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रोमियो के नाम को यूं बदनाम न करें, वो कोई कामुक दरिंदा नहीं था!

सुरक्षा का मतलब सुरक्षित महसूस कराना होता है, डरना या सहमना नहीं.

Swati Arjun

इस रविवार को मेरे 10 साल के बेटे ने मुझसे दशकों से लोगों की पसंद रही म्यूजिकिल रोमांटिक फंतासी फिल्म ‘ब्यूटी एंड द बीस्ट’, देखने की जिद की. मजे की बात ये है कि सप्ताह भर की थकान को भूलते हुए मैं तैयार हो गई.

ये पहली बार नहीं था जब मैंने इस थीम पर बनी कोई फिल्म देखी या कहानी पढ़ी हो. इससे पहले भी हम सब इस थीम पर कई बार बनी फिल्में देख चुके हैं लेकिन फिर भी, जब इसका नए तरीके से प्रस्तुतीकरण किया जाता है तो उसे पहले से ज्यादा पसंद किया जाता है.


निजी तौर पर मेरे लिए इस कहानी में सबसे बड़ा आकर्षण बीस्ट यानि जानवर की शक्ल वाले नायक और नायिका के बीच का प्रेम है और सबसे बुरा वो पल जब वो नायक एक खूबसूरत राजकुमार की शक्ल में आ जाता है.

शायद ये सबको आसानी से समझ न आए.

कुछ चीजें...कुछ कहानियां...कुछ किरदार सिर्फ हमारे जेहन ही नहीं, हमारी सोच, हमारी भावनाओं और हमारी पहचान का हिस्सा होता है.

ठीक वैसे ही जैसे रोमियो और जूलियट की प्रेम-कहानी, सलीम-अनारकली, शिरीं-फरहाद, सोहनी-महिवाल और शशि-पन्नु की अमर-प्रेम कहानी.

शेक्सपीयर की अजीम कृति रोमियो और जूलियट आज से 15वीं शताब्दी के अंत में इटली के एक प्रेमी जोड़े की कहानी पर आधारित है. रोमियो और जूलियट के परिवार में गहरी दुश्मनी होती है, जो उनके प्यार के बीच में दीवार बनकर खड़ी हो जाती है.

कहानी का अंत रोमियो और जूलियट की मौत से होता है जिसके बाद दोनों परिवार अपनी दुश्मनी खत्म कर देते हैं. इस कहानी को रोमांटिक ट्रैजेडी इसलिए कहा जाता है क्योंकि दो परिवारों की दुश्मनी, दो प्रेमियों की मौत का कारण बनता है और दोनों की मौत, सालों की पारिवारिक दुश्मनी के खत्म होने का.

रोमियो की बदसलूकी

अब आते हैं आज पर. आज यानि साल 2017 जब दुनिया के सबसे बड़े और सबसे बड़ी आबादी वाले देश भारत में, एक हफ्ते पुरानी चुनी गई नई सरकार ‘रोमियो’ के नाम पर यहां के युवाओं को न सिर्फ पीट रही है बल्कि उन्हें पकड़-पकड़ कर जेल में डाल रही है.

बीजेपी के संकल्पपत्र में एंटी रोमियो स्कॉड के गठन की बात कही गई थी.

सुबह से हर अखबार और टीवी पर आपको लड़कों के पिटते, उन्हें पीटते, उनसे उठक-बैठक कराते, उन्हें जेलों में डालते, लड़कियों से उनको थप्पड़ लगवाते, राखी बंधवाने की तस्वीरें छायी हुई हैं. कई जगहों पर इन युवाओं के साथ दिखने वाली लड़कियों के साथ भी बदसलूकी की गई.

उत्तरप्रदेश में एक एक हफ्ते पहले ही बीजेपी की नई सरकार आयी है और योगी आदित्यनाथ प्रदेश के मुख्यमंत्री बने हैं. बीजेपी ने चुनाव के दौरान अपने मैनीफेस्टो यानि संकल्पपत्र में प्रदेश की महिलाओं से वादा किया था कि वे उन्हें शोहदों, स्कूल और कॉलेज जाने वाली छात्राओं के साथ छेड़छाड़ करने वालों, उनको परेशान करने वालों लोफर लड़कों से सुरक्षा दिलाएंगे.

इस वादे को पूरा करने के लिए मंगलवार को यूपी के डीजीपी जावीद अहमद के नेतृत्व में 11 रोमियो स्कॉड का गठन किया गया, जो बुधवार सुबह से 11 जिलों में एक्शन में आ गया.

मौलिक तौर पर इस इस स्कॉड का उद्देश्य गांव-देहात और छोटे-छोटे कस्बों में महिलाओं और औरतों को बेखौफ तरीके से रहने की आजादी देना था. लेकिन क्या ऐसा हो रहा है....

