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लड़कियों ने ढूंढा पान के दाग छुड़ाने का इको-फ्रेंडली तरीका, US में मिला अवॉर्ड

रामनरायन रुइया कॉलेज की आठ लड़कियों को पान के दागों को हटाने के लिए एक इको-फ्रेंडली तरीका ढूंढ निकालने के लिए अमेरिका में अवॉर्ड मिला है

FP Staff

माटुंगा के रामनरायन रुइया कॉलेज की आठ लड़कियों को रोड, रेलवे स्टेशन और बिल्डिंगों से पान के दागों को हटाने के लिए एक इको-फ्रेंडली और कम लागत वाला तरीका ढूंढ निकालने के लिए अमेरिका में अवॉर्ड मिला है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, लड़कियों की इस टीम को बॉस्टन में जेनेटिकली इंजीनियर्ड मशीन्स 2018 में गोल्ड मेडल मिला. ये टीम इस मंच पर शामिल होने आए 300 ग्लोबल टीमों में अकेली अंडरग्रेजुएट कॉलेज की टीम थी.


स्वच्छ भारत से प्रेरित होकर इन लड़कियों ने सार्वजनिक जगहों को बदसूरत करने वाले पान के दागों को मिटाने के एक कॉस्ट इफेक्टिव तरीका ढूंढने का सोचा.

इस टीम में शामिल सनिका अंब्रे ने बताया कि उन्होंने इसके लिए पता किया पान में ऐसे कौन से माइक्रोब्स और एन्जाइम्स होते हैं, जो पान के लाल रंग को एक हानिरहित रंगहीन पदार्थ में बदल सकते हैं.

इसके लिए लड़कियों ने पान बेचने वालों बात कर पता किया कि पान का ये लाल-भूरा रंग कहां से आता है. उन्हें पता चला कि पान में डाले जाने वाले चूने और कत्थे की वजह से ये रंग आता है.

टीम में शामिल दूसरी छात्रा श्रुतिका सावंत ने बताया कि उन्होंने प्रोजेक्ट के लिए सफाईकर्मियों से भी बात की और जानने की कोशिश की कि पान के दाग साफ करने में क्या दिक्कत आती है. उन्होंने क्लीनिंग प्रॉडक्ट्स बनाने वाली कंपनियों से भी बात करके ये पता लगाया कि वो किस तरह के क्लीनिंग एजेंट्स इस्तेमाल करते हैं.

टीम को अपनी रिसर्च में पता चला कि रेलवे हर रोज ट्रेनों से पान के दाग साफ करने के लिए 60,000 लीटर पानी रोज इस्तेमाल करती है. टीम के इस प्रॉडक्ट के चलते पानी की बचत भी होगी.

इस प्रोजेक्ट के लिए उन्हें डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी की ओर से 10 लाख का ग्रांट मिला था. अब वो अपने प्रोजेक्ट को और आगे ले जाना चाहती हैं. ये टीम सोशल मीडिया पर #PaanSeParshan हैशटैग से एंटी-स्पिटिंग ड्राइव भी चलाती है.