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TDP सांसद के घर छापेमारी में 6 लग्जरी कार बरामद, ईडी ने भेजा समन

चौधरी के घर पर जब्त हुए दस्तावेजों से पता चला है कि समूह 120 से अधिक कंपनियों का नियंत्रण कर रहा था और उनमें से अधिकतर चल नहीं रही थीं या उनका अस्तित्व केवल कागजों पर था

FP Staff

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने टीडीपी के सांसद वाईएस चौधरी के घर पर छापा मारा. उनके घर से ईडी ने फेरारी, रेंज रोवर और मर्सिडीज बेंज सहित 6 लक्जरी गाड़ियां सहित कई दस्तावेज भी बरामद किए हैं. चौधरी के घर और दफ्तर पर 6 हजार करोड़ रुपए के बैंक घोटाले के आरोप में छापे मारे गए. आरोप है कि चौधरी द्वारा नियंत्रित किए जा रहे 120 मुखौटा कंपनियों के जरिए ये घोटाले किए गए थे.


शुक्रवार को हैदराबाद और दिल्ली में सुजाना ग्रुप के आठ परिसर में छापेमारी के बाद एजेंसी ने कहा कि मनी लॉंडरिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत कार्रवाई की गई है. चेन्नई के ईडी और आईटी अधिकारियों ने शुक्रवार रात को सुजाना समूह के कार्यालयों में छापेमारी शुरु की और शनिवार तक सर्च ऑपरेशन जारी रखा.

निदेशालय ने कहा कि तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के वर्तमान राज्यसभा सदस्य चौधरी का हाथ सुजाना समूह की कंपनियों के पीछे है. और उसने इस बारे में साक्ष्य एकत्रित किये हैं कि ‘सुजाना समूह की विभिन्न कंपनियों के सभी निदेशकों ने उनके निर्देशन में कार्य करते हैं.’

एजेंसी ने कहा कि जो महंगी कारें जब्त की गई हैं वे मुखौटा कंपनियों के नाम से पंजीकृत हैं.

पार्टी प्रमुख और मुख्यमंत्री चंद्रबाबु नायडु के करीबी:

तेदेपा सांसद को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं पार्टी प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू का नजदीकी माना जाता है. चौधरी को 27 नवम्बर को मामले में पूछताछ के लिए तलब किया गया है.

निदेशालय ने कहा कि उसने चेन्नई स्थित कंपनी मेसर्स बेस्ट एंड क्राम्प्टन इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स लिमिटेड (बीसीईपीएल) के बैंक धोखाधड़ी मामले के सिलसिले में कंपनी (सुजाना समूह) में छापेमारी की.

उसने कहा कि चेन्नई स्थित कंपनी के खिलाफ छापेमारी में सुजाना समूह से जुड़ी कथित मुखौटा कंपनियों से संबंधित दस्तावेज मिले हैं.

निदेशालय ने एक बयान में कहा, ‘जब्त दस्तावेजों या रिकार्ड से इसकी पुष्टि हुई कि बीसीईपीएल ने सुजाना समूह की अन्य कंपनियों के साथ वाई एस चौधरी की अध्यक्षता में कार्य कर रही थीं जो कि तेदेपा के वर्तमान राज्यसभा सदस्य हैं.’

इसमें कहा गया है, ‘जांच में इसका खुलासा हुआ कि सुजाना समूह की विभिन्न कंपनियों के सभी निदेशक चौधरी के निर्देशन में कार्य करते हैं जो कि बीसीईपीएल के निदेशकों के व्यापारिक/ आवासीय परिसरों से प्राप्त ईमेल पत्राचार और संचार से प्रमाणित होता है.’

120 फर्जी कंपनियां चला रहे थे:

निदेशालय ने कहा कि इन आरोपों के प्रकाश में एजेंसी ने सुजाना समूह के आठ परिसरों पर शुक्रवार को छापे मारे जिससे ‘खुलासा हुआ कि समूह की कंपनियों द्वारा बैंकों से 5700 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी की गई.’

एजेंसी ने कहा कि दस्तावेजों से पता चला है कि समूह 120 से अधिक कंपनियों का नियंत्रण कर रहा था और उनमें से अधिकतर चल नहीं रही थीं या उनका अस्तित्व केवल कागजों पर था.

एजेंसी ने कहा कि प्रारंभिक बयानों से संकेत मिलता है कि समूह की कंपनियों को कुछ ऋण चौधरी की निजी गारंटी पर मंजूर किए गए.

(भाषा से इनपुट)