बिहार के बाद अब एक और धर्म आधारित विवाद सामने आया है. नया मामला देश के पूर्व राष्ट्रपति, महान वैज्ञानिक और देश को अग्नि मिसाइल देने वाले डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम से जुड़ा हुआ है. उनके स्टेच्यू के पास गीता रखने के विवाद के बीच तमिलनाडु की एक संस्था ने कहा है कि वे एक गंभीर मुसलमान नहीं थे.
वे मूर्ति पूजा करते थे. वे नंगा रहने वाले गुरुजी की भी पूजा करते थे. इसलिए वो एक मुसलमान नहीं हो सकते. इसलिए हाल ही में लगाए गए उनके स्टेच्यू के पास गीता रखना ही ठीक है. वहां कुरान शरीफ नहीं रखी जानी चाहिए.
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के बारे में इस तरह की टिप्पणी करने वाला ये फ्रिंज ग्रुप तमिलनाड़ का दहेगढ़ जमात है. इससे पहले भी ये जमात कई दूसरे लोगों के बारे में इस तरह की टिप्पणी कर चुकी है.
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को लेकर ये विवाद उनके स्टेच्यू के पास गीता रखे जाने को लेकर बढ़ा है. इसी महीने पीएम नरेन्द्र मोदी ने उनके स्टेच्यू का अनावरण किया था. इस स्टेच्यू को डीआरडीओ ने डिजाइन किया है. डॉ. कलाम एक लम्बे अर्से तक डीआरडीओ से जुड़े रहे थे.
साभार: न्यूज़18 हिंदी