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क्‍या नोटबंदी से निपटने के लिए कश्‍मीर में बैंक लूट रहे आतंकी?

इन लूटों के पीछे कौन है इसका पता न पुलिस को है न बैंक कर्मियों को

Sameer Yasir

नोटबंदी के बाद जम्मू कश्मीर में एक नयी समस्या उठ खड़ी हुई है, जिसके भविष्य में घातक परिणाम हो सकते हैं.

ऐसा कहा जा रहा है कि बुरहान वानी की मौत और नोटबंदी के बाद आतंकवादी कैश की कमी की पूर्ति के लिए कश्मीर घाटी में बैंकों को लूट रहे हैं.


महीने भर के अन्दर दो ऐसी घटनाएंं रिपोर्ट हुई जहां जम्मू एंड कश्मीर बैंक की अलग-अलग शाखाओं से 50 लाख से ज्यादा रुपए लूटे गए हैं.

इन लूटों के पीछे कौन है इसका पता न पुलिस को है न बैंक कर्मियों को. हालिया घटना दक्षिणी कश्मीर के पुलवामा जिले में जम्मू एंड कश्मीर बैंक की रतनीपोरा ब्रांच की है जहां गुरुवार को अज्ञात लुटेरों ने लूटपाट को अंजाम दिया.

सूत्रों के अनुसार लुटेरों ने बैंक कर्मचारियों के साथ मारपीट की, जिनमे एक विकलांग भी शामिल था, इसके बाद वे 11 लाख रुपए की नकदी लेकर फरार हो गए.

एक बैंक कर्मी मंसूर अहमद बताते हैं, ‘मैंने बंंदूक लिए एक आदमी से कहा भी कि मैं विकलांग हूं और उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता पर उसने मेरा हाथ मरोड़कर मेरे साथ मारपीट की, बाकी कर्मचारियों को उन्होंने एक कोने में खड़ा कर दिया था.’

हालांकि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने तेजी दिखाते हुए फौरन इलाके की घेराबंदी की थी पर लुटेरे सुरक्षित भागने में कामयाब हो गए.

इस घटना से ठीक एक हफ्ते पहले 8 दिसंबर को दक्षिण कश्मीर के अरिहल में जम्मू एंड कश्मीर बैंक की एक और ब्रांच से अज्ञात लुटेरों द्वारा आठ लाख रुपए लूटे गए थे.

शक है कि उस लूट के पीछे भी आतंकियों का ही हाथ था. उस रोज लोगों को डराने के लिए भागने से पहले उन संदिग्धों ने हवाई फायर भी किए.

उस केस में अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है. पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां इन लूटों को नोटबंदी से जोड़कर देख रहे हैं.

आठ नवंबर को प्रधानमंत्री के 500 और 1000 रुपए के नोटों को बंद करने की घोषणा के बाद यह बैंक लूट की चौथी घटना है.

उस समय प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा भी था कि नोटबंदी का एक उद्देश्य आतंकियों द्वारा हो रहे जाली भारतीय करेंसी के प्रयोग को रोकना भी है.

पर आतंकियों पर इसका कम ही असर देखने को मिला है. 8 नवंबर के बाद हुए एनकाउंटरों में दो बार पुलिस को आतंकियों के पास से नए करेंसी नोट बरामद हुए हैं.

पहचान छिपाए रखने की शर्त पर जम्मू एंड कश्मीर बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उन्होंने बैंकों और एटीएम के बाहर प्राइवेट सुरक्षा एजेंसियों के गार्ड तैनात कर रखे हैं, वहीं संवेदनशील इलाकों में बैंकों के बाहर पुलिस तैनात है.

वे बताते हैं, ‘इन प्राइवेट गार्डों के पास आउटडेटेड बंदूके हैं जिनसे बैंकों को खतरा और बढ़ जाता है. ये हमले दुर्भाग्यपूर्ण हैं पर हम लाचार हैं. बताइए एक गार्ड एके-47 लिए चार आदमियों का मुकाबला कैसे कर सकता है?’

फाइल फोटो

21 नवम्बर को मालपोरा गांंव में जम्मू एंड कश्मीर बैंक की सेंट्रल कश्मीर ब्रांच से 14 लाख रुपए लूटे गए.

बाद में पुलिस द्वारा इन लुटेरों को गिरफ्तार कर लिया गया. शक है कि ये लोग लश्कर-ए-तैयबा से संबंध रखते हैं.

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार रतनीपोरा लूट मामले में लुटेरों के चेहरे सीसीटीवी में कैद हो गए हैं.

पुलवामा के एसपी रईस मोहम्मद भट ने फर्स्टपोस्ट को बताया, ‘लुटेरों का यह समूह हाल ही में हुई कई बैंक लूटों में शामिल रहा है. हम अच्छी तरह जानते हैं कि इन लूटों के पीछे कौन है, हम जल्द ही उन्हें गिरफ्तार कर लेंगे.’