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यूपी चुनाव: जमीन पर पुलिस तो आसमान से ड्रोन से हो रही है पहरेदारी

15 फरवरी को होने वाले चुनाव में ज्यादा संख्या उन जिलों की है जो उत्तराखंड से सटे हैं

Ravishankar Singh

उत्तर प्रदेश में पहले और दूसरे चरण में शांतिपूर्ण चुनाव कराना चुनाव आयोग की बड़ी चुनौती है. पहले चरण में 15 जिलों के 73 विधानसभा सीटों के लिए 11 फरवरी को चुनाव होने हैं.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इन 73 सीटों के चुनाव को लेकर चुनाव आयोग काफी सजग और सतर्क है. विधानसभा चुनाव को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न कराने के लिए प्रशासन ने पूरे इलाके की किलेबंदी कर दी है.


प्रशासन की कितनी मुस्तैदी है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हर जिले में जमीन से निगरानी तो की ही जा रही है, आकाश से भी निगरानी की जा रही है. आसमान में ड्रोन की तैनाती की गई है. जमीन पर पुलिस और आसमान में ड्रोन यानी कुल मिलाकर चुनाव में खलल डालने वालों के खिलाफ किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दास्त नहीं की जाएगी.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 11 फरवरी को पहले चरण का चुनाव है तो 15 फरवरी को दूसरे चरण का चुनाव है. चुनाव आयोग ने उन जिलों में भी सावधानी बरतने का निर्देश दिया है जिन जिलों में 15 फरवरी को चुनाव होने हैं.

ड्रोन से निगरानी

15 फरवरी को होने वाले चुनाव में ज्यादा संख्या उन जिलों की है जो उत्तराखंड से सटे हैं. ऐसे में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के पुलिस अधिकारियों के बीच लगातार बैठकों का दौर चल रहा है.

मुरादाबाद, बिजनौर और रामपुर की सीमा उत्तराखंड से मिलती है. इन जिलों के सीमाओं में ज्यादातर एरिया जंगल और नदियों से सटा है, जिससे चुनाव में शराब और पैसे का आना-जाना इसी रास्ते से होने का अंदेशा लगाया जा रहा है. ऐसे में दोनो राज्यों के पुलिस के लिए यह एक चुनौती भरा कदम साबित हो रहा है.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत, मेरठ, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद जैसे इलाकों में भी पुलिस ने सर्च ऑपरेशन शुरू किया हुआ है. स्टेट पुलिस, पैरामिलट्री फोर्स मिलकर सर्च ऑपरेशन कर रही है. सर्च ऑपेरशन गांव-देहात से लेकर खेत-खलिहान तक किया जा रहा है. खेतों में भी सर्च ऑपरेशन किया जा रहा है. जमीन पर जवान तलाशी लेते हैं तो आसमान में ड्रोन के जरिए नजर रखी जा रही है.

चुनाव आयोग के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश के फर्स्ट फेज का चुनाव काफी चुनौती भरा साबित होने वाला है. ये वही क्षेत्र हैं जहां पिछले कुछ सालों में सबसे ज्यादा दंगे हुए हैं. चुनाव आयोग ने जिले के आलाधिकारी को सख्त निर्देश जारी किया है. चुनाव आयोग का कहना है कि माहौल को खराब करने की किसी भी कोशिश को कड़ाई से निबटा जाएगा.

स्थानीय खुफियातंत्र का प्रयोग  

मुजफ्फरनगर जैसे अतिसंवेदनशील जिलों में प्रशासन की कई टीमें एक साथ काम कर रही है. प्रशासन ने कुछ स्थानीय लोगों को भी सेवा ली है. जिनका काम होता है कि उम्मीदवारों और उनके कार्यकर्ताओं की हर कदम पर नजर रखना और प्रशासन को उनकी गतिविधि पर अपडेट देना.

किसी भी तरह की आपत्तिजनक बातें या सोशल साइट पर वीडियो पोस्ट करने पर तुरंत ही कार्रवाई की जा रही है. बल्क मैसेज भेजने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. बल्क मैसेज भेजने से पहले प्रशासन की मंजूरी जरूरी हो गई है.

गाजियाबाद जिले के एसएसपी दीपक कुमार फर्स्ट पोस्ट हिंदी से बात करते हुए कहते हैं, 'हमलोग कई स्तर पर काम कर रहे हैं. आपको हम यह बता नहीं पाएंगे कि हमलोग किस स्तर पर काम कर रहे हैं.

पर इतना जरूर बता रहे हैं कि जनसंवाद कार्यक्रम के तहत हमलोग गांव-गांव जा कर लोगों को आश्वस्त कर रहे हैं. अराजकतत्व को धड़-पकड़ कर रहे हैं. पुलिस की गस्त और सर्च ऑपरेशन तेज कर दिए गए हैं.'

गाजियाबाद के एसएसपी दीपक कुमार आगे कहते हैं, 'सोशल साइट पर साइबर सेल की कड़ी नजर है. हमारी टीम ने फेसबुक और वाह्टशप ग्रुप पर खास कर नजर रख रही है. किसी भी आपत्तिजनक वीडियो डालने पर साइबर सेल तुंरत कार्रवाई कर रही है.

आचार संहिता उल्लंघन करने वालों पर सख्ती से निबटा जा रहा है. नारेबाजी और प्रत्याशी के साथ वैध या अवैध शस्त्र पर प्रतिबंध लगा दिए गए हैं. पैसों को ले जाने वालों पर कड़ी नजर रखी जा रही है. नियमित तलाशी अभियान जगह-जगह चलाए जा रहे हैं.'

गौरतलब है कि पहले चरण की वोटिंग 11 फरवरी को होगी. जिसमें प्रमुख रुप से मुजफ्फरनगर, बागपत, मेरठ, गाजियाबाद और बुलंदशहर जैसे अतिसंवेदनशील जिलों में मतदान होंगे. वहीं दूसरे चरण का मतदान 15 फरवरी को होंगे. दूसरे चरण में सहारनपुर, बिजनौर, मुरादाबाद, शाहजहांपुर और संभल जैसे जिले जातिगत तौर पर काफी संवेदनशील हैं.