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जिस मकबरे को मंदिर में बदला, वह मध्यकालीन स्मारक है

राज्य पुरातत्व विभाग ने पुलिस में शिकायत कर स्मारक से अवैध कब्जा हटवाने का अनुरोध किया है

FP Staff

सफदरजंग एन्क्लेव के हुमायूंपुर गांव में जिस ढांचे को मंदिर में तब्दील किया गया है, वह मध्यकालीन स्मारक है. साल 2009 में ही इसके संरक्षण के लिए अधिसूचना जारी की गई थी. दिल्ली सरकार ने अपनी शुरुआती रिपोर्ट में रविवार को उक्त जानकारी दी है.

अधिकारियों ने बताया कि इस बारे में रिपोर्ट उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के कार्यालय को सौंप दी गई है. उन्होंने कहा कि राज्य पुरातत्व विभाग ने पुलिस में शिकायत कर स्मारक से अवैध कब्जा हटवाने का अनुरोध किया है.


इससे पहले 14 मार्च को भी इस पर से अवैध कब्जा हटाने के लिए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई थी. इससे पहले सिसोदिया ने मकबरे को कथित तौर पर मंदिर में तब्दील करने की घटना की जांच का आदेश दिया. सिसोदिया ने कला, संस्कृति और भाषा विभाग (एसीएल) की सचिव को रिपोर्ट जमा करने का भी निर्देश दिया. यह मामला खबरों में आने के बाद सिसोदिया का यह आदेश आया.

उप मुख्यमंत्री ने सचिव को दिए अपने आदेश में कहा कि धरोहर संपत्ति को नुकसान पहुंचाना कानून के खिलाफ है और एक गंभीर अपराध है। सचिव (एसीएल) घटना के ब्योरे और उनकी ओर से की गई कार्रवाई की जानकारी देते हुए एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपें.

इससे पहले इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (इंटैक) के परियोजना निदेशक ए कुमार ने कहा, पिछले 7-8 महीनों में हमारी टीम ने संरक्षण के लिए 5-6 बार दौरा किया. हमारे साथ दिल्ली पुलिस और पुरातत्व विभाग की भी टीम थी लेकिन स्थानीय लोगों का कहना था कि यह उनकी व्यक्तिगत संपत्ति है जिसका रेवेन्यू रिकॉर्ड उनके पास है.

गुमटी नाम के इस मकबरे का वाकया सफदरजंग एनक्लेव के हु्ंमायूपुर गांव का है. रिहायशी इलाके के बीच बने इस मकबरे को सफेद और भगवा रंग से पेंट कर दिया गया और उसके अंदर एक प्रतिमा भी स्थापित कर दी गई. पूरी घटना मार्च महीने की है.

इस घटना को पुरातात्विक विभाग के सिटीजन चार्टर का बड़ा उल्लंघन माना जा रहा है. चार्टर के मुताबिक, मकबरे या आसपास के किसी दीवार को पेंट नहीं कर सकते और न ही मकबरे की मूल पहचान को बदला जा सकता है.

इंटैक के सहयोग से पुरातात्विक विभाग को इस मकबरे का नवीकरण करना था. रिपोर्ट बताती है कि स्थानीय लोगों के विरोध के कारण मकबरे के जीर्णोद्धार का काम शुरू न हो सका. मामला अब काफी आगे बढ़ गया है और मकबरा मंदिर में तब्दील हो गया है.