view all

भारत को डेंगू से बचने के लिए पाकिस्तान की सीख लेनी चाहिए

एनवीबीडीसीपी के मुताबिक 2016 जुलाई तक देशभर में डेंगू के 16,870 मामले दर्ज हुए थे. इस साल ये संख्या 28,702 पहुंच गई

FP Staff

इस बार भी अगस्त अपने साथ डेंगू लाया है. अब तक डेंगू के 28,702 केस अस्पतालों में आ चुके हैं. क्या डेंगू से निपटने में टेक्नोलॉजी कोई मदद कर सकती है? उसी तरह जैसे गूगल ने स्मार्टफोन्स की मदद से पांच साल पहले लाहौर से डेंगू को उखाड़ फेंका था.

एंड्रॉयड स्मार्टफोन्स की मदद


साल 2011 में पाकिस्तान का लाहौर शहर बुरी तरह डेंगू की चपेट में था. 16,000 मरीज डेंगू की चपेट में थे और 352 की मौत हो चुकी थी. सरकार और स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें? इसके बाद शोधकर्ताओं ने सरकार के साथ मिलकर एक 'एपिडेमिक डिटेक्शन सिस्टम' खड़ा किया.

गूगल के शोधकर्ताओं और मेडिकल प्रशासन ने डेंगू पीड़ित इलाकों की पहचान के लिए डेढ़ हजार स्मार्टफोंस की मदद ली. इन फोनों को सरकारी कर्मचारी अपने साथ ले जाते थे. डेंगू के प्रमाणित मामले मिलने पर वह उनमें स्थान और समय दर्ज करते थे. डेंगू लार्वा पाए जाने पर वह फोन ही उसे लाल रंग से ग्रस्त दिखा देते थे. हर केस के साथ समय और स्थान जरूर दर्ज किया जाता था. इसके बाद गूगल ने डेंगू का अपना मैप लॉन्च किया.

गूगल मैप ऐसे बना वरदान

प्रशासन ने एक 'हॉटलाइन' खड़ी की और टेलीविज़न, रेडियो और दूसरे माध्यमों से इसे प्रचारित किया गया. पीड़ित कॉल करके सूचनाएं देते थे तो उनके नाम-पते और बीमारी के लक्षणों का डेटा रखा जाता था. हेल्थ एक्सपर्ट्स मरीजों से बीमारी के लक्षणों की जानकारी ले लेते थे. सबसे ज्यादा कॉल आने वाले इलाकों की पहचान की गई. वहां नज़दीकी सरकारी अस्पतालों को अलर्ट किया गया ताकि वो डेंगू मरीजों की देखभाल कर सकें.

इन आंकड़ों और जानकारी की बदौलत 'डिजिटल मैप' बना. इससे डेंगू के क्षेत्रों में दवा का छिड़काव और सफाई कराने में काफी मदद मिली. इस मामले में पाकिस्तान में तब पंजाब सूचना प्रौद्योगिकी बोर्ड अध्यक्ष और कंप्यूटर साइंटिस्ट उमर सैफ ने बेहद अहम भूमिका निभाई.

बाद में 'साइंस एडवांसेज़' में इस पर एक रिसर्च पेपर भी छपा. डेंगू लार्वा और मरीजों का डेटा इकट्ठा हो जाने का फ़ायदा यह हुआ कि इससे प्रशासन को उन इलाकों की सफाई कराने में आसानी होने लगी. इससे मच्छरों का प्रजनन रोका जा सका और 2012 में लौहार लगभग डेंगू मुक्त हो चुका था. हालांकि 234 केस फिर भी मिले पर एक भी मरीज की मौत नहीं हुई.

भारत में हो सकता है प्रयोग?

हाल ही में डायरेक्टरेट ऑफ नेशनल वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम (एनवीबीडीसीपी) की रिपोर्ट में बताया गया है पिछले साल के मुकाबले इस साल देशभर में डेंगू के मामले बढ़े हैं. दिल्ली में 500 से ज़्यादा डेंगू के मामले आ चुके हैं और आंकड़ा बढ़ रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में डेंगू की वजह से 15 लोगों की मौत हुई है.

डेंगू का सबसे ज़्यादा प्रकोप केरल में है. यहां डेंगू के 13913 मामले सामने आए हैं. वहीं, तमिलनाडु में 5474, कर्नाटक में 4186, आंध्र प्रदेश में 798, पश्चिम बंगाल में 571 और महाराष्ट्र में 460 मामले सामने आए हैं. केरल में इस साल डेंगू से 23 लोगों की मौत हुई है. एनवीबीडीसीपी के मुताबिक़ 2016 जुलाई तक देशभर में डेंगू के 16,870 मामले दर्ज हुए थे. इस साल ये संख्या 28,702 पहुंच गई. ऐसे में अगर केंद्र और राज्य सरकारें चाहें तो पाकिस्तान के लाहौर शहर की तर्ज पर 'गूगल' की मदद से डेंगू के रोकथाम को लेकर सकारात्मक कदम उठा सकती हैं.

(साभार न्यूज़ 18)