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दुर्गा पूजा पंडाल के जरिए की जा रही है कोलकाता को 'साहित्य नगरी' बनाने की मांग

साहित्यिक विरासत, विविधता और समृद्धि को देखते हुए, कोलकाता यूनेस्को द्वारा दी जाने वाली इस तरह की मान्यता के लिए सबसे मजबूत दावेदारों में से एक है

Bhasha

कोलकाता को भारत की पहली ‘साहित्य नगरी’ (सिटी ऑफ लिटरेचर) घोषित करने की अपनी मांग पर यूनेस्को का ध्यान आकर्षित करने के प्रयास में शहर के उत्तरी इलाके में दुर्गा पूजा के आयोजकों ने ‘कविगुरु शांतिनीर’ या टैगोर के ‘शांति निकेतन’ की थीम पर पूजा पंडाल बनाए हैं.

चलता बगान दुर्गा पूजा समिति ने अपने 76 साल पूरे होने पर इस साल यूनेस्को का ध्यान खींचने के लिए एक अनूठी थीम के साथ पंडाल बनाया है. इसमें उन्होंने कहा है कि कोलकाता न सिर्फ ‘सिटी ऑफ जॉय’ है बल्कि ‘सिटी ऑफ लिटरेचर’ भी है.


चलता बगान दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष संदीप भूटोरिया ने कहा, ‘पिछले साल चलता बगान ने पूजा में बंगाल के प्रमुख लेखकों और कवियों को आमंत्रित किया था. इस वर्ष हमने टैगोर थीम चुनी है क्योंकि हम चाहते हैं कि यूनेस्को कोलकाता को भारत का पहला ‘सिटी ऑफ लिटरेचर’ घोषित करे, जिसके लिए प्रयास शुरू हो चुके हैं.'

2004 में शुरू हुआ था लिटरेचर कार्यक्रम

उन्होंने कहा, ‘मेरा व्यक्तिगत तौर पर मानना है कि साहित्यिक विरासत, विविधता और समृद्धि को देखते हुए, कोलकाता यूनेस्को द्वारा दी जाने वाली इस तरह की मान्यता के लिए सबसे मजबूत दावेदारों में से एक है.’ यूनेस्को का ‘सिटी ऑफ लिटरेचर’ कार्यक्रम 2004 में शुरू किए गए जो उसके ‘क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क’ का हिस्सा है.

इसके तहत जिन शहरों को ‘सिटी ऑफ लिटरेचर’ घोषित किया गया है उनमें मिलान (इटली), बगदाद (इराक), एडिनबर्ग (स्कॉटलैंड), प्राग (चेक गणराज्य), मेलबर्न (ऑस्ट्रेलिया), ग्रनाडा और बार्सिलोना (स्पेन), डबलिन (आयरलैंड), आयोवा सिटी (अमेरिका), क्रेकोव (पोलैंड), हीडेलबर्ग (जर्मनी) और क्यूबेक (कनाडा) शामिल हैं.