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नेहरू मेमोरियल में पहली बार देखिए देश के 15 प्रधानमंत्रियों की प्रदर्शनी

म्यूजियम के अधिकारियों ने प्रदर्शनी में शामिल लेखकों और उनकी किताबों के बारे में एक विस्तृत हैंडबुक तैयार किया है. प्रदर्शनी में हिंदी और अंग्रेजी की कुल 494 पुस्तकें रखी गई हैं

Debobrat Ghose

नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (एनएमएमएल) में लगी भारत के प्रधानमंत्रियों के किताबों की यह प्रदर्शनी सीधे-सीधे बीजेपी के ‘शो’ में बदल सकती थी क्योंकि अभी नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं लेकिन प्रदर्शनी में आया व्यक्ति यहां थोड़ा वक्त गुजार ले तो उसे पता चल जाएगा कि यह प्रदर्शनी उसे भारत के 15 प्रधानमंत्रियों की रचनाओं के सहारे अतीत से वर्तमान तक का सफर बगैर किसी पूर्वाग्रह के कराती है.

राजनीतिक विचारधाराओं को परे रखते हुए एनएमएमएल के प्रबंधन ने इस बात का पूरा ध्यान रखा है कि बीते और मौजूदा वक्त के सभी प्रधानमंत्रियों को उनकी लिखी या फिर उनके बारे में लिखी गई किताबों के जरिए समान अहमियत मिले. यहां तक कि जिन प्रधानमंत्रियों का कार्यकाल कुछ छोटा रहा जैसे गुलजारी लाल नंदा, एचडी देवगौड़ा, आईके गुजराल और चंद्रशेखर आदि उन्हें भी जवाहरलाल नेहरु, इंदिरा गांधी या फिर मनमोहन सिंह जैसे लंबे वक्त तक प्रधानमंत्री के पद पर रहने वाले राजनेताओं के साथ बराबर की जगह दी गई है.


मशहूर ब्रिटिश आर्किटेक्ट रॉबर्ट टोर रसेल के हाथों ब्रिटिश राज के वक्त अपना रुपाकार हासिल करने वाली म्यूजियम (तीनमूर्ति भवन, नई दिल्ली का हिस्सा) की इमारत के बॉलरूम में घुसते ही दाईं तरफ सबसे पहले जवाहरलाल नेहरू के फोटोग्राफ्स और किताबें सजी हुई नजर आती हैं. तीनमूर्ति भवन प्रधानमंत्री के रुप में पूरे 16 सालों तक नेहरु का निवास-स्थान रहा और वे अपने आखिरी वक्त तक यहीं रहे. इसके बाद प्रदर्शनी में आपको गुलजारी लाल नंदा, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी आदि की तस्वीरें और किताबें नजर आएंगी और यह सिलसिला आगे बढ़कर आखिर में नरेंद्र मोदी तक चला आता है.

प्रदर्शनी आपको गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्रियों जैसे कि अटल बिहारी वाजपेयी, मोरारजी देसाई, वीपी सिंह और चौधरी चरण सिंह के समृद्ध रचना-संसार से परिचित होने का मौका फराहम करती है.

प्रदर्शनी की अहमियत

देश की राजधानी में यह अपने किस्म का अनूठा आयोजन है. विभिन्न प्रधानमंत्रियों की रचनाओं के इन खंडों के जरिए एनएमएमएल हर प्रधानमंत्री के विचार और उनकी अहमियत को लोगों के सामने लाना चाहता है, उसे सिर्फ नेहरू तक सीमित नहीं रखना चाहता.

प्रदर्शनी का उद्घाटन प्रसार भारती के अध्यक्ष ए सूर्यप्रकाश ने किया. उन्होंने फ़र्स्टपोस्ट से बातचीत में कहा कि पहला सवाल तो मेरे दिमाग में यही आता है कि ‘अपने सभी प्रधानमंत्रियों की रचनाओं को लेकर ऐसी प्रदर्शनी रखने में हमें 70 साल का समय क्यों लगा? अब से पहले ऐसा कोई प्रयास क्यों ना हुआ. इसकी वजह ये रही कि 2014 के पहले तक सिर्फ नेहरूवादियों और मार्क्सवादियों का देश की नामी-गरामी संस्थाओं और माहौल पर दबदबा रहा. अन्य विचारधाराओं के प्रधानमंत्री और राजनेता सिस्टम से एकदम बाहर रखे गए'

