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ईरान से आए एलपीजी से देश में जलेगा 'चूल्हा'

भारत अपनी घरेलू मांग को पूरा करने के लिये रसोई गैस के अतिरिक्त स्रोत पर ध्यान दे रहा है

Bhasha

एलपीजी की बढ़ती घरेलू मांग को देखते हुए भारत ने ईरान से एलपीजी आयात का निर्णय लिया है. भारत ने इसके लिए पहली बार ईरान से अनुबंध पर दस्तखत किए हैं. भारत अपनी घरेलू मांग को पूरा करने के लिये रसोई गैस के अतिरिक्त स्रोत पर ध्यान दे रहा है.


उद्योग से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां शुरू में छह महीने के लिये हर महीने 44 हजार टन एलपीजी का इंपोर्ट करेंगी.

भारत बढ़ती मांग को पूरा करने के लिये हर महीने लगभग 10 लाख टन एलपीजी का आयात करता है. सरकार की गरीब महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन दिये जाने से भी रसोई गैस की मांग बढ़ी है.

केंद्र सरकार उज्जवला योजना के तहत देश में गरीब महिलाओं को मुफ्त रसोई गैस दे रही है (फोटो: रॉयटर्स)

2016-17 में एलपीजी की खपत 9.8 फीसदी बढ़ी

2016-17 में एलपीजी की खपत 9.8 फीसदी से बढ़कर 2.16 करोड़ टन रही. इसमें से 1.1 करोड़ टन मात्रा का आयात किया गया. भारत मुख्य रूप से पश्चिम एशिया के बड़े उत्पादकों सउदी अरामको, कतर के तसवीक, अबू धाबी की नेशनल ऑयल कंपनी और कुवैत पेट्रोलियम कारपोरेशन से एलपीजी आयात करता है.

सूत्रों के अनुसार एलपीजी आयात अगले तीन साल में बढ़कर 1.6 से 1.7 करोड़ टन हो जाएगा. इसका कारण सरकार का गरीब परिवार को रसोई गैस उपलब्ध कराने के लिये कदम उठाना है.

भारत बांग्लादेश से भी एलपीजी के आयात पर विचार कर रहा है. पिछले साल मई में सरकार ने गरीब महिलाओं को मुफ्त में रसोई गैस कनेक्शन उपलब्ध कराने का कार्यक्रम शुरू किया. जिसका मकसद लकड़ी और अन्य प्रदूषण फैलाने वाले ईंधन के इस्तेमाल पर रोक लगाना है.