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भारत ने ठुकराया ट्रंप का प्रस्ताव, पाकिस्तान से दोस्ती नहीं

आतंकवाद और हिंसा के माहौल में भारत बातचीत के लिए तैयार नहीं

Bhasha

अमेरिका की ट्रंप सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने मंगलवार को कहा है कि भारत और पाकिस्तान को अपने रिश्तों में जारी कड़वाहट को दूर करना चाहिए. अगर इसके लिए ज़रूरी हुआ तो प्रेजिडेंट डोनाल्ड ट्रंप खुद शांति प्रक्रिया में भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं. हालांकि भारत ने इस बार भी अमेरिका के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है.

भारत ने ठुकराया प्रस्ताव


भारतीय विदेश मंत्रालय ने ट्रंप के प्रस्ताव को ठुकराते हुए साफ़ कर दिया कि भारत सरकार पहले से ही कह चुकी है कि आतंकवाद और हिंसा के माहौल में बातचीत संभव नहीं है, ऐसे माहौल में द्विपक्षीय बातचीत नहीं हो सकती.

Government's position for bilateral redressal of all India-Pakistan issues in an environment free of terror and violence hasn't changed: MEA

भारत ने आगे कहा कि हम इस बात के पक्ष में हैं कि इस क्षेत्र में आतंकवाद से लड़ने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहायता और मैकेनिज्म की ज़रुरत है. हालांकि भारत के लिए अभी भी पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद ही सबसे बड़ा मुद्दा है.

We of course expect intl community & organisations to enforce international mechanisms:MEA on remarks of Nikki Haley reg India-Pak relations

(cont) & mandates concerning terrorism emanating from Pak, that continues to be single biggest threat to peace in our region and beyond: MEA

ट्रंप बनना चाहते हैं मध्यस्थ

यूनाइटेड नेशंस में अमेरिका की स्थाई प्रतिनिधि निकी हेली ने मंगलवार को प्रेस से बातचीत में कहा कि ट्रंप भी भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को लेकर चिंतित है. इसलिए वे खुद आगे बढ़कर शांति प्रक्रिया में मध्यस्थ की भूमिका निभान चाहते हैं.

हैली ने कहा, 'भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को लेकर चिंतित मौजूदा अमेरिकी प्रशासन इसे कम करने की दिशा में अपनी भूमिका पर विचार कर रहा है. यह भी संभव है कि राष्ट्रपति खुद इसमें भागीदार बनें और इसमें कोई आश्चर्य नहीं होगा.'

#WATCH Nikki R Haley(Permanent Rep of the US to UN) speaks on if Washington would make any effort to get India&Pak to engage in peace talks. pic.twitter.com/uL02Z8iwX8

क्या है मुश्किल

बता दें कि भारत, पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत के लिए किसी भी तीसरे पक्ष का विरोध करता रहा है. गौरतलब है कि ट्रंप ने 2016 में अपने चुनाव प्रचार के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच विवादों को सुलझाने के लिए मध्यस्थ की भूमिका निभाने की पेशकश की थी, लेकिन उन्होंने यह भी कहा था कि ऐसा तभी होगा जब दोनों देश यह चाहेंगे. ट्रंप ने एक इंटरव्यू के दौरान भी कहा था कि यदि वे (भारत-पाकिस्तान) चाहें तो मैं मध्यस्थ की भूमिका निभाना चाहूंगा.

बता दें कि हेली का यह बयान भारत-पाकिस्तान संबंधों को लेकर ट्रंप प्रशासन की ओर से पहली उच्च स्तरीय टिप्पणी है. इससे पहले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी 2008 के राष्ट्रपति प्रचार अभियान के दौरान कहा था कि अमेरिका कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता कर सकता है.

हालांकि भारत ने इस पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी और ओबामा ने राष्ट्रपति बनने के बाद अपनी इस बात को सक्रियता के साथ आगे नहीं बढ़ाया था. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मई 2107 में वाशिंगटन में ट्रंप से मुलाकात होने वाली है. इस दौरान दोनों नेताओं के बीच इस मुद्दे पर चर्चा हो सकती है.