिए धन का इंतजाम करना फिलहाल इनके लिए थोड़ा दुष्कर है.  इस समूह के सभी सदस्यों का उद्देश्य है कि वे भविष्य में भी ऐसी परंपरागत वॉल राइटिंग और अनूठी चीजों से तस्वीरें बनाकर भारत की कला और संस्कृति को दुनिया के कोने-कोने में पहुंचाएं.