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दिल्ली में दम घुटता है: कई अड़चनें हैं प्रदूषण नियंत्रण की राह में

वर्तमान में दिल्ली में वायु प्रदूषण खतरनाक यानी सीवियर स्तर पर पहुंच गया है. जीआरएपी मानकों के हिसाब से यह प्रदूषण छठे स्तर का है

Kangkan Acharyya

अगर दिल्ली को धुंध से निजात नहीं मिलती है तो वायु प्रदूषण से निपटने के लिए सबसे सख्त उपायों को लागू करने की योजना है. इनमें ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) के तहत सुझाए गए कदम शामिल हैं.

जहरीली धुंध से निपटने के लिए उठाए जाने वाले किसी भी कदम का दिल्ली की जनता स्वागत करेगी, क्योंकि वो ही इससे सबसे ज्यादा पीड़ित है. लेकिन मौजूदा अनुभव बताते हैं कि इन नियमों को लागू करना शायद आसान नहीं हो.


एनवायरन्मेंट पॉल्यूशन कंट्रोल अथॉरिटी ने मंगलवार को प्रदूषण से निपटने के लिए तीन उपाय तुरंत लागू करने का सुझाव दिया था. इनमें दिल्ली-एनसीआर में पार्किंग फीस को चार गुना बढ़ाना और ऑफ-पीक आवर्स में मेट्रो किराए को कम करना शामिल है. तीसरे उपाय में पूरे इलाके में ईंट भट्ठों, हॉट मिक्स प्लांट और स्टोन क्रशर को अगले नोटिस तक पूरी तरह बंद करना शामिल है.

ये उपाय ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान के छठे स्तर में सुझाए गए हैं. ये नियम तब लागू किए जाते हैं जब वायु प्रदूषण ‘खतरनाक’ स्तर पर पहुंच जाता है या फिर पीएम2.5 या पीएम10 की सघनता वैल्यू क्रमश: 250 µg/m3 या 430µg/m3 से अधिक हो जाती है.

खतरनाक स्तर पर पहुंचा प्रदूषण 

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ये उपाय तय किए गए हैं. पिछले साल दो दिसंबर को कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में एयर क्वालिटी पर एम. सी. मेहता बनाम भारत सरकार मामले में यह आदेश दिया था. इसके तहत ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान बनाया गया था ताकि अलग-अलग एयर क्वालिटी इंडेक्स के हिसाब से इसे लागू किया जा सके.

एयर क्वालिटी इंडेक्स को मॉडरेट एंड पुअर, वैरी पुअर, सीवियर और सीवियर+ में बांटा गया था. जीआरएपी में वायु प्रदूषण के अलग-अलग स्तरों से निपटने के लिए सात कैटेगरी के उपाय सुझाए गए हैं.

एनवायरमेंट पॉल्यूशन कंट्रोल अथॉरिटी वो संस्था है, जो इन उपायों को लागू करने का सुझाव देती है.

वर्तमान में दिल्ली में वायु प्रदूषण खतरनाक यानी सीवियर स्तर पर पहुंच गया है. जीआरएपी मानकों के हिसाब से यह प्रदूषण छठे स्तर का है. इस स्थिति से निपटने के लिए तुरंत कदम उठाने की जरूरत है. लेकिन मंगलवार को जैसे ही ईपीसीए ने इन उपायों की घोषणा की, एमसीडी और मेट्रो ने इन्हें लागू करने में दिक्कतों का हवाला दे दिया.

हिंदुस्तान टाइम्स ने पूर्वी दिल्ली नगर निगम के आयुक्त रणबीर सिंह के हवाले से लिखा कि कानून के मुताबिक पार्किंग फीस बढ़ाने का फैसला निगम की बैठक में ही लिया जा सकता है और निकट भविष्य में ऐसी कोई बैठक नहीं होने वाली है.

उन्होंने कहा, 'दिल्ली निगम कानून के मुताबिक, पार्किंग फीस बढ़ाने से पहले हमें निगम की अनुमति लेना जरूरी है.'

हालांकि अधिकारी ने आश्वासन दिया है कि वह पार्किंग फीस में वृद्धि की अग्रिम मंजूरी देने के लिए मेयर से अनुरोध करेंगे.

पार्किंग फीस बढ़ाने की हो रही है बात 

इसी तरह की दिक्कत का हवाला दिल्ली मेट्रो ने किराए में तुरंत कमी को लेकर दिया है.

