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दिल्ली में बन रहा है कुत्तों का श्मशान घाट, मालिकों को नहीं होगी परेशानी

इस शवदाहगृह की फीस कितनी होगी उसे दक्षिण दिल्ली नगर निगम तय करेगी. अधिकारियों का कहना है कि ये फीस 500 रुपए तक हो सकता है. दूसरी तरफ प्राइवेट शवदाहगृह इसी काम के 5 हजार की फीस लेते हैं

FP Staff

जानवरों से लगाव रखने वाले लोगों के लिए उनके पालतू जानवर की मौत उतनी ही दर्दनाक होती है जितनी घर के किसी सदस्य की. उनकी मौत भी घरवालों को सदमा दे जाती है. लेकिन अब कम से कम दिल्ली में अपने पालतू कुत्तों के अंतिम संस्कार के समय लोगों को दिक्कतें थोड़ी कम होगी. दिल्ली के द्वारका में सरकार कुत्तों के लिए श्मशान घाट का निर्माण कराने वाली है.

यह शवदाहगृह मार्च 2019 तक तैयार हो जाएगा. ये द्वारका सेक्टर 29 में 3.5 एकड़ जमीन पर बनने वाले मल्टी पर्पज़ 'डॉग कॉम्पलेक्स' का एक हिस्सा होगा. इसमें इलेक्ट्रिक फर्नेस होगा जिसमें उन्हें जलाया जाएगा. इसमें एक घंटे में 50 किलो बायोमास का संस्कार किया जा सकता है. सड़कों पर खुला घूमने वाले कुत्तों का वजन 20 किलो तक होता है. वहीं जर्मन शेफर्ड जैसे कुत्तों का वजन 30 किलो तक हो सकता है.


टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक एक कुत्ते के शरीर को पूरी तरह जलने में कम से कम एक घंटे का समय लगता है. फिर उनकी राख मालिक को 1.5 घंटे में सौंप दी जाएगी. इस शवदाहगृह की फीस कितनी होगी उसे दक्षिण दिल्ली नगर निगम तय करेगी.

अधिकारियों का कहना है कि ये फीस 500 रुपए तक हो सकता है. दूसरी तरफ प्राइवेट शवदाहगृह इसी काम के 5 हजार की फीस लेते हैं. इस शवदाहगृह का इस्तेमाल पालतू और सड़कों पर घूमने वाले दोनों ही तरह के कुत्तों के लिए किया जाएगा.

इसके फायदे क्या हैं?

यह ईको फ्रेंडली है और इससे बीमारियों से बचा जा सकता है. पालतू कुत्तों के मालिकों को इस बात की सांत्वना होगी कि मरने के बाद उनके कुत्ते का अंतिम काम इज्जत के साथ निपटा.

वहां और क्या होगा?

वहां पर कुत्तों को स्टैरलाइज किया जा सकता है. मतलब उन्हें रोगों से बचाने के लिए टीके दिए जा सकते हैं. कुत्तों के लिए डॉक्टरी सुविधा भी मुहैया कराई जाएगी. इसके अलावा राख के लिए एक कमरा, लॉकर और प्रार्थना करने के लिए भी कमरा होगा.