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नोटबंदी पर राजनीति बंद कर देश का भविष्य संवारे

अर्थव्यवस्था की दिक्कतें भ्रष्टाचार-काले धन की समानांतर व्यवस्था की वजह से हैं.

TSR Subramanian

नरेंद्र मोदी सरकार ने 500 और 1000 रुपये को बंद कर दिया. अब इससे जुड़ी समस्याओं पर मीडिया में खबरें चलायी जा रही हैं. लेकिन इस अहम फैसले का भारतीय अर्थव्यवस्था पर होने वाले असर की कहीं चर्चा नहीं हो रही है.

आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि हमारी अर्थव्यवस्था की अधिकतर दिक्कतें भ्रष्टाचार और काले धन की समानांतर व्यवस्था की वजह से हैं. ठीक इसी तरह समाज की समस्याएं लोगों की शिक्षा और स्वास्थ्य को नजरअंदाज करने की वजह से हैं.


व्यापक भ्रष्टाचार की वजह से अर्थव्यवस्था के लिए विनाशकारी सिद्ध होता है. घूसखोरी को कई लोग व्यवस्था की भीतर पैसों के लेन-देन और भुगतान के लिए जरुरी मानते हैं. लेकिन ऐसे लोगों को इस बात का अंदाजा नहीं होता कि इस भ्रष्टाचार से शासन का स्तर तो गिरता ही है साथ ही यह देश की जीडीपी को भी प्रभावित करती है.

भ्रष्टाचार मुक्त समाज किसी भी देश के आगे बढ़ने के की पहली शर्त है. क्या आपने भ्रष्टाचार में लिप्त किसी देश को मानव विकास सूचकांक में शीर्ष 50 में पाया है? क्या एक कल्याणकारी राज्य भ्रष्टाचार में लिप्त रहते हुए शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सुविधाएं सबको मुहैया कराने का कारनामा कर सकता है.

सच तो यह है कि भ्रष्टाचार सार्वजनिक वितरण प्रणाली को पूरी तरह से ध्वस्त कर देती है. आजादी के 70 साल बाद भी देश की 70 फीसदी आबादी पिछड़ेपन का शिकार है. लोगों को दो वक्त का खाना नसीब नहीं हो पा रहा है. देश में स्वास्थ और शिक्षा का स्तर दुनिया के मुकाबले बेहद खराब है. इसकी मुख्य वजह भ्रष्टाचार और काले धन की समानांतर अर्थव्यवस्था ही है.

कई अर्थशास्त्री का मानना है कि कालेधन की सफाई से प्रति व्यक्ति आय में  अगले तीन साल में 3 प्रतिशत की बढ़ोतरी होने की संभावना है.

नोटबंदी से एक और बात जो जाहिर है कि सरकार कालेधन की सफाई करने की जिम्मेदारी लेने को तैयार है. लोकतंत्र के लिए भी यह कदम काफी अहम है. जिन्हें इसका आभास नहीं है उन्हें समझ लेना चाहिए कि पिछले 70 साल में भारत को महान बनाने का पहला कदम है. ऐसे में राजनीतिक रोटियां सेंकने वालों को बाज आना चाहिए.

सरकार के इस कदम से चुनावी प्रक्रिया भी बेहतर होने की उम्मीद है. भारतीय चुनावों में सबसे ज्यादा कालेधन का उपयोग किया जाता  है. लेकिन अब ऐसा नहीं हो पाएगा. चुनाव में  बनने वाले कालेधन का कुचक्र टूटेगा.

इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है जिस तरह यूपी की राजनीतिक पार्टियां इस कदम का विरोध कर रही हैं. उनके द्वारा चुनाव के लिए इकट्ठा किया गया काला धन अब रद्दी में तब्दील हो गया है. भले सरकार ने यह कदम उत्तरप्रदेश चुनाव को ध्यान में रखकर ही क्यों न उठाया हो लेकिन इससे भला तो देश का ही होगा.

कुछ लोग इसे आम आदमी की तकलीफ बढ़ाने वाला तुगलकी फरमान बता रहे हैं. यह समस्या केवल कुछ दिनों के लिए है. वह भी छोटे रोजमर्रा के छोटे खर्चों के लिए. इमानदार इंसान की गाढ़ी कमाई के एक पैसे का भी नुकसान नहीं होगा. ना ही इसे जब्त किया जाएगा.

यह मत भूलिए कि आम आदमी की तकलीफों की बात करने वाले कौन लोग हैं. ये वही पार्टियां हैं जिन्होंने दशकों से इस देश में राज किया. उनके राज में लगातार भ्रष्टाचार की वजह से आम आदमी की आज यह हालत है.

आज का वोटर इस बात का अच्छी तरही समझता है कि राजनेता कैसे होते हैं. उसे मालूम है कि विपक्ष में रहते हुए राजनेता उसकी  समस्या की बात करेगा. लेकिन सत्ता में आते ही जनता उसके नेता के लिए समस्या हो जाती है. नेता केवल चुनाव जीतने के लिए वादे करते हैं. जनता ऐसा पिछले कई पीढ़ियों से देखती आ रही है. लेकिन अब उसे बरगलाना आसान नहीं है.

यह बात बिलकुल सही है कि कालेधन के खिलाफ लड़ाई यहां नोटबंदी से खत्म नहीं होती. उलटे अभी तो लड़ाई शुरु हुई है. सरकार को ऐसे कई कदम उठाने होंगे जिनसे भ्रष्टाचारियों के मन में डर पैदा हो.गुड गवर्नेंस के लिए संघर्ष छिड़ चुका है.

जिस तरह से आधार कार्ड अभियान सफल रहा. जिस तरह देश के एक लाख से अधिक बैंक शाखाएं और 2.5 लाख पोस्ट ऑफिस जन धन एकाउंट संभाल रहे हैं. इससे देश को कैश लेस (नगदी मुक्त) अर्थव्यवस्था में ले जाने के लिए मदद मिलेगी.

सरकार को चाहिए कि वो डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करने के लिए अब दिन रात एक कर दे. अगले दो से तीन साल में पूरे भारत को डिजिटल बनाना होगा. जनता की तकलीफों को कम करने के लिए, खर्च कम करने के लिए, पारदर्शिता और बिजनेस को आसान बनाने के लिए यह बेहद जरुरी है. उम्मीद है सरकार इस ओर बढ़ने के लिए ठोस कदम उठाएगी.

हमे चाहिए कि नोटबंदी के सरकार के कदम को शक की नजर से न देखें. भारतीय जनता तकलीफों का सामना करने के लिए जानी जाती है. हम हमेशा से अपने सुनहरे भविष्य के लिए हर मुश्किल को झेलने के लिए तैयार रहते हैं.

इस फैसले का असर यह होगा कि सरकार जनता को बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने की तरफ विचार कर सकती है. केवल राजनीति करने वालों के लिए यह काम करना आसान नहीं था. ऐसे लोगों का नजरिया हमेशा नकारात्मक ही बना रहता है. हमें महान देश बनने के लिए आगे का सोचकर चलना होगा.