हिंदुस्तान टाइम्स ने डीएमआरसी में एक अनाम सूत्र के हवाले से लिखा कि किराया बढ़ाने का फैसला डीमआरसी खुद नहीं ले सकती. उसे केंद्र की मंजूरी की जरूरत है.

अधिकारी ने कहा, 'दिल्ली मेट्रो के किराए में फेयर फिक्सेशन कमेटी के गठन के बाद ही बदलाव किया जा सकता है. कमेटी के आदेश को दूसरी फेयर फिक्सेशन कमेटी ही नामंजूर कर सकती है, जिसका गठन सिर्फ केंद्र सरकार कर सकती है.'

एमसीडी और डीएमआरसी की ओर से जिन मुश्किलों का हवाला दिया गया है वो इस वास्तविकता को बताती है कि ईपीसीए की ओर से सुझाव गए तीन उपायों में से एक को ही तुरंत लागू किया जा सकता है.

इसमें ईंट भट्ठों, हॉट मिक्स प्लांट और स्टोन क्रशर को अगले नोटिस तक बंद करना शामिल है. दिल्ली को बाकी दो सुझावों पर अमल के लिए इंतजार करना होगा.

अगर ईपीसीए नियमों को जरा और सख्त करता है तो जीआरएपी को लागू करने की चुनौती और बढ़ जाएगी.

मंगलवार को अथॉरिटी ने उपायों की घोषणा करते हुए ये संकेत दिया था कि वह प्रदूषण नियंत्रण के नियमों को और कड़ा कर सकता है.

कम करना होगा कंस्ट्रक्शन गतिविधियों को 

ईपीसीए ने संकेत दिया था कि वो जीआरएपी नियमों के स्तर को छह से बढ़ाकर सात कर सकता है. उसने सरकार से कहा है कि वह कंस्ट्रक्शन गतिविधियों को रोकने और ऑड-इवन लागू करने के लिए तैयार हो जाए.

जीआरएपी के सातवें स्तर में दिल्ली में ट्रकों की एंट्री रोकने, कंस्ट्रक्शन गतिविधियों को बंद करना और नंबर प्लेट के हिसाब से निजी वाहनों के लिए ऑड-इवन को न्यूनतम छूट के साथ लागू करने जैसे बाध्यकारी नियम हैं.

यहां भी जीआरएपी की सातवें श्रेणी में दिए गए चार उपायों में से दो को लागू करना खासा मुश्किल है.

जिन ट्रकों को सिर्फ दिल्ली से गुजरना है उन्हें राजधानी नहीं आने देने की केंद्र की योजना बहुत पुरानी है. इसे पूर्वी छोर पर हाइवे परियोजना के निर्माण में देरी के चलते अब तक पूरा नहीं किया जा सका है.

फिलहाल उत्तर प्रदेश और पंजाब जैसे राज्यों में जाने वाले ट्रक दिल्ली होकर गुजरते हैं क्योंकि उनके लिए वैकल्पिक रास्ता नहीं है. इन ट्रकों से दिल्ली में प्रदूषण बढ़ता है और ट्रैफिक जाम होता है. केंद्र ने 2015 में ईस्टर्न पेरीफेरल हाइवे का निर्माण शुरू किया था ताकि इन ट्रकों को दिल्ली नहीं आना पड़े.

लेकिन योजना की राह में कई रुकावटें आई और नोएडा व गाजियाबाद में जमीन अधिग्रहण को लेकर किसानों से मसला नहीं सुलझने के चलते कई बार डेडलाइन बढ़ाई गई है.

अब इस परियोजना को अगले साल मार्च तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है जो अब भी दूर की कौड़ी है. इसलिए ईपीसीए दिल्ली में ट्रकों को आने से रोकने पर तुरंत शायद ही अमल करवा पाए.

जीआरएपी के सातवें स्तर में कंस्ट्रक्शन गतिविधियों को रोकना शामिल है. इसे हासिल करना असंभव नहीं है लेकिन इसके लिए केंद्र की मंजूरी की जरूरत होगी. केंद्र सरकार बेहतर कनेक्टिविटी के लिए सड़कों का जाल बिछा रही है. इससे जुड़े कई प्रोजेक्ट्स दिल्ली के आसपास चल रहे हैं. इनमें मेट्रो का निर्माण भी शामिल है.