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ब्लैकमनी के लिए सेफ नहीं रहा अब गोल्ड!

क्या गोल्ड इंपोर्ट पर हो रहा है ब्लैकमनी पर सख्ती का असर?

Pratima Sharma

इंडस्ट्री ट्रैकर GFMS ने कहा कि पिछले साल के मुकाबले 2016 के पहले 9 महीनों में सोने का आयात 59 पर्सेंट घटा है.

इस हिसाब से अगर पूरे साल का अंदाजा लगाएं तो मुमकिन है कि इंडिया इस साल सिर्फ 400 टन गोल्ड इंपोर्ट करे. जबकि पहले इंडिया 1000 टन तक गोल्ड इंपोर्ट करता था. ज्यादा गोल्ड इंपोर्ट से हमारे फॉरेक्स रिजर्व पर दबाव बढ़ता है.


सरकार और पॉलिसी मेकर्स के लिए गोल्ड इंपोर्ट हमेशा ही गले का फांस बना रहा है. इंडिया में क्रूड ऑयल के बाद सोने का आयात सबसे ज्यादा होता है.

गोल्ड इंपोर्ट घटने का मतलब यह नहीं है कि गहनों को लेकर भारतीय महिलाओं का मोह कम हो गया है. बल्कि इसके मायने गोल्ड जैसे सेफ हेवेन में ब्लैकमनी निवेश करने से है.

गोल्ड इंपोर्ट पर काबू पाने के लिए भारत सरकार ने हर मुमकिन कोशिश की है. सरकार ने गोल्ड पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाकर 10 पर्सेंट कर दी.

इसके अलावा गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम और गोल्ड बॉन्ड स्कीम शुरू किए. एक अनुमान के मुताबिक बैंकों के लॉकर और घर की तिजोरियों में पड़े 20,000 टन गोल्ड पिघलाया गया.

ग्राहकों को फिजिकल गोल्ड से दूर रखने के लिए पेपर गोल्ड पेश किया गया. लेकिन सरकार की कोई भी जुगत काम नहीं आई.

ऐसे में लगता है कि ब्लैकमनी रोकने की सरकार की कोशिशें रंग लाई हैं. ऐसा नहीं है कि ब्लैकमनी छिपाने की सिर्फ यही एक रास्ता था लेकिन सरकार के लगातार धड़पकड़ से गोल्ड में ब्लैकमनी का निवेश जरूर घट गया है.

2 लाख रुपये से ज्यादा के गहने नकद खरीदने पर TCS (टैक्स कलेक्शन एट सोर्स) और पैन कार्ड जरूरी बनाने से गोल्ड में ब्लैक मनी लगाना घट गया है.

वैसे कुछ लोगों का यह भी कहना है कि अभी गोल्ड इंपोर्ट घटने का जश्न मनाना बेमायने है. गोल्ड पर 10 पर्सेंट इंपोर्ट ड्यूटी लगाने के खिलाफ 2016 में गोल्ड ट्रेडर्स 6 हफ्तों तक हड़ताल पर थे. इसका असर भी बिजनेस पर पड़ा है.

साथ ही गोल्ड प्राइस बढ़ने और इनकम लेवल घटने का असर भी परचेजिंग पावर पड़ा है. यहां तक कि मॉनसून बेहतर रहने और परचेजिंग पावर में रिकवरी के बावजूद गोल्ड की डिमांड नहीं बढ़ रही है. इंपोर्ट ड्यूटी से बचने के लिए बड़े पैमाने पर गोल्ड की स्मगलिंग होती है.