'भारत की विविधता में एकता में जोर सियासी, समाजी, तहजीबी और विचारधाराओं के मोर्चे पर विभिन्नताओं के बीच एकता पर है. हर तरह की राय और नजरिए को स्वीकार करना एक अच्छे लोकतंत्र की निशानी है. दिक्कत ये हुई कि नेहरु-गांधी (इंदिरा) के मन में राजनीतिक विभिन्नताओं के लिए सम्मान नहीं था. कांग्रेस के भीतर जो लोग अलग सोच के थे जैसे कि पीवी नरसिम्हाराव उनकी अनदेखी की गई. इसके अलावा भारत के संविधान के जनक बीआर आंबेडकर, सरदार वल्लभ भाई पटेल और सुभाष चंद्र बोस जैसे कांग्रेस के अध्यक्ष की भी लंबे वक्त तक अनदेखी हुई. यहां तक कि विनोबा भावे और जयप्रकाश नारायण के साथ इन्हें भारत-रत्न भी मरणोपरांत दिया गया और वह भी बाद में गैर-कांग्रेसी सरकार के वक्त. सच्चाई देश के सामने आनी ही चाहिए.' यह कहना था ए. सूर्यप्रकाश का जो एनएमएमएल की कार्यकारिणी के सदस्य भी हैं.

आगे की योजना

म्यूजियम के अधिकारियों ने प्रदर्शनी में शामिल लेखकों और उनकी किताबों के बारे में एक विस्तृत हैंडबुक तैयार किया है. प्रदर्शनी में हिंदी और अंग्रेजी की कुल 494 पुस्तकें रखी गई हैं.

एनएमएमएल ने अपने संग्रह को समृद्ध बनाने के लिए देश की बाकी भाषाओं में प्रधानमंत्रियों पर लिखी किताबों को जुटाने की योजना बनाई है.

एनएमएमएल के एक सूत्र ने बताया कि 'गैर-हिंदीभाषी राज्यों से ताल्लुक रखने वाले प्रधानमंत्रियों जैसे कि कर्नाटक के एचडी देवगौड़ा के बारे में क्षेत्रीय भाषाओं में लिखी किताबों से ज्यादा रोशनी पड़ेगी. आज जो हैंडबुक जारी की गई है उसमें किताबों के लेखक और शीर्षक के बारे में बताया गया है.'

ए. सूर्यप्रकाश ने बताया कि, 'आगे भी हमारी योजना ऐसे कार्यक्रम करने की है. इन कार्यक्रमों में भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर जोर होगा साथ ही कांग्रेसी राज में जिन राष्ट्रनिर्माताओं की अनदेखी हुई उनके योगदान को लोगों के सामने लाया जाएगा.'

पुस्तकों का संग्रह

प्रधानमंत्रियों की लिखी और प्रधानमंत्रियों के बारे में लिखी गई किताबों (इसमें भाषण और पत्रों का संग्रह शामिल है) के ऐतबार से देखें तो सबसे ज्यादा तादाद में किताबें जवाहरलाल नेहरु और अटलबिहारी वाजपेयी से संबंधित हैं. एनएमएमएल की हैंडबुक के मुताबिक नेहरू के नाम से 32 किताबें हैं तो एनडीए के तरफ से देश के पहले प्रधानमंत्री और जाने-माने कवि अटलबिहारी वाजपेयी के नाम से 42 किताबें.

अगर आप प्रदर्शनी में आएं तो आपको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लिखी कविताओं और भावी भारत को लेकर उनके सोच का इजहार करती किताब ‘सपनों का भारत’ देखने को मिलेगी.

गुलजारीलाल नंदा, आईके गुजराल, चौधरी चरण सिंह और चंद्रशेखर की लिखी किताबों से क्रमशः खादी के अर्थशास्त्र, भारत की विदेश नीति, देश की गरीबी तथा लोकदल के पतन और राज-आर्थिकी की झांकी मिलती है.

एनएमएमएल की हैंडबुक के मुताबिक प्रदर्शनी में सबसे ज्यादा किताबें (कुल 53) नरेंद्र मोदी से संबंधित हैं, नेहरू से संबंधित किताबों की तादाद 51 है. लाइब्रेरी के एक सूत्र ने बताया कि प्रदर्शनी में शामिल किताबों की तादाद 'हमारे पुस्तकालय में मौजूद संग्रह के मुताबिक रखी गई है. लोग लगातार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बारे में लिख रहे हैं सो आने वाले वक्त में उनके बारे में लिखी किताबों की संख्या और भी ज्यादा बढ़ेगी.'