view all

डॉ. राममनोहर लोहिया भारतीय राजनीति के कबीर थे: राष्ट्रपति

कोविंद ने कहा कि डॉ. लोहिया ने शासकीय सेवक के लिए अर्न्तजातीय विवाह की अनिवार्यता की वकालत की थी

Bhasha

डॉ. राममनोहर लोहिया को भारतीय राजनीति का कबीर बताते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि वह सदैव वंचितों, गरीबों और समाज के अंतिम व्यक्ति को बराबरी का दर्जा और सम्मान दिलाने के लिए संघर्षरत रहे.

कोविंद ने ग्वालियर में आईटीएम यूनिवर्सिटी में चतुर्थ डॉ. राममनोहर लोहिया स्मृति व्याख्यान-2018 में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, 'डॉ. राममनोहर लोहिया भारतीय राजनीति के कबीर थे. वह सदैव वंचितों, गरीबों और समाज के अंतिम व्यक्ति को बराबरी का दर्जा और सम्मान दिलाने के लिए संघर्षरत रहे.'


उन्होंने कहा कि डॉ. लोहिया ने भारतीय प्रजातंत्र को मजबूत करने की दिशा में सदन में मजबूत विपक्ष की भूमिका का सूत्रपात किया. आचार्य कृपलानी के माध्यम से प्रथम अविश्वास प्रस्ताव लाकर डॉ. लोहिया ने संसद में बहस को नई ऊचाइयां दीं. भारतीय राजनीति में यह एक क्रांतिकारी पहल थी, जिसके फलस्वरूप देश में कांग्रेसी राजसत्ता की एकाधिकार प्रवृत्ति पर अंकुश लगा.

कोविंद ने कहा कि डॉ. लोहिया ने हमेशा अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी तथा अपनी 57 साल की आयु में 18 बार जेल भी गए.

उन्होंने कहा कि डॉ. लोहिया ने आजादी पूर्व जेलों में तरह-तरह की यातनायें सही, पर अंग्रेजी सरकार के अत्याचार भी उन्हे तोड़ नहीं सके.

लोहिया बहुत विद्वान थे

कोविंद ने कहा कि डॉ. लोहिया ने शासकीय सेवक के लिए अर्न्तजातीय विवाह की अनिवार्यता की वकालत की थी. उनका मानना था कि अर्न्तजातीय विवाहों के फलस्वरूप 50 से 100 वर्षों में भारतीय समाज में जाति प्रथा का जहर समाप्त किया जा सकेगा और भ्रष्टाचार पर भी प्रभावी रोक लगेगी.

उन्होंने कहा कि भारतवर्ष में प्रजातंत्र को मजबूत करने और समरस समाज, समता समाज तथा महात्मा गांधी के सर्वोदयी विचारों का अनुकरण करते हुये डा.राममनोहर लोहिया ने दीनदयाल उपाध्याय और बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के दलितों, वंचितों, महिलाओं और गरीबों को आगे लाने की दिशा में काम करते रहे.

कोविंद ने कहा कि डॉ. लोहिया जो स्वयं बहुत विद्वान थे और कई भाषाओं के जानकार थे, अपनी बातों को सीधी सरल भाषा में आमजन तक पहुँचाते थे. शिक्षा को लेकर उनका कथन था कि 'राजपूत- निर्धन संतान, सबकी शिक्षा एक समान'.

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने डॉ. राममनोहर लोहिया की सप्त क्रांति और वर्ष 1974 में जयप्रकाश नारायण के सम्पूर्ण क्रांति आन्दोलन की सामजस्यता समझाते हुये उन्हें भारतीय राजनीति में बदलाव का मार्ग प्रशस्त करने वाला निरूपित किया. उन्होंने रमाशंकर सिंह के कला, संस्कृति और शिक्षा के क्षेत्र में योगदान की सराहना की तथा उनसे डॉ. राममनोहर लोहिया पर फिल्म बनाने का आग्रह किया.