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नोटबंदी से क्या अंतरराष्ट्रीय संबंध भी बि​गेड़ेंगे?

रूस ने नोटबंदी पर सख्त रुख अपनाते हुए 'बदले की कार्रवाई' की धमकी दी

Krishna Kant

भारत में नोटबंदी से सिर्फ देश के नागरिकों को तकलीफ ही नहीं हो रही, इससे भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर भी असर पड़ने की आशंका मंडरा रही है. रूस ने भारत में नोटबंदी पर सख्त रुख अपनाते हुए 'बदले की कार्रवाई' की धमकी भी दे डाली है. दूसरी तरफ अन्य देशों के दूतावासों की तरफ से भी विरोध जताया गया है. इससे सवाल उठता है कि क्या नोटबंदी की वजह से विदेश नीति और अंतरराष्ट्रीय संबंध भी प्रभावित होंगे?

एनडीटीवी और इंडियन एक्सप्रेस अखबार की खबर के मुताबिक रूस के राजनयिक ने भारत सरकार को पत्र लिखकर कहा है कि इतने कम पैसों में डिनर का बिल तक नहीं चुकाया जा सकता है. नोटबंदी की वजह से दूतावास का साधारण कामकाज भी प्रभावित हो रहा है.


एनडीटीवी के मुताबिक रूस ने नोटबंदी को लेकर राजनयिक स्तर पर सख्त विरोध जताते हुए 'काउंटर स्टेप' उठाने की चेतावनी दी है. रूस का कहना है कि इस नोटबंदी की वजह से दिल्ली में उसके राजनयिकों को नकदी की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है. दिल्ली स्थित रुसी दूतावास में करीब 200 लोग काम करते हैं.

चैनल की वेबसाइट पर प्रकाशित खबर में रूसी सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि 'नोटबंदी के बाद से दूतावास द्वारा हफ्ते भर में अधिकतम 50 हजार रुपये की निकासी सीमा तय किए जाने को रूस ने 'अंतरराष्ट्रीय चार्टर का उल्लंघन' करार दिया. रुस के राजदूत एलेक्जेंडर कदाकिन ने 2 दिसंबर को भारतीय विदेश मंत्रालय को चिट्ठी लिखी थी और उस पर जवाब का इंतजार कर रहे हैं. रूसी सरकार नोटबंदी पर विरोध जताने के लिए भारतीय राजदूत को तलब कर सकती है.'

कदाकिन ने भारत सरकार को लिखा है कि ये पैसे तो 'एक ठीकठाक से डिनर का बिल चुकाने के लिए भी काफी भी नहीं. दिल्ली में इतना बड़ा दूतावास नकदी के बिना कैसे काम कर सकता है?'

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक भारत सरकार को लिखे गए पत्र में कहा गया है, 'इतनी राशि दूतावास की तनख्वाह और दूसरे साधारण कार्यकारी गतिविधियों के लिए पर्याप्त नहीं है.'

रूसी दूतावास के एक अधिकारी ने अखबार से कहा, 'हम विदेश मंत्रालय के जवाब का इंतजार कर रहे हैं. आशा है कि वे जल्दी ही समस्या सुलझा देंगे. वरना हम दूसरे विकल्पों पर विचार करने पर मजबूर होंगे. मास्को में भारतीय राजदूत को समन भेजा जा सकता है.' इसके अलावा प्रतिक्रिया स्वरूप मास्को में नियुक्त भारतीय अधिकारियों पर कैश निकालने को लेकर प्रतिबंध लगाया जा सकता है. भारत ने अभी तक इस मसले पर रूसी दूतावास को कोई प्रतिक्रिया नहीं भेजी है.

इसके पहले पाकिस्तान, यूक्रेन, कजाकिस्तान, पाकिस्तान और डीन आॅफ डिप्लोमैटिक कोर की तरफ से भी यह मुद्दा उठाया जा चुका है. द वायर वेबसाइट के मुताबिक, डोमिनिक रिपब्लिक के एम्बेस्डर फ्रैंक हांस डेनेनबर्ग कास्टेलन्स 150 देशों के दूतावासों की तरफ से भारत सरकार के समक्ष यह मुद्दा उठा उठा चुके हैं.

केंद्र सरकार की तरफ से 9 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा के बाद देश भर के लोग नोटों की किल्लत का सामना कर रहे हैं. 500 और 1000 के पुराने नोटों के चलन से बाहर होने के बाद कुल सर्कुलेशन के 86 फीसदी नोट बेकार हो गए. उसी दिन से सरकार ने बैंकों और एटीएम से नकदी निकालने की सीमा भी निर्धारित कर रखी है, जिससे न सिर्फ देश के नागरिकों को बल्कि विदेशी पर्यटकों, अधिकारियों और राजदूतों को भी समस्या पेश आ रही है.