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दिल्ली की कातिल सड़कें हर दिन लील जाती हैं पांच जिंदगियां

दिल्ली पुलिस के मुताबिक 2014-16 के बीच राजधानी में कुल 24,083 सड़क दुर्घटनाएं हुईं जिनमें 4,484 लोगों की मौत हुई

Bhasha

सरकार द्वारा चलाए जाने वाले सड़क सुरक्षा जागरुकता कार्यक्रमों के बावजूद पिछले तीन साल में दिल्ली में औसतन हर दिन पांच लोगों की सड़क हादसों में जान चली गई. दिल्ली में इस दौरान प्रतिदिन लगभग 22 हादसे हुए.

आरटीआई कार्यकर्ता युसूफ नकी ने सूचना का अधिकार कानून के तहत दिल्ली पुलिस से साल 2014, 2015 और 2016 में हुए सड़क हादसों के बारे में जानकारी मांगी थी.


दिल्ली पुलिस ने बताया कि इस दौरान राजधानी में कुल 24,083 सड़क दुर्घटनाएं हुईं जिनमें 4,484 लोगों की मौत हुई.

इसमें साल 2014 में 8,623 सड़क हादसों में 1,671 लोगों, 2015 में 8,085 दुर्घटनाओं में 1,622 लोगों और 2016 में 7,375 दुर्घटनाओं में 1,591 लोगों की जान गई. हालांकि इस दौरान हर साल दुर्घटनाओं और उनमें होने वाली मौतों के आंकड़ों में गिरावट देखी गई.

केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2016 में देश में सड़क हादसों में सबसे ज्यादा लोगों की मौत दिल्ली में हुई.

सड़क सुरक्षा क्षेत्र में काम करने वाले एक एनजीओ ट्रैक्स रोड के अध्यक्ष अनुराग कुलश्रेष्ठ ने कहा, ‘दिल्ली में लगभग 70 फीसदी गोल चक्कर, क्रॉसिंग, जेब्रा क्रॉसिंग भारतीय सड़क कांग्रेस के दिशा-निर्देशों के मुताबिक नहीं हैं.’ उन्होंने कहा कि सड़क किनारे किया गया वृक्षारोपण भी इसके हिसाब से नहीं है. नियमों के अनुसार पेड़-पौधे सड़क से 20 फुट की दूरी पर होने चाहिए, लेकिन दिल्ली में यह सड़कों से लगे हुए हैं. इससे भारी वाहन बाईं ओर न चलकर बीच सड़क में चलते हैं.

दिल्ली की सड़कों पर एक करोड़ से अधिक रजिस्टर्ड वाहन हैं

सिर्फ जागरूकता नहीं, सड़क डिजाइनिंग पर भी जोर देने की जरूरत 

अन्य संगठन सेव लाइफ फाउंडेशन के संस्थापक पीयूष तिवारी ने बताया कि कई बार सिर्फ जागरूकता से काम नहीं चलता, सड़क डिजाइनिंग के बारे में बात किए जाने की भी जरूरत है.

अनुराग कुलश्रेष्ठ ने कहा कि दिल्ली में ट्रैफिक पुलिस का ध्यान यातायात प्रबंधन पर ना होकर सिर्फ यातायात को सुचारु बनाए रखने पर होता है. सड़क दुर्घटनाओं में मरने वाले करीब 60 लगभग लोग पैदल समेत दोपहिाया वाहन सवार और साइकिल वाले होते हैं. पैदल चलने वालों के लिए बने फुटपाथ या तो खत्म हो रहे हैं या वो सड़क के समतल आ गए हैं.

उन्होंने कहा कि लगभग 95 फीसदी दोपहिया वाहन सवार सुरक्षा मानकों के अनुरूप हेलमेट नहीं पहनते हैं. और अधिकतर लोग उसे ठीक से नहीं लगाते हैं जिससे दुर्घटना में घायल होने की संभावना बढ़ जाती है. इन दोनों ही स्थिति में पुलिस चालान भी नहीं करती है.

विज्ञापनों और फिल्मों में गाड़ी चलाने के गलत-सलत तरीके दिखाए जाने का भी समाज में खराब संदेश जाता है.

हाल में जारी सड़क परिवहन मंत्रालय की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में साल 2016 में हर घंटे 55 सड़क हादसे हुए और 17 लोगों की मौत हुई. पूरे भारत में पिछले साल सड़क दुर्घटनाओं में 1,50,785 लोगों की मौत हुई है.