क्योंकि, योगी आदित्यनाथ की बहुत सारी प्राथमिकताओं में ‘लव-जिहाद’ पर रोक लगाना एक अहम मुद्दा है.

योगी आदित्यनाथ और बीजेपी  कहते भले कुछ हों लेकिन मानते यही हैं कि, मुसलमान लड़के हिंदु लड़कियों को अपने प्रेम में फंसाकर उनका धर्मांतरण कराते हैं जो लव-जिहाद है . एंटी रोमियो स्कॉड इसे रोककर धर्म और संस्कार की रक्षा करेगी.

इस सब से ये पता चलता कि एंटी-रोमियो स्कॉड का काम करने का तरीका कमोबेश साल 2005 के ऑपरेशन मजनूं से मिलता-जुलता होगा और राज्य में एक बार फिर से पुलिसिंग और सुरक्षा के नाम पर ‘मॉरल पुलिसिंग की जाएगी.’

योगी आदित्यनाथ ने भले ही सालों पहले ब्रह्मचर्य और संन्यास जीवन को अंगीकार कर लिया हो लेकिन हम सबको इस बात का पूरा यकीन है कि वे दो युवा लोगों के बीच के सहमति से उपजे प्रेम और जबर्दस्ती किए गए यौन हिंसा, बलात्कार, शारीरिक शोषण, छेड़छाड़ के बीच के फर्क को समझेंगे.

वे इस बात को समझेंगे कि रोमियो या मजनूं हमारी सभ्यताओं के नायक हो न हो, खलनायक तो बिल्कुल नहीं थे. वे ये भी मानेंगे कि स्त्री-पुरूष के बीच आपसी समझ, लगाव और प्रेम की जमीन पर जो रिश्ता बनता है वो आने वाली नस्लों और पीढ़ियों के लिए नजीर पेश करता है. वो एक स्वस्थ परिवार की स्थापना करता है.

दोस्त और उत्पीड़क का फर्क करना जरुर है.

दोस्त और उत्पीड़क

रोमियो या मजनूं कि तुलना किसी यौन उत्पीड़क या कामुक दरिंदे से नहीं की जा सकती है. आपको हो या न हो लेकिन यकीन मानिए, ज्यादातर पढ़ी-लिखी दुनिया देखी-भाली लड़कियां...अच्छे और बुरे स्पर्श, अच्छी और बुरी नजर और अच्छी और बुरी नीयत को भांप लेती हैं.

हां, उन्हें जिस चीज की जरुरत है वो घर, परिवार, समाज और पुलिस प्रशासन के साथ और बेहतर माहौल की. जो आप देना चाहते हैं.

आपको शायद पता न हो लेकिन हमारे देश की राजधानी दिल्ली में एक बड़े पुल के निर्माण की प्रेरणा भी शशि और पन्नु के प्रेम के किस्से आयी है.

इस पुल का नाम बारापुला है जो दक्षिणी दिल्ली और पूर्वी दिल्ली को एक साथ जोड़ता. तबके एक बड़े नौकरशाह ने इसे बनवाते हुए कहा कि, 'मैं नहीं चाहता कि हमारे खिलाड़ी दक्षिणी दिल्ली से पूर्वी दिल्ली के गेम्स विलेज में जब खेलने आएं तो मौसम खराब होने पर पानी में बह जाएं. (दक्षिण से पूर्व दिल्ली की दूरी बहुत ज्यादा है और रास्ता काफी लंबा जो बारिश के मौसम में पानी से भर जाता है.) शायद आप समझ पाएं कि हम कहना क्या चाहते हैं.'

दरअसल, पन्नु की मौत अपनी प्रियतमा शशि से मिलने जाने की कोशिश के दौरान बाढ़ के पानी में डूब कर हो गई थी. प्रेम कई बार कई सदियों तक लोगों को प्रेरणा देता रहता है.

मैंने योगी जी को भले ही वोट न दिया हो, लेकिन उनके राज्य की नागरिक होने के नाते, उनसे इतनी उम्मीद तो करती हूं कि जब भी मुझे कोई परेशानी होगी और असुरक्षित महसूस करते हुए मदद के लिए किसी थाने या पुलिसवाले के पास जाऊंगी तो वे मुझे सुरक्षा प्रदान करेंगे.

योगी जी आपकी पहल का हम सब स्वागत करते हैं. गुजारिश सिर्फ इतनी है कि कुछ चीजें जो हमारी निजता से जुड़ा है उसे आप बीच सड़क पर बदनाम नहीं करें.

सुरक्षा का मतलब सुरक्षित महसूस कराना होता है, डरना या सहमना नहीं. जो बदकिस्मती से इस वक्त आपके राज्य के कई युवा-जोड़े महसूस कर रहे हैं.